करनाल: सनातन धर्म में अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. वहीं, अगर अमावस्या सोमवार को आती है तो उसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. सोमवार को आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. सोमवती अमावस्या 2024 वर्ष की पहली सोमवती अमावस्या है.
सोमवती अमावस्या को लेकर क्या है मान्यता?: शास्त्रों में बताया गया है कि महाभारत काल में महाभारत का युद्ध होने के बाद युद्ध मारे गए पांडवों के सगे संबंधियों की आत्मा की शांति के लिए श्री कृष्ण भगवान ने सोमवती अमावस्या के दिन उनको पवित्र नदी में स्नान करने बाद उनके पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ करने की सलाह दी थी, लेकिन कई वर्षों तक सोमवती अमावस्या उस दौरान नहीं आई थी. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन दान स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. वहीं, सोमवती अमावस्या के दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान और पूजा पाठ करते हैं. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं कि सोमवती अमावस्या के स्नान दान करने का शुभ मुहूर्त का समय क्या है और पूजा का विधि विधान क्या है.
सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त: पंडित रमेश शर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ रही है और वर्ष 2024 की पहली सोमवती अमावस्या है. सोमवती अमावस्या का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को सुबह 3:11 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 8 अप्रैल को रात के 11:50 बजे पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए सोमवती अमावस्या को 8 अप्रैल के दिन मनाया जाएगा. अमावस्या के दिन स्नान दान करने के लिए शुभ मुहूर्त का समय सुबह 4:55 बजे से शुरू होकर सुबह 6:30 बजे तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त के समय किया गया स्नान और दान अक्षय फल की प्राप्ति के बराबर होता है.
सोमवती अमावस्या का महत्व: पंडित ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन विधिवत रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन किसी पवित्र नदी या तालाब इत्यादि में स्नान करने के बाद दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा पाठ किए जाते हैं. शास्त्रों-वेदों में बताया गया है कि जिस भी इंसान के पितर उनसे रुष्ट हो जाते हैं, वह उनको प्रसन्न करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन उनके लिए पिंडदान पूजा पाठ इत्यादि कर सकते हैं. ऐसे करने से दे-पितृ प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है. अपने पितरों की पूजा करते समय काले तिल का दान करें. काले तिल का दान करने से सभी प्रकार के बुरे ग्रहों का असर समाप्त हो जाता है. सोमवती अमावस्या के दिन चांदी दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और पितृ प्रसन्न होते हैं, साथ ही परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है.
सोमवती अमावस्या के दिन रखें इन बातों का ध्यान: सोमवती अमावस्या के दिन किसी भी पशु पक्षी को परेशान या प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. अमावस्या के दिन कुत्ता, कौवा, गाय आदि को रोटी खिलानी चाहिए और उनके लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. अमावस्या के दिन भगवान शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस दिन फल, फूल, नारियल, सिंदूर, शंख और तुलसी के पत्ते पूजा के दौरान अर्पित करें. इस दिन चावल की खीर का भोग लगाना चाहिए. अमावस्या के दिन मछलियों को भी दाने डालें. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा आती है. अमावस्या के दिन चावल और दूध का दान काफी लाभकारी माना जाता है. मान्यता है कि जो भी जातक इस दिन दूध और चावल दान करता है, उसकी सभी प्रकार की आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं.
सोमवती अमावस्या पूजा विधि-विधान: पंडित ने बताया कि अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर बताए गए शुभ मुहूर्त के समय पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करें. अगर कोई व्यक्ति पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकता तो वह घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकता है. सूर्योदय के समय भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके बाद नए या साफ कपड़े पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें. पूजा के दौरान भगवान भोलेनाथ को पंचामृत का अभिषेक करें और अपने घर में सुख समृद्धि की कामना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाकर विधिवत रूप से उनकी पूजा अर्चना करें.
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