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बजट में नहीं दिखा सबका साथ, सबका विकास, स्पीकर बोले- सदन में उपाध्यक्ष का होना जरुरी - UNION BUDGET

Uinon Buget 2024. आम बजट 2024 पर झारखंड विधानसभा के स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने असंतोष जताया है. उनका कहना है कि इस बजट में सबका साथ, सबका विकास नहीं दिखाई दिया.

UNION BUDGET 2024
झारखंड स्पीकर रबींद्रनाथ महतो (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 24, 2024, 4:22 PM IST

रांची: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. झारखंड विधानसभा के स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को देश का जो बजट पेश किया, उसे बैलेंस बजट नहीं कहा जा सकता. एक तरफ सबका साथ, सबका विकास की बात होती है और दूसरी तरफ बजट में राज्यों के साथ भेदभाव होता है. उन्होंने कहा कि बिहार से अलग होकर बने झारखंड की अनदेखी हुई है.

पंचम झारखंड विधानसभा के अंतिम सत्र की तैयारियों के दौरान मीडिया से बात करते हुए स्पीकर ने कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने माना कि सदन में उपाध्यक्ष का पद होना चाहिए. उपाध्यक्ष के नहीं रहने से स्पीकर की जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं. क्योंकि तबीयत नासाज होने या किसी जरुरी कार्य से राज्य के बाहर जाने पर कार्यवाही पर असर पड़ने लगता है. इसकी वजह से फूल प्रुफ तैयारी करनी पड़ती है.

अब तक की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के रवैये पर उन्होंने कहा कि सभी की भूमिका सकारात्मक रही है. सभी विधायक अपने क्षेत्र के मसले को उठाना चाहते हैं. इस दौरान असहमति भी सामने आती है. इसको अलग तरीके से देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी नजर में सभी विधायक श्रेष्ठ हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अब जनता के दरबार में जाने की बारी है. अब देखना होगा कि कितने विधायक फिर जीतकर आते हैं.

स्पीकर ने कहा कि उनके कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बने. हालांकि ऐसा नहीं होना चाहिए था. ऐसा क्यों हुआ, यह बताने की जरुरत नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में नवाचार का तरीका बदला है. कई नई राजनीतिक समस्याएं सामने आई हैं. उन्होंने उम्मीद जतायी कि पंचम झारखंड विधानसभा का अंतिम सत्र (मानसून सत्र) सुचारु रुप से संपन्न होगा. उन्होंने कार्यवाही के दौरान मिले सहयोग के लिए विधायकों के प्रति आभार जताया.

रांची: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. झारखंड विधानसभा के स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को देश का जो बजट पेश किया, उसे बैलेंस बजट नहीं कहा जा सकता. एक तरफ सबका साथ, सबका विकास की बात होती है और दूसरी तरफ बजट में राज्यों के साथ भेदभाव होता है. उन्होंने कहा कि बिहार से अलग होकर बने झारखंड की अनदेखी हुई है.

पंचम झारखंड विधानसभा के अंतिम सत्र की तैयारियों के दौरान मीडिया से बात करते हुए स्पीकर ने कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने माना कि सदन में उपाध्यक्ष का पद होना चाहिए. उपाध्यक्ष के नहीं रहने से स्पीकर की जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं. क्योंकि तबीयत नासाज होने या किसी जरुरी कार्य से राज्य के बाहर जाने पर कार्यवाही पर असर पड़ने लगता है. इसकी वजह से फूल प्रुफ तैयारी करनी पड़ती है.

अब तक की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के रवैये पर उन्होंने कहा कि सभी की भूमिका सकारात्मक रही है. सभी विधायक अपने क्षेत्र के मसले को उठाना चाहते हैं. इस दौरान असहमति भी सामने आती है. इसको अलग तरीके से देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी नजर में सभी विधायक श्रेष्ठ हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अब जनता के दरबार में जाने की बारी है. अब देखना होगा कि कितने विधायक फिर जीतकर आते हैं.

स्पीकर ने कहा कि उनके कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बने. हालांकि ऐसा नहीं होना चाहिए था. ऐसा क्यों हुआ, यह बताने की जरुरत नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में नवाचार का तरीका बदला है. कई नई राजनीतिक समस्याएं सामने आई हैं. उन्होंने उम्मीद जतायी कि पंचम झारखंड विधानसभा का अंतिम सत्र (मानसून सत्र) सुचारु रुप से संपन्न होगा. उन्होंने कार्यवाही के दौरान मिले सहयोग के लिए विधायकों के प्रति आभार जताया.

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