शिवपुरी: जिले की पिछोर विधानसभा क्षेत्र के गांव पिपारा में गांव से बाहर जाने वाला मुख्य रास्ता कीचड़ से भरा हुआ है. यहां से निकलने में ग्रामीणों और बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं पर उनको शिक्षा ग्रहण करने में सड़क बांधा बनी हुई है.
स्कूली बच्चों को निकलने में होती है भारी परेशानी
पिछोर विधानसभा के ग्राम पिपारा पंचायत के मुख्य गांव पिपारा में बच्चों को हर रोज स्कूल जाने के लिए कीचड़ के रास्ते से होकर गुजरना पड़ता हैं. कंधों पर स्कूली बैग और हाथ में जूते-चप्पल लेकर हर रोज करीब 100 मीटर से अधिक कीचड़ से भरे रास्ते से निकलकर बच्चे स्कूल पहुंचते हैं. इतना ही नहीं, जो स्कूली बच्चे बहुत छोटे होते हैं. उन्हें परिजन अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाते हैं. इस पर ग्रामीण कहना है कि, "हम वर्षों से इसी तरह से नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं."
ग्रामीण कीचड़युक्त रास्ते से निकलने को मजबूर
ग्रामीण रामलखन लोधी ने सरपंच पर आरोप लगाते हुए बताया कि "कुछ ग्रामीणों के कहने पर सरपंच गांव के इस मार्ग को बनने नहीं दे रहे. जिससे रोजाना ग्रामीणों सहित बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस सड़क के दूसरे हिस्से में करीब 25 परिवार निवास करते हैं. ऐसे में अगर किसी प्रसूता को डिलीवरी के लिए ले जाना होता है, तो बड़ी कठनाइयों को सामना करना पड़ता है. गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. जिसकी वजह से कई बार जान पर बन आती है."
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कुछ परिवारों की वजह से नहीं बन पा रही सड़क
इस मामले में जब सरपंच धनिया जाटव और सचिव वीरेंद्र पटेल से बात की गई, तो सरपंच और सचिव ने विवाद का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया. सरपंच का कहना था कि "इस मार्ग पर कुछ परिवार सड़क निर्माण पर विवाद करते हैं. इसके चलते सड़क निर्माण का कार्य नहीं हो सका है." वहीं, सचिव वीरेंद्र पटेल ने कहा कि "पांच साल से इस मार्ग पर शेड्यूल संपर्क सड़क स्वीकृत है. साथ ही अब नाली भी स्वीकृत हो गई है, लेकिन कुछ परिवार सड़क अपने हिसाब से डाले जाने की मांग करते हैं. इस कारण सड़क निर्माण का कार्य नहीं हो सका है."