रामगढ़ः देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिका मंदिर में मंगलवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र को लेकर मंदिर न्यास समिति और जिला प्रशासन की ओर से तैयारी पूरी कर ली गई है. इसके अलावा हिंदू नव वर्ष को लेकर भी भक्त यहां पूजा करने के लिए पहुंच रहे हैं.
इस बार श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लिए कई तरह के इंतजाम किए गए हैं. इसके साथ ही साधकों के लिए धर्मशाला और हवन कुंडों की साफ सफाई कर दी गई है. जिससे यहां आने वाले साधकों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो. रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर में चैत्र नवरात्र में 9 दिनों तक मां का अलग-अलग शृंगार किया जाता है और विभिन्न तरह के भोग लगाए जाते हैं.
अमावस्या के बाद चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र आरंभ हो जाती है. इस दिन हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है. चैत्र नवरात्र को लेकर भक्त कलश की स्थापना कर माता की पूजा करते हैं. रजरप्पा मंदिर में मां की आराधना करने के लिए कोलकाता, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ समेत प्रदेश के अन्य जिलों और दूसरे राज्यों से भी भक्त यहां पहुंचते हैं.
शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में मां छिन्नमस्तिका मंदिर में भारी संख्या में साधक और श्रद्धालु मां की आराधना करने के लिए पहुंचते हैं. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है. प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे मां कूष्मांडा, पांचवे दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
रजरप्पा मंदिर के वरिष्ठ पुजारी सुबोध पंडा ने बताया कि मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को पूजा में किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर परिसर में चारों ओर शेड लगाया गया है ताकि चिलचिलाती धूप में भी श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो. इसके अलावा दूर-दराज से आने वाले साधकों के लिए ठहरने की व्यवस्था धर्मशाला में की गई है. इसके साथ ही मंदिर परिसर में स्थित सभी हवन कुंडों की साफ-सफाई कर दी गई है. जिससे साधक और श्रद्धालु यहां हवन कर सकेंगे.
हिंदू नव वर्ष और चैत्र नवरात्र को लेकर मां छिन्नमस्तिका मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाएगा. पूरा मंदिर परिसर फूलों से अटा हुआ है. भारत भ्रमण में निकले एक भक्त ने कहा कि यह सिद्धपीठ है और मां की महिमा अपरंपार है. कामाख्या के बाद दूसरे नंबर पर यह सिद्धपीठ आता है जो जिस भाव से यहां आता है माता सबकी सुनती हैं. इस पूरे मंदिर प्रक्षेत्र में एक शक्ति का एहसास होता है, एक ऊर्जा यहां पर मिलती है.
मान्यता है कि नवरात्र में मां की विशेष कृपा यहां आने वाले भक्तों और साधकों को मिलती है. इसलिए बड़ी संख्या में भक्त, साधक और श्रद्धालु मां की आराधना करने यहां पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए भी जिला प्रशासन की ओर से कई दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं. जिसका अनुपालन मंदिर न्यास समिति द्वारा किया जा रहा है. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पुलिस की ओर से भी किए गये हैं.
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