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नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को हाईकोर्ट से झटका, याचिका खारिज - High Court News - HIGH COURT NEWS

नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 19, 2024, 10:11 PM IST

प्रयागराज: नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने सीबीआई की गाजियाबाद की विशेष अदालत के उस आदेश के खिलाफ यादव सिंह की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है, जिसमें विशेष अदालत ने धारा 88 के तहत पूरक चार्जशीट में जमानत बांड स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यादव सिंह सीआरपीसी की धारा 88 का लाभ पाने के हकदार नहीं हैं. वे नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं. यदि जमानत अर्जी देते हैं तो विशेष अदालत नियमानुसार तय करें. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने यादव सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा कि पूरक चार्जशीट अलग करार बांड से संबंधित है. कुल 1280 करार बांड 954.38 करोड़ का ठेका दिया गया. सीबीआई ने तीन चार्जशीट दाखिल की और बाद में अलग करार बांड पर पूरक चार्जशीट दाखिल की है. इसमें पहले की चार्जशीट में जमानत मिलने के आधार पर जमानत बांड स्वीकार नहीं किया जा सकता. पूरक चार्जशीट मामले में याची को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. अब वह धारा 88 के तहत तीन चार्जशीट में जमानत मिलने के आधार पर इसमें भी जमानत बांड स्वीकार करने की मांग नहीं कर सकता. उसे नियमित जमानत अर्जी देनी होगी. सीबीआई कोर्ट के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है.

मालूम हो कि 13 जनवरी 12 को थाना सेक्टर 39 नोएडा, गौतमबुद्धनगर में धोखाधड़ी, गबन, भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसे जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दाखिल जनहित याचिका पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया. जिसने याची के खिलाफ विभिन्न मामलों में तीन चार्जशीट दाखिल की. जिसमें आय से अधिक संपत्ति का भी केस बना. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. इसके बाद सीबीआई ने अलग बांड पर पूरक चार्जशीट दाखिल की. जिसमें याची ने धारा 88 के तहत जमानत बांड स्वीकार करने की अर्जी दी. विशेष अदालत ने खारिज कर दी. जिसे चुनौती दी गई थी.

कोर्ट ने कहा कानून है कि गैर जमानती अपराध में सम्मन जारी किया गया और आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी गई तो वह धारा 88का लाभ नहीं ले सकेगा. विशेष अदालत का आदेश सही है. वह नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है.

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, अनुकंपा नियुक्ति में कर्मचारी की मृत्यु के समय लागू नियम ही मान्य - Compassionate Appointment

प्रयागराज: नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने सीबीआई की गाजियाबाद की विशेष अदालत के उस आदेश के खिलाफ यादव सिंह की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है, जिसमें विशेष अदालत ने धारा 88 के तहत पूरक चार्जशीट में जमानत बांड स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यादव सिंह सीआरपीसी की धारा 88 का लाभ पाने के हकदार नहीं हैं. वे नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं. यदि जमानत अर्जी देते हैं तो विशेष अदालत नियमानुसार तय करें. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने यादव सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा कि पूरक चार्जशीट अलग करार बांड से संबंधित है. कुल 1280 करार बांड 954.38 करोड़ का ठेका दिया गया. सीबीआई ने तीन चार्जशीट दाखिल की और बाद में अलग करार बांड पर पूरक चार्जशीट दाखिल की है. इसमें पहले की चार्जशीट में जमानत मिलने के आधार पर जमानत बांड स्वीकार नहीं किया जा सकता. पूरक चार्जशीट मामले में याची को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. अब वह धारा 88 के तहत तीन चार्जशीट में जमानत मिलने के आधार पर इसमें भी जमानत बांड स्वीकार करने की मांग नहीं कर सकता. उसे नियमित जमानत अर्जी देनी होगी. सीबीआई कोर्ट के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है.

मालूम हो कि 13 जनवरी 12 को थाना सेक्टर 39 नोएडा, गौतमबुद्धनगर में धोखाधड़ी, गबन, भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसे जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दाखिल जनहित याचिका पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया. जिसने याची के खिलाफ विभिन्न मामलों में तीन चार्जशीट दाखिल की. जिसमें आय से अधिक संपत्ति का भी केस बना. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. इसके बाद सीबीआई ने अलग बांड पर पूरक चार्जशीट दाखिल की. जिसमें याची ने धारा 88 के तहत जमानत बांड स्वीकार करने की अर्जी दी. विशेष अदालत ने खारिज कर दी. जिसे चुनौती दी गई थी.

कोर्ट ने कहा कानून है कि गैर जमानती अपराध में सम्मन जारी किया गया और आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी गई तो वह धारा 88का लाभ नहीं ले सकेगा. विशेष अदालत का आदेश सही है. वह नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है.

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