बाराबंकी: करीब 8 वर्ष पूर्व एक दुकानदार की गैर इरादतन हत्या मामले में कोर्ट ने दो सगे भाइयों और उनके पिता को 10-10 वर्ष कठोर कारावास और 6-6 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. यह फैसला सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट कमलकांत श्रीवास्तव ने सुनाया. दुकानदार ने अपना 70 रुपये बकाया मांगा था. इस पर उसकी हत्या कर दी गई थी.
सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी मथुरा प्रसाद वर्मा ने बताया कि बड़डूपुर थाना क्षेत्र के ममरखापुरवा गांव में 24 मार्च 2016 को होली के त्योहार के दिन करीब साढ़े 7 बजे शाम वादी मुकदमा रफीक का पिता बाबू गांव में अपनी दुकान पर बैठा था. उसी बीच गांव का ही सोनू वर्मा कुछ सौदा लेने गया था.
बाबू ने कहा कि पिछला 70 रुपये बकाया दे दो और सौदा ले जाओ. तभी सोनू बाबू को गालियां देने लगा. थोड़ी देर बाद जब बाबू अपने घर पहुंचा तो सोनू वर्मा पुत्र दिलीप वर्मा, अनुज वर्मा उर्फ छोटू, अंचित वर्मा पुत्र दिलीप वर्मा और दिलीप वर्मा लाठी, डंडा, थुनिहा और चारपाई की पाटी से बाबू को मारने लगे. बाबू के शोर मचाने पर घर के लोग रफीक, शफीक और पड़ोसी बचाने आए तो इन लोगों ने उनको भी मारा-पीटा.
बाबू और शफीक को गम्भीर चोट लगने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद मेडिकल कॉलेज लखनऊ रेफर कर दिया गया. वहां इलाज के दौरान उसी दिन बाबू की मौत हो गई, जबकि घायल शफीक का इलाज हुआ और वह ठीक हो गया. बाबू के बेटे रफीक की तहरीर पर आईपीसी की धारा 147, 149, 304, 323, 504, 506 में मुकदमा लिखकर पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. तत्कालीन विवेचक द्वारा साक्ष्य संकलित किए गए.
विवेचना के दौरान दो नाम प्रदीप वर्मा और अशोक वर्मा पुत्र स्वर्गीय कालिका निवासी बाराबंकी प्रकाश में आए. लिहाजा, विवेचक सब इंस्पेक्टर बृजेश कुमार सिंह ने 6 आरोपियों सोनू वर्मा, अंचित वर्मा पुत्र दिलीप वर्मा, दिलीप वर्मा, प्रदीप वर्मा और अशोक वर्मा के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट फाइल की. इस मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए.
गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी सोनू वर्मा और अंचित वर्मा पुत्र दिलीप वर्मा और दिलीप वर्मा को दोषी करार दिया. सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश कमलकांत श्रीवास्तव ने तीनों दोषियों को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और 6-6 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. एक आरोपी नाबालिग था, इसलिए उसका विचारण जुवेनाइल कोर्ट में विचाराधीन है. बाकी के दो आरोपियों अशोक वर्मा और प्रदीप वर्मा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.
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