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उत्तराखंड में किसानों को मालामाल बनाएगी रेशम, एक महीने में ऐसे कर सकते हैं छप्पर फाड़ कमाई! - Silk Production Uttarakhad

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 11, 2024, 4:45 PM IST

Updated : Sep 11, 2024, 6:35 PM IST

Cultivation of Silkworms to Produce Silk अगर आप भी कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो सेरीकल्चर यानी रेशम कीट पालन पर हाथ आजमा सकते हैं. जिसमें ज्यादा लागत भी नहीं लगती है. बस इसके लिए आपको शहतूत के पत्तों का इंतजाम करना होगा. बाकी रेशम कीट के बीज आपके जिलों में स्थित रेशम केंद्र से मिल जाएंगे. जिनका दाम आप बाद में चुका सकते हैं. यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें महज एक महीने का समय लगता है. जिसके बाद आपका रेशम तैयार हो जाता है. जिसे बेचकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं. ऐसे में आज आपको रेशम उत्पादन की प्रक्रिया से जुड़ी सभी जानकारियों से रूबरू करवाते हैं.

Silk Production Uttarakhad
उत्तराखंड में रेशम उत्पादन (फोटो- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. इसको लेकर तमाम योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं. साथ ही केंद्रीय रेशम मंत्रालय की ओर से उच्च गुणवत्ता वाले रेशम कीट पर भी अध्ययन किया जा रहा है. रेशम उत्पादन के जरिए किसान कम दिनों में ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि, रेशम उत्पादन की पूरी प्रक्रिया करीब एक महीने में संपन्न हो जाती है. बाजारों में रेशम करीब 400 से 500 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है.

उत्तराखंड में रेशम उत्पादन को लेकर वैज्ञानिकों से खास बातचीत (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून में शुरू हुआ था रेशम कीट बीज पर खोज का काम: केंद्रीय रेशम बोर्ड के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सरदार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय में रेशम कीट बीज का काम शुरू किया गया था. रेशम कीट बीज की खोज का काम साल 1985 में शुरू हुआ था. जिसका नतीजा है कि पूरे उत्तर भारत में देहरादून में खोजे गए रेशम कीट बीज का इस्तेमाल किया जाता है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम के कीट (फोटो- ETV Bharat)

चार तरह के होते हैं रेशम: उत्तर भारत में विश्व की सबसे उत्तम क्वालिटी की रेशम का उत्पादन किया जाता है. रेशम मुख्य रूप से चार तरह के होते हैं. इनमें शहतूती रेशम, तसर रेशम, मुगा रेशम और एरी रेशम शामिल हैं. चारों तरह के रेशम का व्यापार केवल भारत में होता है. जबकि, विश्व में सर्वाधिक रेशम उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम कीट के बीज (फोटो- ETV Bharat)

बीजागार में तैयार किया जाता है रेशम कीट का बीज: केंद्रीय रेशम बोर्ड के बीजागार में रेशम कीट का बीज तैयार किया जाता है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार के रेशम विभाग ने भी रेशम कीट का बीज तैयार करना शुरू कर दिया है. ऐसे में रेशम विभाग के जिलों में बने केंद्रों में बीज भेजा जाता है. जहां से किसानों को आसानी से रेशम का बीज उपलब्ध हो जाता है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम कीट पालन (फोटो- ETV Bharat)

ऐसे होता है रेशम उत्पादन: हालांकि, रेशम उत्पादन के लिए कई दौर की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. जिसके तहत पहले बीज से रेशम कीट को बाहर निकाला जाता है. इसके बाद करीब 10 दिनों तक विभागीय स्तर पर रेशम कीट का पालन किया जाता है, जिसे चाकी कीट पालन कहा जाता है.

चाकी कीट पालन के पहले चरण की प्रक्रिया 3 से 4 दिन में पूरी हो जाती है. इसके बाद कीट का साइज बढ़ने के बाद कीट को दूसरे चरण में भेजा जाता है, जहां कीट का विकास होता है. इसी तरह पांच चरण में कीट का पालन किया जाता है. जब कीड़ा रेशम बनाने के लिए तैयार हो जाता है, तो फिर उसे माउंटेज में रखा जाता है. जिसके बाद कीट कोकून बनाने लगता है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम बनने की प्रक्रिया (फोटो- ETV Bharat)

हालांकि, रेशम कीट बीज से कोकून बनने में करीब 25 दिन का समय लगता है. इसके बाद रेशम कीट कोकून बनाने के लिए तैयार हो जाता है. फिर करीब 2 से 3 दिन में कोकून भी लगभग बनकर तैयार हो जाता है. ऐसे में 2 से 3 दिनों के बाद कोकून को निकल लिया जाता है.

