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संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई आज, अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में वक्फ बोर्ड पेश करेगा शपथ पत्र

संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण मामले को लेकर अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में सुनवाई आज है.

SANJAULI MASJID CONTROVERSY
संजौली मस्जिद विवाद मामला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 22, 2024, 7:39 AM IST

शिमला: राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में स्थित मस्जिद से जुड़े विवाद में आज यानी शुक्रवार को अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत में वक्फ बोर्ड की तरफ से शपथ पत्र दाखिल किया जाएगा. पिछली सुनवाई के दौरान सोमवार 18 नवंबर को अदालत ने वक्फ बोर्ड से एक शपथ पत्र दाखिल करने को कहा था. इस मामले में मस्जिद कमेटी संजौली की तरफ से नगर निगम आयुक्त की अदालत में एक आग्रह पत्र पेश किया गया था. उस आग्रह पत्र में कहा गया था कि अगर एमसी कोर्ट अनुमति दे तो वे मस्जिद की ऊपर की तीन अवैध मंजिलों को खुद हटा देंगे. नगर निगम आयुक्त ने इस पर सुनवाई के दौरान मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को हटाने के आदेश जारी किए थे. ये अवैध निर्माण दो महीने के भीतर अपने खर्च पर हटाने के लिए कहा गया था.

मुस्लिम वेलफेयर का पक्ष

उसके बाद ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से शिमला के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि संजौली मस्जिद कमेटी ऐसे आवेदन पत्र के लिए अधिकृत नहीं है कि निर्माण को हटाया जाए. मंडी जिले के डिनक, बिलासपुर व पांवटा साहिब के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले एक याचिका दाखिल की है. नजाकत अली हाशमी ने इस याचिका के जरिए खुद को पीड़ित पक्ष बताया है. हाशमी ने कहा कि संजौली मस्जिद निर्माण के लिए उसने चंदा दिया है. ऐसे में संजौली मस्जिद कमेटी के मुखिया मोहम्मद लतीफ को ऐसे किसी आवेदन को दाखिल करने का हक नहीं है.

वक्फ बोर्ड को देना है शपथ पत्र

संजौली मस्जिद कमेटी के अनुसार उन्होंने निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड से अनुमति मांगी थी. एनओसी मिलने के बाद निर्माण किया गया. वहीं, वक्फ बोर्ड का मानना है कि एनओसी में ये साफ था कि प्रॉपर नक्शा पास करने के बाद निर्माण किया जा सकेगा. अब वक्फ बोर्ड को शपथ पत्र के जरिए ये बताना होगा कि उसने किस आधार पर संजौली मस्जिद कमेटी को परमिशन दी थी. बोर्ड को शपथ पत्र के जरिए ये भी बताना होगा कि क्या मोहम्मद लतीफ संजौली मस्जिद कमेटी के मुखिया हैं या नहीं? नजाकत हाशमी का दावा है कि मोहम्मद लतीफ संजौली मस्जिद की तीन मंजिलों को हटाने की अनुमति मांगने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं. शपथ पत्र में वक्फ बोर्ड को ये भी बताना होगा कि क्या संजौली मस्जिद कमेटी वक्फ एक्ट के सेक्शन-18 के तहत गठित हुई है या नहीं?

यहां बता दें कि ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने एमसी कोर्ट शिमला के उस फैसले को जिला अदालत में चुनौती दी है, जिसमें एमसी कोर्ट ने तीन मंजिलों को हटाने के लिए कहा है. एमसी कोर्ट ने 5 अक्टूबर को अपने फैसले में अवैध मंजिलों को दो माह के भीतर हटाने को कहा है. फिलहाल, अब सभी की नजरें जिला अदालत की आज यानी शुक्रवार की सुनवाई पर टिकी हैं.

ये भी पढ़ें: CPS मामला अब सुप्रीम कोर्ट में, हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल की SLP, सुनवाई आज

ये भी पढ़ें: क्या था हिमाचल का संसदीय सचिव एक्ट? हाईकोर्ट ने कर दिया है अमान्य, अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

शिमला: राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में स्थित मस्जिद से जुड़े विवाद में आज यानी शुक्रवार को अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत में वक्फ बोर्ड की तरफ से शपथ पत्र दाखिल किया जाएगा. पिछली सुनवाई के दौरान सोमवार 18 नवंबर को अदालत ने वक्फ बोर्ड से एक शपथ पत्र दाखिल करने को कहा था. इस मामले में मस्जिद कमेटी संजौली की तरफ से नगर निगम आयुक्त की अदालत में एक आग्रह पत्र पेश किया गया था. उस आग्रह पत्र में कहा गया था कि अगर एमसी कोर्ट अनुमति दे तो वे मस्जिद की ऊपर की तीन अवैध मंजिलों को खुद हटा देंगे. नगर निगम आयुक्त ने इस पर सुनवाई के दौरान मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को हटाने के आदेश जारी किए थे. ये अवैध निर्माण दो महीने के भीतर अपने खर्च पर हटाने के लिए कहा गया था.

मुस्लिम वेलफेयर का पक्ष

उसके बाद ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से शिमला के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि संजौली मस्जिद कमेटी ऐसे आवेदन पत्र के लिए अधिकृत नहीं है कि निर्माण को हटाया जाए. मंडी जिले के डिनक, बिलासपुर व पांवटा साहिब के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले एक याचिका दाखिल की है. नजाकत अली हाशमी ने इस याचिका के जरिए खुद को पीड़ित पक्ष बताया है. हाशमी ने कहा कि संजौली मस्जिद निर्माण के लिए उसने चंदा दिया है. ऐसे में संजौली मस्जिद कमेटी के मुखिया मोहम्मद लतीफ को ऐसे किसी आवेदन को दाखिल करने का हक नहीं है.

वक्फ बोर्ड को देना है शपथ पत्र

संजौली मस्जिद कमेटी के अनुसार उन्होंने निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड से अनुमति मांगी थी. एनओसी मिलने के बाद निर्माण किया गया. वहीं, वक्फ बोर्ड का मानना है कि एनओसी में ये साफ था कि प्रॉपर नक्शा पास करने के बाद निर्माण किया जा सकेगा. अब वक्फ बोर्ड को शपथ पत्र के जरिए ये बताना होगा कि उसने किस आधार पर संजौली मस्जिद कमेटी को परमिशन दी थी. बोर्ड को शपथ पत्र के जरिए ये भी बताना होगा कि क्या मोहम्मद लतीफ संजौली मस्जिद कमेटी के मुखिया हैं या नहीं? नजाकत हाशमी का दावा है कि मोहम्मद लतीफ संजौली मस्जिद की तीन मंजिलों को हटाने की अनुमति मांगने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं. शपथ पत्र में वक्फ बोर्ड को ये भी बताना होगा कि क्या संजौली मस्जिद कमेटी वक्फ एक्ट के सेक्शन-18 के तहत गठित हुई है या नहीं?

यहां बता दें कि ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने एमसी कोर्ट शिमला के उस फैसले को जिला अदालत में चुनौती दी है, जिसमें एमसी कोर्ट ने तीन मंजिलों को हटाने के लिए कहा है. एमसी कोर्ट ने 5 अक्टूबर को अपने फैसले में अवैध मंजिलों को दो माह के भीतर हटाने को कहा है. फिलहाल, अब सभी की नजरें जिला अदालत की आज यानी शुक्रवार की सुनवाई पर टिकी हैं.

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