शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने करूणामूलक आधार पर नौकरी पाने के लिए बोनाफाइड हिमाचली की शर्त को असंवैधानिक ठहराया है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि कानून किसी व्यक्ति को ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं करता, जो उसके लिए संभव ना हो. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि ऐसा करना असंवैधानिक है. मामले के अनुसार अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति चाहने वाले एक अभ्यर्थी पर हिमाचली बोनाफाइड प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए दबाव डाला जा रहा था. अभ्यर्थी ऐसे सर्टिफिकेट को प्रस्तुत नहीं कर सकता था क्योंकि वह वास्तविक हिमाचली नहीं था.
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी साहिल शर्मा की तरफ से दाखिल की गई याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के हिमाचली बोनाफाइड प्रमाण पत्र न होने के आधार पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के मामले को खारिज करने का प्रतिवादियों का कार्य अपने आप में गलत है.
प्रतिवादियों का यह कदम कानून की नजर में टिकने योग्य नहीं है. अदालत का कहना था कि क्योंकि करुणामूलक आधार पर नियुक्ति को ऐसे ग्राउंड पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत हो.
कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी में कोई अन्य कमी नहीं बताई गई है इसलिए उपरोक्त तथ्यों और कानूनी पहलुओं को देखते हुए यह याचिका स्वीकार की जाती है.
क्या है पूरा मामला ?
मामले के अनुसार मां श्री नैना देवी जी टेंपल ट्रस्ट की तरफ से 27 जनवरी 2022 को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता का मामला इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उसके पास बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण पत्र नहीं था. कोर्ट ने इस शर्त को असंवैधानिक करार देते हुए प्रतिवादियों को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर तुरंत नियुक्ति प्रदान करें.
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता साहिल शर्मा के दिवंगत पिता मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारी थे. उनका 12 फरवरी 2021 को देहांत हो गया था. याचिकाकर्ता ने मंदिर ट्रस्ट की नीति के अनुसार अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. याचिकाकर्ता के मामले को मंदिर ट्रस्ट ने इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसके पास बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण पत्र नहीं है. अब हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक ठहराते हुए याचिकाकर्ता को तुरंत नौकरी देने के आदेश जारी किए हैं.
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