Cultivation of Silkworms to Produce Silk
उत्तराखंड में रेशम उत्पादन की स्थिति (फोटो- ETV Bharat GFX)

एक कोकून से निकलता है करीब 900 मीटर रेशम का धागा: वहीं, केंद्रीय रेशम बोर्ड के क्षेत्रीय रेशम तकनीकी सेवा केंद्र के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्र भट्ट ने बताया कि रेशम कीट जो अपने लिए कवच बनाता है, उसे कोकून कहते हैं. कोकून की पूरी प्रक्रिया 6 दिन में पूरी हो जाती है. जिसके बाद कोकून को निकाल लिया जाता है. इसके बाद मशीनों के जरिए कोकून को सुखाया जाता है. एक कोकून से करीब 900 मीटर रेशम का धागा मिलता है.

Silk Farming in Uttarakhand
पत्ते खाते रेशम के कीट (फोटो- ETV Bharat)

शहतूती रेशम की क्वालिटी होती है बढ़िया: कोकून की क्वालिटी की बात करें तो कोकून जितना सख्त होता है, उससे उतना ज्यादा लंबा रेशम मिलता है. साथ ही बताया कि शहतूती रेशम की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. हालांकि, इसके रेट का निर्धारण कमेटी करती है, जो कि कोकून की क्वालिटी पर निर्भर होती है. सामान्य रूप से करीब 400 से 500 रुपए प्रति किलो में बिकता है.

रेशम उत्पादन में तापमान की अहम भूमिका: भारत सरकार के क्षेत्रीय रेशम बोर्ड कार्यालय के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सरदार सिंह ने बताया कि रेशम कीट बीज से कीट निकलने और फिर 25 दिन की इस प्रक्रिया के दौरान कीट की संख्या 10 हजार गुना बढ़ जाती है. रेशम उत्पादन में तापमान की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है.

Silk Farming in Uttarakhand
कोकून में रेशम कीट (फोटो- ETV Bharat)

इन महीनों में होता है रेशम उत्पादन: क्योंकि, इसके लिए करीब 25 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, लेकिन इतना जरूर है कि पूरे साल इसका उत्पादन नहीं किया जा सकता है. प्राकृतिक रूप से मार्च से अप्रैल महीने के बीच इसका उत्पादन किया जा सकता है. इसके साथ ही सितंबर महीने में भी इसका उत्पादन किया जाता है.

केंद्रीय रेशम बोर्ड के अध्ययन में पाया गया है कि फरवरी से सितंबर के बीच दो बार रेशम उत्पादन किया जा सकता है. उसके लिए शहतूती रेशम कीट बीज उपयुक्त पाया गया है. ऐसे में जल्द ही उत्तराखंड रेशम विभाग, केंद्रीय रेशम बोर्ड के साथ मिलकर प्रयोग के तौर पर तीसरी फसल का काम शुरू करने जा रहा है.

Silk Farming in Uttarakhand
कोकून बनाती रेशम कीट (फोटो- ETV Bharat)

करीब 25 दिनों में रेशम का उत्पादन शुरू, विभाग मुहैया कराता है बीज: उन्होंने बताया कि रेशम कीट पालन के लिए एक अलग कमरे की जरूरत होती है. किसानों के लिए सबसे अच्छी बात ये है कि ये एक नकदी फसल है, जो करीब 25 दिनों में तैयार हो जाती है. रेशम उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि अगर किसान के पास शहतूत के पत्ते हैं तो बाकी चीजें उसे विभाग की ओर से सहायता के रूप में मिल जाता है.

यानी किसानों को रेशम कीट का बीज खुद तैयार नहीं करना है. बल्कि, रेशम विभाग के बीज केंद्र से किसानों को आसानी से रेशम कीट बीज मिल जाएगा. खास बात ये है कि जब किसान रेशम का उत्पादन कर लेता है तो तब किसान से रेशम कीट बीज की कीमत ली जाती है. कुल मिलाकर सबसे महत्वपूर्ण किसान के पास शहतूत के पत्तों की उपलब्धता होनी चाहिए.

उत्तराखंड में रेशम उत्पादन की कुछ जानकारियां-

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश के 6,469 किसानों को रेशम कीट उपलब्ध कराया गया. जिससे 311.59 मीट्रिक टन रेशम कोये का उत्पादन हुआ.
  • वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश के 6,691 किसानों को रेशम कीट उपलब्ध कराया गया. जिससे 234.82 मीट्रिक टन रेशम कोये का उत्पादन हुआ.
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश के 6,619 किसानों को रेशम कीट उपलब्ध कराया गया. जिससे 220.67 मीट्रिक टन रेशम कोये का उत्पादन हुआ था.

