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केंद्र सरकार के नकल विरोधी कानून में दिखती है उत्तराखंड की झलक, प्रदेश ने झेला है पेपर लीक का दंश - Public Examinations Bill 2024

Anti copying law of Central Government, UKSSSC Paper Leak Case मोदी सरकार के नकलरोधी कानून को लेकर जहां देश भर में चर्चा है, तो वही केंद्र के इस कानून में उत्तराखंड की भी झलक दिखाई दे रही है. हालांकि इस मामले में उत्तराखंड का कानून ज्यादा सख्त दिखाई देता है. दरअसल उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शुमार है, जहां पेपर लीक जैसे मामलों पर सख्ती बरतते हुए कानून को धरातल पर उतारा गया है.

Anti copying law
नकल विरोधी कानून
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 8, 2024, 7:42 AM IST

Updated : Feb 8, 2024, 5:18 PM IST

देहरादून: केंद्र सरकार ने लोकसभा में लोक परीक्षा विधेयक को पेश किया और उसे पास भी करवा लिया. अब केंद्र सरकार की कोशिश है कि जल्द ही इस विधेयक को नकल रोधी कानून का स्वरूप देते हुए इसे लागू करवाया जाए. हालांकि राज्यसभा और फिर राष्ट्रपति से अनुमोदन के बाद ही इसे कानून का रूप दिया जा सकेगा. इसके लागू होने के बाद देश के तमाम राज्य भी इसे अपने यहां लागू करवा सकेंगे. हालांकि उत्तराखंड पहले ही नकल रोधी कानून लागू करवा चुका है. दिलचस्प बात ये है कि केंद्र के इस नकलरोधी बिल में उत्तराखंड के काूनन की झलक दिखाई दे रही है.

पेपर लीक ने नकल विरोधी कानून के लिए किया मजबूर: उत्तराखंड में पिछले 2 साल के दौरान ऐसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने के मामले सामने आए, जिसने राज्य में इसको लेकर नया कानून बनाने की जरूरत को महसूस करवाया. इसके बाद 2023 में सरकार ने कानूनी प्रक्रिया को अपनाते हुए राज्य में नए कानून को लागू करवाने में सफलता हासिल की.

ये थे पेपर लीक के मामले: सबसे पहले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक की बात सामने आई थी. साल 2021 दिसंबर में स्नातक स्तरीय परीक्षा का आयोजन किया गया था, जिसमें करीब 190,000 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. इसमें से 916 अभ्यार्थियों को सफलता मिली थी. खास बात यह है कि इन 916 अभ्यर्थियों की सूची जारी होने के बाद परीक्षा पेपर लीक होने की बात सामने आने लगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी इसकी शिकायत की गई और कुछ तथ्य सामने आने के बाद 22 जुलाई 2022 को मामले में मुकदमा दर्ज कर दिया गया. इसके बाद ही मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया. खास बात यह है कि जब एसटीएफ ने जांच शुरू की तो कई तथ्य सामने आने लगे और मामले में कई गिरफ्तारियां होने लगी. पता चला कि करीब 15-15 लाख में एक पेपर बेचा गया. इस पूरे मामले पर 160 से ज्यादा अभ्यर्थियों के संदिग्ध होने की बात सामने आई.

पेपर लीक में गिरफ्तारियां भी हुईं: अभी एसटीएफ जांच कर ही रही थी की जांच के दौरान ही पता चला कि न केवल स्नातक स्तरीय परीक्षा बल्कि सचिवालय रक्षक फॉरेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक ज्यूडिशरी जैसी परीक्षाओं में भी धांधली की गई थी. मामले में एसटीएफ ने जांच आगे बढ़ाई और विभिन्न विभागों के कुछ कर्मचारियों की भी इसमें गिरफ्तारी होने लगी. इतना कुछ होने के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने इस्तीफा दे दिया. जबकि आयोग के सचिव संतोष बडोनी को निलंबित कर दिया गया जो अब तक निलंबित है. उधर दूसरी तरफ प्रकरण में 60 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. इस मामले में नकल माफिया हाकम सिंह और परीक्षा कराने वाली कंपनी के मालिक समेत परीक्षा पेपर लीक करने वाले कुछ मास्टरमाइंड की भी गिरफ्तारी की गई थी. इस दौरान 25 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया. इसके अलावा हाकम सिंह के साथ ही छह आरोपियों की करीब 20 करोड़ की संपत्ति भी कुर्क की गई.

