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जो ककई ईंटें राम मंदिर फैसले में बनी थी साक्ष्य, उन ईंटों से बना है ये मंदिर, इस देवता की होती पूजन - Shri Krishna Janmashtami 2024

फतेहपुर में मध्यकालीन शैली से निर्मित भगवान श्री विष्णु का ऐतिहासिक मंदिर है. यहां कमलनक पुष्प पर श्री विष्णु भगवान की मूर्ति विराजमान है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है.

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ऐतिहासिक भगवान श्री विष्णु का मंदिर (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 26, 2024, 10:12 AM IST

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के जनपद फतेहपुर स्थित बिंदकी तहसील के तेंदुली गांव में मध्यकालीन शैली पर बना भगवान विष्णु का उत्कृष्ट मन्दिर है. यहां पर स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा को क्षेत्र में चर्तुभुजी बाबा के नाम से जाना जाता है. वैसे तो यहां हमेशा श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहा है, लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. क्योंकि श्रीकृष्ण को भगवान श्री विष्णु का अवतार माना जाता है. ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. यहां कमलनक पुष्प पर श्री विष्णु भगवान की मूर्ति विराजमान है.

ककई ईंटों से निर्मित मंदिर की कंगूरेदार छत अनूठी वास्तुकला की मिसाल पेश करती है. इसे सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बना है. इसमें अब तक देखी गई सबसे उत्कृष्ट ईंटें (ककई ईंट) हैं. ये ककई ईंट अयोध्या राममंदिर के फैसले में काम आई थी. इस गर्भ गृह में कमल पर खड़ी प्रतिमा आस्था-भक्ति का केंद्र बनी हुई है. विरासत में मिली धरोहर किसी समाज और जिले के लिए उसकी पूंजी होती है, इसलिए जनपद वासियों के प्रयास से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंदिर की प्राचीनता और वास्तुकला को देखते हुए वर्ष 1996 में इस मंदिर का अधिग्रहण किया था.

पूर्वाभिमुख देवालय का बाहरी हिस्सा पुरानी ईंटों का बना हुआ है. गर्भगृह में कमल के आकर में बने चबूतरे में भगवान विष्णु की चार भुजा वाली खड़ी मूर्ति स्थापित है. ऐसी मान्यता है, कि यह मंदिर 18 वीं शताब्दी का बना हुआ है, जिसमें वास्तु का अनूठा संगम है. मंदिर के साथ एक द्वार मंडप बना हुआ है. जिसमें, इस्लामी वास्तु का प्रभाव झलकता है. चर्तुभुजी बाबा के नाम से चर्चित इस मंदिर से गांव की नहीं, आसपास के जिले के लोगों की भी आस्था जुड़ी हुई है.

इसे भी पढ़े-प्रयागराज के इस्कॉन मंदिर में 12 पवित्र नदियों के जल से होगा कान्हा का अभिषेक, वृंदावन से मंगाई गई पोशाक - ISKCON temple Prayagraj

रख-रखाव के अभाव के कारण प्राचीनता का गवाह यह मंदिर दिनों-दिन जीर्ण-शीर्ण होता जा रहा है. मंदिर की वास्तु कला को सहेजने के कोई प्रयास न करने से इस गांव के ग्रामीणों में काफी रोष है. ग्रामीण रामभवन कहते हैं, कि मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन हो जाने से ग्रामीण चंदा करके मंदिर में नया निर्माण भी नहीं करा सकते. विभाग को चाहिए, कि भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिर को नया रूप दें.

वहीं, पुजारी राजू महाराज का कहना है, कि वो मंदिर में स्थाई पुजारी नहीं है. लेकिन, गांव के ही है. चर्तुभुजी बाबा में आस्था होने के कारण मन्दिर में पूजा करते हैं. वैसे मन्दिर में कोई पुजारी नहीं है, लेकिन पूरे गांव और अन्य जिलों के लोग भी इस मंदिर में माथा टेकने आते हैं. तेंदुली का विष्णु मंदिर जिले की अप्रतिम धरोहर है. इसमें उपयोग की गई ईंट, कंगूरीदार छत की नक्काशी में मध्यकालीन शैली के दर्शन होते हैं.

