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मंडी की नदियों-झीलों में इन प्रवासी पक्षियों ने डाला डेरा, इस साल घटी संख्या - मंडी में प्रवासी पक्षी

Shortage of Migratory Birds in Mandi Rivers and lakes: हिमाचल प्रदेश में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षी आते हैं और चार माह तक यही डेरा लगाते हैं. मंडी जिले की नदियों और झीलों में भी हर साल ठंड के दिनों में प्रवासी पक्षियों की भरमार रहती है, लेकिन वन विभाग के अनुसार इस साल पिछले सालों के मुकाबले कम प्रवासी पक्षियों ने मंडी जिले का रुख किया है.

Shortage of Migratory Birds in Mandi Rivers and lakes
Shortage of Migratory Birds in Mandi Rivers and lakes
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 8, 2024, 8:43 AM IST

Updated : Feb 8, 2024, 12:07 PM IST

Shortage of Migratory Birds in Mandi Rivers and lakes

मंडी: सर्दियों के मौसम में हर साल हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले की नदियों व जलाशयों में हजारों प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. आसमान में हजारों किलोमीटर की यात्रा तय कर यह प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते हैं और तीन से चार माह तक यही डेरा डाले रहतें हैं, लेकिन गत वर्षों के मुकाबले इस साल इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है. इसका मुख्य कारण मौसम में हुई तब्दीली माना जा रहा है. सितंबर महीने के बाद हिमाचल प्रदेश में ड्राई स्पेल शुरू हो गया जो कि अब जाकर बारिश और बर्फबारी से खत्म हुआ है. पिछले हफ्ते तक प्रदेश में मौसम शुष्क ही बना हुआ था और घने कोहरे के साथ कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी.

मंडी की नदियों-झीलों में पहुंचे ये प्रवासी पक्षी: मंडी जिले की बात करें तो ब्यास नदी, पंडोह डैम, लारजी डैम, रिवालसर झील और सुंदरनगर झील में प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है. आए हुए प्रवासी पक्षियों में कॉमन कूट, टफ्ड डक, मल्लार्ड, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, लिटिल ग्रीबे, कार्मोरेंट आदि प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं. यह प्रवासी पक्षी अपने देशों में पारा माइनस में चले जाने के चलते बड़ी संख्या में तीन से चार महीनों के लिए प्रवास पर यहां आते हैं, लेकिन इस साल इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी देखी गई है.

पक्षियों की निगरानी के लिए फील्ड स्टाफ तैनात: हालांकि वन विभाग इनकी कोई गणना तो नहीं करता, लेकिन अनुमान के आधार पर ही इनकी संख्या तय की जाती है. मुख्य अरण्यपाल वन वृत मंडी अजीत ठाकुर ने बताया कि हर साल यह प्रवासी पक्षी दिसंबर के महीने में आते हैं और फरवरी महीने के अंत तक वापिस चले जाते हैं. इस दौरान फिल्ड स्टाफ को इन पक्षियों पर निगरानी रखने के निर्देश दे दिए गए हैं, ताकि इनके साथ किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ न हो सके.

ये भी पढ़ें: 'मिनी स्विट्जरलैंड' की सुंदरता के आगे कुल्लू-मनाली सब फेल!, बर्फबारी के बाद डलहौजी में दिखा जन्नत सा नजारा

Shortage of Migratory Birds in Mandi Rivers and lakes

मंडी: सर्दियों के मौसम में हर साल हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले की नदियों व जलाशयों में हजारों प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. आसमान में हजारों किलोमीटर की यात्रा तय कर यह प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते हैं और तीन से चार माह तक यही डेरा डाले रहतें हैं, लेकिन गत वर्षों के मुकाबले इस साल इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है. इसका मुख्य कारण मौसम में हुई तब्दीली माना जा रहा है. सितंबर महीने के बाद हिमाचल प्रदेश में ड्राई स्पेल शुरू हो गया जो कि अब जाकर बारिश और बर्फबारी से खत्म हुआ है. पिछले हफ्ते तक प्रदेश में मौसम शुष्क ही बना हुआ था और घने कोहरे के साथ कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी.

मंडी की नदियों-झीलों में पहुंचे ये प्रवासी पक्षी: मंडी जिले की बात करें तो ब्यास नदी, पंडोह डैम, लारजी डैम, रिवालसर झील और सुंदरनगर झील में प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है. आए हुए प्रवासी पक्षियों में कॉमन कूट, टफ्ड डक, मल्लार्ड, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, लिटिल ग्रीबे, कार्मोरेंट आदि प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं. यह प्रवासी पक्षी अपने देशों में पारा माइनस में चले जाने के चलते बड़ी संख्या में तीन से चार महीनों के लिए प्रवास पर यहां आते हैं, लेकिन इस साल इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी देखी गई है.

पक्षियों की निगरानी के लिए फील्ड स्टाफ तैनात: हालांकि वन विभाग इनकी कोई गणना तो नहीं करता, लेकिन अनुमान के आधार पर ही इनकी संख्या तय की जाती है. मुख्य अरण्यपाल वन वृत मंडी अजीत ठाकुर ने बताया कि हर साल यह प्रवासी पक्षी दिसंबर के महीने में आते हैं और फरवरी महीने के अंत तक वापिस चले जाते हैं. इस दौरान फिल्ड स्टाफ को इन पक्षियों पर निगरानी रखने के निर्देश दे दिए गए हैं, ताकि इनके साथ किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ न हो सके.

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Last Updated : Feb 8, 2024, 12:07 PM IST
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