सिंगरौली। निर्माणाधीन सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे पर मुआवजे का खेल शुरू हो गया है. यहां पिछले कुछ दिनों में करीब ढाई हजार मकान बन गए हैं. ज्यादातर घर अधूरे बने हैं. यह मकान उस जगह बने हैं जहां से हाईवे को गुजरना है. बता दें कि खेत के बजाय मकान पर मुआवजा अधिक मिलता है इस वजह से माफिया ने खाली जगहों पर अधूरे मकान बना दिए हैं. मुआवजे के खेल का पता चलते ही जिला प्रशासन भी अब सख्त हो गया है. उसने कार्रवाई की बात कही है. सिंगरौली जिले के चितरंगी एडीएम सुरेश जादव ने इस मामले को लेकर कहा कि सर्वे के बाद बनाए गए मकानों को मुआवजा राशि नहीं दी जाएगी.
सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का सर्वे
सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले में आता है. इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के साथ ही अधिक मुआवजा दिलाने के लिए दलालों का रैकेट सक्रिय हो गया और कुछ ही महीनों में 2,500 मकान बन गए. लोगों का कहना है कि हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद यहां की जमीन खरीदने वालों में नेता और अफसर भी पीछे नहीं रहे. जमीन मालिक मकान बनवाने के लिए सौदे भी कर रहे हैं. यह बात सामने आने के बाद पूरे जिले में माफिया सक्रिय हो चुके हैं.
740 करोड़ की लागत का है प्रोजेक्ट
सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले की चितरंगी और दुधमनिया तहसील से होकर गुजरता है. 740 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में इन दोनों तहसीलों के 33 गांवों की जमीन आ रही है. अधिग्रहण की कार्रवाई मार्च में शुरू हुई. सर्वे शुरू होने के साथ ही यहां मकान बनाने पर रोक लग गई थी. जमीन की खरीद-फरोख्त भी नहीं हो सकती. प्रशासन ने इस संबंध में अनाउंसमेंट किए, नोटिस तक लगाए इसके बाद भी किसानों ने मुआवजे के लिए नए फॉर्मूले पर काम शुरू कर दिया है.
80 और 20 प्रतिशत की सौदेबाजी
मुआवजे के लिए खेतों में बने मकान आधे-अधूरे हैं. किसी में सिर्फ ईटें रखी गई हैं तो किसी में कच्चा मकान बनाया गया है. कुछ में तो सिर्फ शेड बने हैं. इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो बाहरी राज्यों के लोगों से स्टाम्प पेपर पर सौदे भी कर लिए हैं. इसके मुताबिक आवास से जो भी मुआवजा मिलेगा उसमें से 80 और 20 प्रतिशत का बंटवारा होगा. यानी मुआवजे की बढ़ी हुई राशि का 80 प्रतिशत मकान बनाने वाले को और 20 प्रतिशत राशि जमीन मालिक को मिलेगी.
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'सर्वे के बाद बने घरों पर नहीं मिलेगा मुआवजा'
चितरंगी एसडीएम सुरेश जाधव का कहना है कि "सर्वे हुआ तो सिर्फ 500 घर ही आ रहे थे अब हाईवे की जमीन पर 2500 मकान बन चुके हैं. सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं दिया जाएगा. हाईवे के सर्वे से पहले इस इलाके में जमीन का रेट आठ हजार रुपये प्रति डेसिमल था जो बढ़कर 80 हजार रुपये हो चुका है. मकान बनाने के बाद एक्सपर्ट से उसका वैल्युएशन कराया जाता है उसके आधार पर मुआवजे की मांग की जाती है. मकान से लेकर बोर तक के पैसे मिलते हैं. सरकार का साफ कहना है कि सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं मिलेगा. इसके बाद भी दलाल सक्रिय हैं और मुआवजा दिलाने का झांसा देकर जमीन मालिकों और अन्य लोगों को फंसा रहे हैं. यदि मुआवजा नहीं मिला तो जमीन पर मकान बनाने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है."