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सोयाबीन और मक्का की खेती में खरपतवार कर देता बड़ा खेल, कांट्रोल के लिए स्प्रे में रखें ये सावधानी - How To Protect Crop From Weeds

फसल को खरपतवार से बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन करते हैं. वहीं बारिश में सोयाबीन और मक्का दोनों ही फसलों में बचाने के लिए किसान खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसका उपयोग करने से पहले सावधानी समय बरतनी जरूरी है. जिससे फसल खराब न हो जाए.

HOW TO PROTECT CROP FROM WEEDS
सोयाबीन और मक्का की खेती में खरपतवार कर देता बड़ा खेल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 7:56 PM IST

रतलाम। खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन और मक्का की बुवाई किए हुए करीब 15 दिन बीत चुके हैं. सोयाबीन और मक्का की फसल 15 से 20 दिन की अवस्था में है, लेकिन दोनों ही फसलों के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना महत्वपूर्ण कार्य है. बेल व ट्रैक्टर से डोरे चला कर खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है, लेकिन बारिश के मौसम में खरपतवार पर पूर्ण नियंत्रण के लिए रासायनिक खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल करना ही पड़ता है. खासकर सोयाबीन में
15 दिन से 25 दिन की अवस्था में खरपतवार नाशक का स्प्रे किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए खेत में पर्याप्त नमी होना और हल्की बारिश होते रहना आवश्यक है.

सोयाबीन और मक्का दोनों ही फसलों में खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करते समय कई प्रकार की सावधानियां रखनी होती है. जिससे फसल पर खरपतवार नाशक का विपरीत प्रभाव नहीं पड़े.

कांट्रोल के लिए स्प्रे में रखें ये सावधानी (ETV Bharat)

खरपतवार नाशकों का कैसे करें उपयोग

खरपतवार नाशक दो तरह के होते हैं. जिसमें चौड़ी पत्ती और संकरी पत्ती के खरपतवारों को नष्ट करने के लिए अलग-अलग रसायन का इस्तेमाल होता है. खरपतवार नाशक ठीक से कम करे, इसके लिए सबसे पहले खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है. इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में इसका मिश्रण पानी की अनुशंसित मात्रा के साथ मिलाया जाना चाहिए. कम या अधिक अनुपात में मिलाए जाने से फसल पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है. यह खरपतवार नाशक दो से तीन पत्ती की अवस्था वाले खरपतवार को ही नष्ट करती है. इसलिए फसल की 15 दिन से 25 दिन की अवस्था के बीच ही इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसका स्प्रे करते समय पम्प में वी शेप (फ्लेट फैन )नोजल का उपयोग करना चाहिए, ताकि दवाई नमी युक्त जमीन पर लगे. इसके साथ ही किसान भाइयों को कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के फील्ड ऑफिसर से सलाह लेकर ही अनुशंसित मात्रा में इसका इस्तेमाल अपनी फसल पर करना चाहिए.

सोयाबीन और मक्का में होता अलग-अलग खरपतवार नाशकों का उपयोग

सोयाबीन और मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अलग-अलग खरपतवार नाशकों का उपयोग किया जाता है. गलती से दूसरे खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करने पर फसल पूरी तरह नष्ट भी हो सकती है. आइए जानते हैं कौन सा खरपतवार नाशक किस फसल के लिए प्रयोग किया जाता है.

सोयाबीन के लिए खरपतवार नाशक

इमिजाथाइपर 10 प्रति. एसएल, क्विजलोफाफ पी इथाइल 5% ई सी, इमिजाथाइपर 35%+ इमिजामोक्स 35% ,फ्लूजिफॉप ब्यूटाइल 11.11% + फोमेक्साफेन 11.11% यह सभी खरपतवार नाशक अलग-अलग ब्रांड के नाम से बाजार में उपलब्ध है.