उत्तराखंड में लागू है नकल विरोधी कानून: इन सभी स्थितियों के बीच प्रदेश में बेरोजगारों का विरोध भी शुरू हो गया और परीक्षाओं में पेपर लीक के जरिए युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ की भी बात कही जाने लगी. इन स्थितियों के बीच उत्तराखंड सरकार ने सख्त नकल विरोधी कानून लाने की तैयारी शुरू कर दी. राज्य में प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश 2023 को लागू कर दिया गया जिसमें कठोर कानून का प्रावधान किया गया. राज्य में 11 फरवरी 2023 को इस संबंध में अध्यादेश जारी किया गया, जबकि मार्च 2023 में उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 पास हो गया. राज्यपाल की मंजूरी के बाद इस कानून को देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून बताया गया.

इसके अलावा अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश (1997 में एक्ट पारित किया गया), उत्तर प्रदेश (1998 में एक्ट पारित किया गया) और राजस्थान (2022 में एक्ट पारित किया गया) में भी नकल को रोकने के लिए इसी तरह के कानून हैं. गुजरात और उत्तराखंड में नकल विरोधी कानूनों में सजा के कड़े प्रावधान हैं.

केंद्र और उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून में यह हैं प्रावधान-

  1. उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून के तहत दोषियों को 10 करोड़ तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया.
  2. केंद्र सरकार ने भी 10 साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना तय किया है.
  3. कानून के तहत पेपर लीक करने वाले माफियाओं की संपत्ति कुर्क करने का है प्रावधान.
  4. उत्तराखंड में पेपर लीक में शामिल अभ्यर्थियों को भी परीक्षाओं से कुछ साल के लिए डिबार करने का है नियम.

उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) कानून 2023 में ये हैं प्रावधान-

  1. उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या गलत साधनों का इस्तेमाल पाए जाने पर दोषी को आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान.
  2. यदि कोई व्यक्ति, सेवा देने वाली संस्था, प्रिंटिंग प्रेस, कोचिंग संस्थान आदि गलत साधनों में लिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना होगा.
  3. यदि भर्ती परीक्षा का कोई अभ्यर्थी के स्वयं नकल करते या कराते हुए अनुचित साधनों में शामिल पाए जाने पर तीन साल की सजा और न्यूनतम पांच लाख जुर्माने का प्रावधान.
  4. यदि वही अभ्यर्थी दूसरी बार भी किसी प्रतियोगी परीक्षा में फिर दोषी पाया जाता है तो उसपर न्यूनतम 10 वर्ष की सजा और न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
  5. नकल करते पाए जाने पर आरोपी अभ्यर्थी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी. चार्जशीट दाखिल होने की डेट से दो से पांच वर्ष के लिए उसे निलंबित किया जाएगा और दोषी साबित होने पर उस अभ्यर्थी को 10 वर्ष के लिए सभी परीक्षा देने से सस्पेंड कर दिया जाएगा.
  6. वहीं, अगर वही अभ्यर्थी दोबारा नकल करते पाया गया तो आरोप पत्र दाखिल करने से पांच से 10 साल के लिए निलंबित किया जाएगा और दोष साबित होने पर वो आजीवन प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने से रोक दिया जाएगा.
  7. इसके साथ ही, यदि कोई व्यक्ति परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा व 10 करोड़ रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है.
  8. सजा गैर जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल.
  9. दोषियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान.