चलाई जा रही सिल्क समग्र योजना: सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सरदार सिंह ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सिल्क समग्र योजना चलाई जा रही है. जिसके तहत रेशम उत्पादन के लिए शहतूत का पेड़ लगाने, घर बनाने और दवाई के लिए तमाम सहूलियत दी जा रही है. वहीं, किसान अपने रेशम को अपने जिले में स्थित में बेच सकते हैं. जहां उनकी रेशम की क्वालिटी देखकर नीलामी की जाती है.

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देहरादून: उत्तराखंड में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. इसको लेकर तमाम योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं. साथ ही केंद्रीय रेशम मंत्रालय की ओर से उच्च गुणवत्ता वाले रेशम कीट पर भी अध्ययन किया जा रहा है. रेशम उत्पादन के जरिए किसान कम दिनों में ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि, रेशम उत्पादन की पूरी प्रक्रिया करीब एक महीने में संपन्न हो जाती है. बाजारों में रेशम करीब 400 से 500 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है.

उत्तराखंड में रेशम उत्पादन को लेकर वैज्ञानिकों से खास बातचीत (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून में शुरू हुआ था रेशम कीट बीज पर खोज का काम: केंद्रीय रेशम बोर्ड के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सरदार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय में रेशम कीट बीज का काम शुरू किया गया था. रेशम कीट बीज की खोज का काम साल 1985 में शुरू हुआ था. जिसका नतीजा है कि पूरे उत्तर भारत में देहरादून में खोजे गए रेशम कीट बीज का इस्तेमाल किया जाता है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम के कीट (फोटो- ETV Bharat)

चार तरह के होते हैं रेशम: उत्तर भारत में विश्व की सबसे उत्तम क्वालिटी की रेशम का उत्पादन किया जाता है. रेशम मुख्य रूप से चार तरह के होते हैं. इनमें शहतूती रेशम, तसर रेशम, मुगा रेशम और एरी रेशम शामिल हैं. चारों तरह के रेशम का व्यापार केवल भारत में होता है. जबकि, विश्व में सर्वाधिक रेशम उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम कीट के बीज (फोटो- ETV Bharat)

बीजागार में तैयार किया जाता है रेशम कीट का बीज: केंद्रीय रेशम बोर्ड के बीजागार में रेशम कीट का बीज तैयार किया जाता है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार के रेशम विभाग ने भी रेशम कीट का बीज तैयार करना शुरू कर दिया है. ऐसे में रेशम विभाग के जिलों में बने केंद्रों में बीज भेजा जाता है. जहां से किसानों को आसानी से रेशम का बीज उपलब्ध हो जाता है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम कीट पालन (फोटो- ETV Bharat)

ऐसे होता है रेशम उत्पादन: हालांकि, रेशम उत्पादन के लिए कई दौर की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. जिसके तहत पहले बीज से रेशम कीट को बाहर निकाला जाता है. इसके बाद करीब 10 दिनों तक विभागीय स्तर पर रेशम कीट का पालन किया जाता है, जिसे चाकी कीट पालन कहा जाता है.

चाकी कीट पालन के पहले चरण की प्रक्रिया 3 से 4 दिन में पूरी हो जाती है. इसके बाद कीट का साइज बढ़ने के बाद कीट को दूसरे चरण में भेजा जाता है, जहां कीट का विकास होता है. इसी तरह पांच चरण में कीट का पालन किया जाता है. जब कीड़ा रेशम बनाने के लिए तैयार हो जाता है, तो फिर उसे माउंटेज में रखा जाता है. जिसके बाद कीट कोकून बनाने लगता है.

Silk Farming in Uttarakhand
रेशम बनने की प्रक्रिया (फोटो- ETV Bharat)

हालांकि, रेशम कीट बीज से कोकून बनने में करीब 25 दिन का समय लगता है. इसके बाद रेशम कीट कोकून बनाने के लिए तैयार हो जाता है. फिर करीब 2 से 3 दिन में कोकून भी लगभग बनकर तैयार हो जाता है. ऐसे में 2 से 3 दिनों के बाद कोकून को निकल लिया जाता है.

Cultivation of Silkworms to Produce Silk
उत्तराखंड में रेशम उत्पादन की स्थिति (फोटो- ETV Bharat GFX)

एक कोकून से निकलता है करीब 900 मीटर रेशम का धागा: वहीं, केंद्रीय रेशम बोर्ड के क्षेत्रीय रेशम तकनीकी सेवा केंद्र के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्र भट्ट ने बताया कि रेशम कीट जो अपने लिए कवच बनाता है, उसे कोकून कहते हैं. कोकून की पूरी प्रक्रिया 6 दिन में पूरी हो जाती है. जिसके बाद कोकून को निकाल लिया जाता है. इसके बाद मशीनों के जरिए कोकून को सुखाया जाता है. एक कोकून से करीब 900 मीटर रेशम का धागा मिलता है.

