रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले ही बदरीनाथ राष्ट्रीय हाईवे पर सिरोबगड़ डेंजर जोन एक बार फिर से सिरदर्द बनने लगा है. बीती देर रात हुई बारिश के बाद सिरोबगड़ में भारी मलबा आ गया, जिस कारण हाईवे बंद हो गया. हाईवे को खोलने के लिए एनएच विभाग की मशीनें पहुंची, जिसके बाद किसी तरह हाईवे को आवाजाही लायक बनाया गया. यहां पर ऊपरी पहाड़ी से हर समय खतरा बना रहता है.
बता दें कि बदीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिरोबगड़ डेंजर जोन का 3 दशक से ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है. इसके विकल्प के रूप में बन रहा पपड़ासू-खांखरा बाईपास का निर्माण कार्य भी 6 साल से पूरा नहीं हो पाया है, जिस कारण चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले यात्रियों को इस जगह पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जबकि, इस स्थान पर कई घटनाएं भी घट चुकी हैं. बावजूद इसके आज तक इसका ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है और न ही बाईपास ही बन पाया है.
बीती बुधवार देर रात हुई बारिश के कारण सिरोबगड़ की पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा हाईवे पर आ गया. हाईवे बंद होने से दोनों ओर हजारों वाहन फंस गए. इसके बाद एनएच विभाग की मशीनरी मौके पर पहुंची और हाईवे से मलबा साफ करने का काम किया. कई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद हाईवे को आवाजाही लायक बनाया गया.
केदारनाथ धाम के कपाट कल खुलने जा रहे हैं और अभी से ही तीर्थयात्रियों को मुसीबतों से गुजरना पड़ रहा है. बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे के कई जगहों पर ऐसे डेंजर जोन हैं, जहां पर आवागमन करना किसी खतरे से खाली नहीं है. जिला पंचायत सदस्य नरेंद्र बिष्ट ने कहा कि सिरोबगड़ डेंजर जोन का ट्रीटमेंट अभी तक नहीं हो पाया है.
चारधाम ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत सिरोबगड़ डेंजर जोन के विकल्प के रूप में पपड़ासू-खांखरा बाईपास निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यह कार्य पिछले 6 सालों से धीमी गति से चल रहा है. बाईपास के तहत तीन पुलों का निर्माण होना है, जिसमें अभी तक एक भी पुल नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ऑल वेदर सड़क का काम पूरा न होने श्रद्धालुओं को मुसीबतों से गुजरना पड़ रहा है. यात्रा के शुरुआत में ही दिक्कतें पैदा होने से अच्छा संदेश नहीं जा रहा है.
"सिरोबगड़ में राजमार्ग पर मलबा आने के बाद तत्काल जेसीबी मशीन भेज दी गई थी. आगामी दिनों में यहां पर एक मशीन हर समय तैनात की जाएगी, जिससे किसी भी समय राजमार्ग बंद होने पर तेज गति से काम किया जा सके." - निर्भय सिंह, ईई, एनएच विभाग
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