इस तरह देखा जाए तो केंद्र सरकार परीक्षा से संबंधी जो कानून लाने जा रही है, उसमें काफी हद तक उत्तराखंड की झलक दिखाई देती है. हालांकि उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून केंद्र के मुकाबले काफी कड़ा है. इसमें सजा के प्रावधान भी केंद्र के प्रस्तावित कानून से ज्यादा कड़े हैं.
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देहरादून: केंद्र सरकार ने लोकसभा में लोक परीक्षा विधेयक को पेश किया और उसे पास भी करवा लिया. अब केंद्र सरकार की कोशिश है कि जल्द ही इस विधेयक को नकल रोधी कानून का स्वरूप देते हुए इसे लागू करवाया जाए. हालांकि राज्यसभा और फिर राष्ट्रपति से अनुमोदन के बाद ही इसे कानून का रूप दिया जा सकेगा. इसके लागू होने के बाद देश के तमाम राज्य भी इसे अपने यहां लागू करवा सकेंगे. हालांकि उत्तराखंड पहले ही नकल रोधी कानून लागू करवा चुका है. दिलचस्प बात ये है कि केंद्र के इस नकलरोधी बिल में उत्तराखंड के काूनन की झलक दिखाई दे रही है.

पेपर लीक ने नकल विरोधी कानून के लिए किया मजबूर: उत्तराखंड में पिछले 2 साल के दौरान ऐसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने के मामले सामने आए, जिसने राज्य में इसको लेकर नया कानून बनाने की जरूरत को महसूस करवाया. इसके बाद 2023 में सरकार ने कानूनी प्रक्रिया को अपनाते हुए राज्य में नए कानून को लागू करवाने में सफलता हासिल की.

ये थे पेपर लीक के मामले: सबसे पहले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक की बात सामने आई थी. साल 2021 दिसंबर में स्नातक स्तरीय परीक्षा का आयोजन किया गया था, जिसमें करीब 190,000 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. इसमें से 916 अभ्यार्थियों को सफलता मिली थी. खास बात यह है कि इन 916 अभ्यर्थियों की सूची जारी होने के बाद परीक्षा पेपर लीक होने की बात सामने आने लगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी इसकी शिकायत की गई और कुछ तथ्य सामने आने के बाद 22 जुलाई 2022 को मामले में मुकदमा दर्ज कर दिया गया. इसके बाद ही मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया. खास बात यह है कि जब एसटीएफ ने जांच शुरू की तो कई तथ्य सामने आने लगे और मामले में कई गिरफ्तारियां होने लगी. पता चला कि करीब 15-15 लाख में एक पेपर बेचा गया. इस पूरे मामले पर 160 से ज्यादा अभ्यर्थियों के संदिग्ध होने की बात सामने आई.

पेपर लीक में गिरफ्तारियां भी हुईं: अभी एसटीएफ जांच कर ही रही थी की जांच के दौरान ही पता चला कि न केवल स्नातक स्तरीय परीक्षा बल्कि सचिवालय रक्षक फॉरेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक ज्यूडिशरी जैसी परीक्षाओं में भी धांधली की गई थी. मामले में एसटीएफ ने जांच आगे बढ़ाई और विभिन्न विभागों के कुछ कर्मचारियों की भी इसमें गिरफ्तारी होने लगी. इतना कुछ होने के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने इस्तीफा दे दिया. जबकि आयोग के सचिव संतोष बडोनी को निलंबित कर दिया गया जो अब तक निलंबित है. उधर दूसरी तरफ प्रकरण में 60 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. इस मामले में नकल माफिया हाकम सिंह और परीक्षा कराने वाली कंपनी के मालिक समेत परीक्षा पेपर लीक करने वाले कुछ मास्टरमाइंड की भी गिरफ्तारी की गई थी. इस दौरान 25 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया. इसके अलावा हाकम सिंह के साथ ही छह आरोपियों की करीब 20 करोड़ की संपत्ति भी कुर्क की गई.

