जयपुर: राजस्थान विधानसभा में तीसरे सत्र की तैयारी जोरों पर है, लेकिन दूसरे सत्र में उठाए गए सवालों के जवाबों की स्थिति चिंताजनक है. विधानसभा के रिकॉर्ड के अनुसार दूसरे सत्र में पूछे गए सवालों में से 30 फीसदी से अधिक के जवाब अभी तक नहीं आए. विधायकों ने दूसरे सत्र में करीब 8 हजार प्रश्न लगाए थे, इनमें से अभी तक करीब 2400 प्रश्नों के जवाब आना शेष है. अब आने वाले सत्र में सरकारी कार्यप्रणाली की यह स्थिति विपक्षी दलों के लिए बड़ा मुद्दा बन सकती है, ऐसे में लम्बित जवाबों पर अध्यक्ष वासुदेव देवनानी सख्त एक्शन के मूड में है. इस सिलसिले में आज विधानसभा में दोपहर बाद तीन बजे समीक्षा बैठक बुलाई है. इस बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव सहित राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव मौजूद रहेंगे. वे अपने विभागों से संबंधित लंबित जवाबों पर जानकारी देंगे.
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि विधायकों की ओर से राज्य सरकार से जनहित के विषयों पर प्रश्न और प्रस्तावों के माध्यम से जानकारी मांगी जाती है. उन्होंने कहा कि संबंधित सरकारी विभागों की ओर से विधानसभा को इनकी जानकारी समय पर प्राप्त नहीं होती. इससे उनकी सार्थकता समाप्त हो जाती है. विधानसभा को राज्य सरकार के विभागों से प्रश्नों का जवाब प्राप्त नहीं होने से विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों का भी उल्लंघन होता है.
दरअसल, विधानसभा में सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का उद्देश्य जनता की समस्याओं को उजागर करना और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना है, लेकिन जब सवालों के जवाब समय पर नहीं मिलते, तो यह लोकतंत्र की प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगाता है. फिर भी विधानसभा में प्रश्नों का समय पर जवाब नहीं देने का सिलसिला चला आ रहा है. यह हालात तो तब है जब सोलहवीं विधानसभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ब्यूरोक्रेसी को स्पष्ट कर चुके हैं कि एक सत्र के प्रश्न अगले सत्र की शुरूआत से पहले मिलने चाहिए, फिर भी नौकरशाह लापरवाही बरत रहे हैं.
दूसरे सत्र में ढीले पड़ गए अफसर: विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने पदभार संभालते ही मुख्य सचिव सुंधाश पंत को प्रश्नों के जवाब समय पर भेजने के लिए कहा था. यह भी तय हुआ था कि विधानसभा के एक सत्र में लगाए गए प्रश्नों के जवाब दूसरे सत्र के शुरू होने से पहले आ जाने चाहिए. पहले सत्र में 2200 से ज्यादा प्रश्न लगे, इनमें से करीब 95 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब समय पर आ गए, लेकिन दूसरे सत्र में ब्यूरोक्रेसी का रवैया पुराने ढर्रे पर ही आ गया. इसका असर यह हुआ है कि 30 प्रतिशत से ज्यादा प्रश्नों के जवाब नहीं आए हैं. अब मामले की गंभीरता को देखते हुए विधान सभा के प्रमुख सचिव भारत भूषण शर्मा ने राज्य के मुख्य सचिव सुधांश पंत को सभी विभागों के सचिव स्तर के अधिकारी सहित बैठक में भाग लेने के लिए पत्र भेजा है. पत्र में सोलहवीं विधानसभा के आगामी संभावित सत्र से पहले के प्रश्नों, प्रस्तावों और आश्वासनों के जवाबों के लम्बित प्रकरणों का निस्तारण अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किये जाने के लिए कहा गया है.