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मक्का के लिए खरपतवार नाशक

टोप्रामेजोन 33.6% एससी( टिंजर) एवं टेम्बोट्रियोन 42% एससी 150 मिली

दरअसल सोयाबीन एवं मक्का की फसल में 15 से 25 दिन की अवस्था में खरपतवार प्रबंधन का कार्य मुख्य तौर पर किया जाता है. कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह चौहान ने एडवाइजरी जारी कर किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित खरपतवार नाशक एवं उचित मात्रा का उपयोग करने की सलाह दी है.

रतलाम। खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन और मक्का की बुवाई किए हुए करीब 15 दिन बीत चुके हैं. सोयाबीन और मक्का की फसल 15 से 20 दिन की अवस्था में है, लेकिन दोनों ही फसलों के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना महत्वपूर्ण कार्य है. बेल व ट्रैक्टर से डोरे चला कर खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है, लेकिन बारिश के मौसम में खरपतवार पर पूर्ण नियंत्रण के लिए रासायनिक खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल करना ही पड़ता है. खासकर सोयाबीन में
15 दिन से 25 दिन की अवस्था में खरपतवार नाशक का स्प्रे किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए खेत में पर्याप्त नमी होना और हल्की बारिश होते रहना आवश्यक है.

सोयाबीन और मक्का दोनों ही फसलों में खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करते समय कई प्रकार की सावधानियां रखनी होती है. जिससे फसल पर खरपतवार नाशक का विपरीत प्रभाव नहीं पड़े.

कांट्रोल के लिए स्प्रे में रखें ये सावधानी (ETV Bharat)

खरपतवार नाशकों का कैसे करें उपयोग

खरपतवार नाशक दो तरह के होते हैं. जिसमें चौड़ी पत्ती और संकरी पत्ती के खरपतवारों को नष्ट करने के लिए अलग-अलग रसायन का इस्तेमाल होता है. खरपतवार नाशक ठीक से कम करे, इसके लिए सबसे पहले खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है. इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में इसका मिश्रण पानी की अनुशंसित मात्रा के साथ मिलाया जाना चाहिए. कम या अधिक अनुपात में मिलाए जाने से फसल पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है. यह खरपतवार नाशक दो से तीन पत्ती की अवस्था वाले खरपतवार को ही नष्ट करती है. इसलिए फसल की 15 दिन से 25 दिन की अवस्था के बीच ही इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसका स्प्रे करते समय पम्प में वी शेप (फ्लेट फैन )नोजल का उपयोग करना चाहिए, ताकि दवाई नमी युक्त जमीन पर लगे. इसके साथ ही किसान भाइयों को कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के फील्ड ऑफिसर से सलाह लेकर ही अनुशंसित मात्रा में इसका इस्तेमाल अपनी फसल पर करना चाहिए.

सोयाबीन और मक्का में होता अलग-अलग खरपतवार नाशकों का उपयोग

सोयाबीन और मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अलग-अलग खरपतवार नाशकों का उपयोग किया जाता है. गलती से दूसरे खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करने पर फसल पूरी तरह नष्ट भी हो सकती है. आइए जानते हैं कौन सा खरपतवार नाशक किस फसल के लिए प्रयोग किया जाता है.

सोयाबीन के लिए खरपतवार नाशक

इमिजाथाइपर 10 प्रति. एसएल, क्विजलोफाफ पी इथाइल 5% ई सी, इमिजाथाइपर 35%+ इमिजामोक्स 35% ,फ्लूजिफॉप ब्यूटाइल 11.11% + फोमेक्साफेन 11.11% यह सभी खरपतवार नाशक अलग-अलग ब्रांड के नाम से बाजार में उपलब्ध है.

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मक्का के लिए खरपतवार नाशक

टोप्रामेजोन 33.6% एससी( टिंजर) एवं टेम्बोट्रियोन 42% एससी 150 मिली

दरअसल सोयाबीन एवं मक्का की फसल में 15 से 25 दिन की अवस्था में खरपतवार प्रबंधन का कार्य मुख्य तौर पर किया जाता है. कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह चौहान ने एडवाइजरी जारी कर किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित खरपतवार नाशक एवं उचित मात्रा का उपयोग करने की सलाह दी है.

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