उत्तराखंड में लागू है नकल विरोधी कानून: इन सभी स्थितियों के बीच प्रदेश में बेरोजगारों का विरोध भी शुरू हो गया और परीक्षाओं में पेपर लीक के जरिए युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ की भी बात कही जाने लगी. इन स्थितियों के बीच उत्तराखंड सरकार ने सख्त नकल विरोधी कानून लाने की तैयारी शुरू कर दी. राज्य में प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश 2023 को लागू कर दिया गया जिसमें कठोर कानून का प्रावधान किया गया. राज्य में 11 फरवरी 2023 को इस संबंध में अध्यादेश जारी किया गया, जबकि मार्च 2023 में उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 पास हो गया. राज्यपाल की मंजूरी के बाद इस कानून को देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून बताया गया.

इसके अलावा अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश (1997 में एक्ट पारित किया गया), उत्तर प्रदेश (1998 में एक्ट पारित किया गया) और राजस्थान (2022 में एक्ट पारित किया गया) में भी नकल को रोकने के लिए इसी तरह के कानून हैं. गुजरात और उत्तराखंड में नकल विरोधी कानूनों में सजा के कड़े प्रावधान हैं.

केंद्र और उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून में यह हैं प्रावधान-

  1. उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून के तहत दोषियों को 10 करोड़ तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया.
  2. केंद्र सरकार ने भी 10 साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना तय किया है.
  3. कानून के तहत पेपर लीक करने वाले माफियाओं की संपत्ति कुर्क करने का है प्रावधान.
  4. उत्तराखंड में पेपर लीक में शामिल अभ्यर्थियों को भी परीक्षाओं से कुछ साल के लिए डिबार करने का है नियम.

उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) कानून 2023 में ये हैं प्रावधान-

  1. उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या गलत साधनों का इस्तेमाल पाए जाने पर दोषी को आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान.
  2. यदि कोई व्यक्ति, सेवा देने वाली संस्था, प्रिंटिंग प्रेस, कोचिंग संस्थान आदि गलत साधनों में लिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना होगा.
  3. यदि भर्ती परीक्षा का कोई अभ्यर्थी के स्वयं नकल करते या कराते हुए अनुचित साधनों में शामिल पाए जाने पर तीन साल की सजा और न्यूनतम पांच लाख जुर्माने का प्रावधान.
  4. यदि वही अभ्यर्थी दूसरी बार भी किसी प्रतियोगी परीक्षा में फिर दोषी पाया जाता है तो उसपर न्यूनतम 10 वर्ष की सजा और न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
  5. नकल करते पाए जाने पर आरोपी अभ्यर्थी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी. चार्जशीट दाखिल होने की डेट से दो से पांच वर्ष के लिए उसे निलंबित किया जाएगा और दोषी साबित होने पर उस अभ्यर्थी को 10 वर्ष के लिए सभी परीक्षा देने से सस्पेंड कर दिया जाएगा.
  6. वहीं, अगर वही अभ्यर्थी दोबारा नकल करते पाया गया तो आरोप पत्र दाखिल करने से पांच से 10 साल के लिए निलंबित किया जाएगा और दोष साबित होने पर वो आजीवन प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने से रोक दिया जाएगा.
  7. इसके साथ ही, यदि कोई व्यक्ति परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा व 10 करोड़ रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है.
  8. सजा गैर जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल.
  9. दोषियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान.

इस तरह देखा जाए तो केंद्र सरकार परीक्षा से संबंधी जो कानून लाने जा रही है, उसमें काफी हद तक उत्तराखंड की झलक दिखाई देती है. हालांकि उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून केंद्र के मुकाबले काफी कड़ा है. इसमें सजा के प्रावधान भी केंद्र के प्रस्तावित कानून से ज्यादा कड़े हैं.
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Last Updated : Feb 8, 2024, 5:18 PM IST
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