तो वहीं, गांव के 92 वर्षीय रमेश कुमार तिवारी ने बताया, कि भगवान विष्णु की चार भुजा वाली विशालकाय मूर्ति 35 साल पहले चोरी कर ली गई थी. गांव के लोगों ने चंदा करके चित्रकूट से भगवान विष्णु की चर्तुभुज मूर्ति लाकर स्थापित कराया है. मंदिर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बना है और इसमें अब तक देखी गई सबसे उत्कृष्ट ईंटें (ककई ईंट) हैं

यह भी पढ़े-मीराबाई करती थीं इस मंदिर में पूजा, जन्माष्टमी पर जानें गिरधर गोपाल की अनसुनी कहानी - Janmashtami 2024

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के जनपद फतेहपुर स्थित बिंदकी तहसील के तेंदुली गांव में मध्यकालीन शैली पर बना भगवान विष्णु का उत्कृष्ट मन्दिर है. यहां पर स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा को क्षेत्र में चर्तुभुजी बाबा के नाम से जाना जाता है. वैसे तो यहां हमेशा श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहा है, लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. क्योंकि श्रीकृष्ण को भगवान श्री विष्णु का अवतार माना जाता है. ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. यहां कमलनक पुष्प पर श्री विष्णु भगवान की मूर्ति विराजमान है.

ककई ईंटों से निर्मित मंदिर की कंगूरेदार छत अनूठी वास्तुकला की मिसाल पेश करती है. इसे सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बना है. इसमें अब तक देखी गई सबसे उत्कृष्ट ईंटें (ककई ईंट) हैं. ये ककई ईंट अयोध्या राममंदिर के फैसले में काम आई थी. इस गर्भ गृह में कमल पर खड़ी प्रतिमा आस्था-भक्ति का केंद्र बनी हुई है. विरासत में मिली धरोहर किसी समाज और जिले के लिए उसकी पूंजी होती है, इसलिए जनपद वासियों के प्रयास से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंदिर की प्राचीनता और वास्तुकला को देखते हुए वर्ष 1996 में इस मंदिर का अधिग्रहण किया था.

पूर्वाभिमुख देवालय का बाहरी हिस्सा पुरानी ईंटों का बना हुआ है. गर्भगृह में कमल के आकर में बने चबूतरे में भगवान विष्णु की चार भुजा वाली खड़ी मूर्ति स्थापित है. ऐसी मान्यता है, कि यह मंदिर 18 वीं शताब्दी का बना हुआ है, जिसमें वास्तु का अनूठा संगम है. मंदिर के साथ एक द्वार मंडप बना हुआ है. जिसमें, इस्लामी वास्तु का प्रभाव झलकता है. चर्तुभुजी बाबा के नाम से चर्चित इस मंदिर से गांव की नहीं, आसपास के जिले के लोगों की भी आस्था जुड़ी हुई है.

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रख-रखाव के अभाव के कारण प्राचीनता का गवाह यह मंदिर दिनों-दिन जीर्ण-शीर्ण होता जा रहा है. मंदिर की वास्तु कला को सहेजने के कोई प्रयास न करने से इस गांव के ग्रामीणों में काफी रोष है. ग्रामीण रामभवन कहते हैं, कि मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन हो जाने से ग्रामीण चंदा करके मंदिर में नया निर्माण भी नहीं करा सकते. विभाग को चाहिए, कि भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिर को नया रूप दें.

वहीं, पुजारी राजू महाराज का कहना है, कि वो मंदिर में स्थाई पुजारी नहीं है. लेकिन, गांव के ही है. चर्तुभुजी बाबा में आस्था होने के कारण मन्दिर में पूजा करते हैं. वैसे मन्दिर में कोई पुजारी नहीं है, लेकिन पूरे गांव और अन्य जिलों के लोग भी इस मंदिर में माथा टेकने आते हैं. तेंदुली का विष्णु मंदिर जिले की अप्रतिम धरोहर है. इसमें उपयोग की गई ईंट, कंगूरीदार छत की नक्काशी में मध्यकालीन शैली के दर्शन होते हैं.

तो वहीं, गांव के 92 वर्षीय रमेश कुमार तिवारी ने बताया, कि भगवान विष्णु की चार भुजा वाली विशालकाय मूर्ति 35 साल पहले चोरी कर ली गई थी. गांव के लोगों ने चंदा करके चित्रकूट से भगवान विष्णु की चर्तुभुज मूर्ति लाकर स्थापित कराया है. मंदिर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बना है और इसमें अब तक देखी गई सबसे उत्कृष्ट ईंटें (ककई ईंट) हैं

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