Silk Farming in Uttarakhand
पत्ते खाते रेशम के कीट (फोटो- ETV Bharat)

शहतूती रेशम की क्वालिटी होती है बढ़िया: कोकून की क्वालिटी की बात करें तो कोकून जितना सख्त होता है, उससे उतना ज्यादा लंबा रेशम मिलता है. साथ ही बताया कि शहतूती रेशम की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. हालांकि, इसके रेट का निर्धारण कमेटी करती है, जो कि कोकून की क्वालिटी पर निर्भर होती है. सामान्य रूप से करीब 400 से 500 रुपए प्रति किलो में बिकता है.

रेशम उत्पादन में तापमान की अहम भूमिका: भारत सरकार के क्षेत्रीय रेशम बोर्ड कार्यालय के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सरदार सिंह ने बताया कि रेशम कीट बीज से कीट निकलने और फिर 25 दिन की इस प्रक्रिया के दौरान कीट की संख्या 10 हजार गुना बढ़ जाती है. रेशम उत्पादन में तापमान की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है.

Silk Farming in Uttarakhand
कोकून में रेशम कीट (फोटो- ETV Bharat)

इन महीनों में होता है रेशम उत्पादन: क्योंकि, इसके लिए करीब 25 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, लेकिन इतना जरूर है कि पूरे साल इसका उत्पादन नहीं किया जा सकता है. प्राकृतिक रूप से मार्च से अप्रैल महीने के बीच इसका उत्पादन किया जा सकता है. इसके साथ ही सितंबर महीने में भी इसका उत्पादन किया जाता है.

केंद्रीय रेशम बोर्ड के अध्ययन में पाया गया है कि फरवरी से सितंबर के बीच दो बार रेशम उत्पादन किया जा सकता है. उसके लिए शहतूती रेशम कीट बीज उपयुक्त पाया गया है. ऐसे में जल्द ही उत्तराखंड रेशम विभाग, केंद्रीय रेशम बोर्ड के साथ मिलकर प्रयोग के तौर पर तीसरी फसल का काम शुरू करने जा रहा है.

Silk Farming in Uttarakhand
कोकून बनाती रेशम कीट (फोटो- ETV Bharat)

करीब 25 दिनों में रेशम का उत्पादन शुरू, विभाग मुहैया कराता है बीज: उन्होंने बताया कि रेशम कीट पालन के लिए एक अलग कमरे की जरूरत होती है. किसानों के लिए सबसे अच्छी बात ये है कि ये एक नकदी फसल है, जो करीब 25 दिनों में तैयार हो जाती है. रेशम उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि अगर किसान के पास शहतूत के पत्ते हैं तो बाकी चीजें उसे विभाग की ओर से सहायता के रूप में मिल जाता है.

यानी किसानों को रेशम कीट का बीज खुद तैयार नहीं करना है. बल्कि, रेशम विभाग के बीज केंद्र से किसानों को आसानी से रेशम कीट बीज मिल जाएगा. खास बात ये है कि जब किसान रेशम का उत्पादन कर लेता है तो तब किसान से रेशम कीट बीज की कीमत ली जाती है. कुल मिलाकर सबसे महत्वपूर्ण किसान के पास शहतूत के पत्तों की उपलब्धता होनी चाहिए.

उत्तराखंड में रेशम उत्पादन की कुछ जानकारियां-

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश के 6,469 किसानों को रेशम कीट उपलब्ध कराया गया. जिससे 311.59 मीट्रिक टन रेशम कोये का उत्पादन हुआ.
  • वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश के 6,691 किसानों को रेशम कीट उपलब्ध कराया गया. जिससे 234.82 मीट्रिक टन रेशम कोये का उत्पादन हुआ.
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश के 6,619 किसानों को रेशम कीट उपलब्ध कराया गया. जिससे 220.67 मीट्रिक टन रेशम कोये का उत्पादन हुआ था.

चलाई जा रही सिल्क समग्र योजना: सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सरदार सिंह ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सिल्क समग्र योजना चलाई जा रही है. जिसके तहत रेशम उत्पादन के लिए शहतूत का पेड़ लगाने, घर बनाने और दवाई के लिए तमाम सहूलियत दी जा रही है. वहीं, किसान अपने रेशम को अपने जिले में स्थित में बेच सकते हैं. जहां उनकी रेशम की क्वालिटी देखकर नीलामी की जाती है.

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Last Updated : Sep 11, 2024, 6:35 PM IST
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