शिमला: किसी को तंज कसते समय अक्सर ये कहा जाता है-बड़ा आया डीसी कहीं का, या फिर तू कोई डीसी नहीं लगा हुआ है...भारतीय समाज में डीसी शब्द शान का प्रतीक माना जाता रहा है. नौकरशाही की इस शानदार पोस्ट पर बैठना किसी भी युवा का सपना होता है, लेकिन इस पद पर आकर जनता का मन जीतना ही जीवन का हासिल माना जाएगा. ऐसे ही शिमला जिला के युवा डीसी अनुपम कश्यप अपने काम से सभी का मन जीतने का प्रयास कर रहे हैं. हाल ही में अनुपम कश्यप ने मशोबरा के एक सरकारी स्कूल को गोद लिया और वहां अपनी जेब से 70 हजार रुपए खर्च कर बच्चों को शब्दकोश यानी डिक्शनरियां बांटी. ऐसा इसलिए कि मोबाइल के इस संसार में बच्चे लिखित शब्द की ताकत से परिचित हो सकें और नए-नए शब्द सीख सकें.
डीसी शिमला ने अपना विद्यालय-दि हिमाचल स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा को गोद लिया है. यहां के 273 बच्चों को शब्दकोश बांटे गए और इस पर 70 हजार रुपए का खर्च डीसी शिमला ने अपने वेतन से किया है. डीसी ने स्कूल प्रबंधन को बच्चों के बीच शब्दकोश प्रतियोगिता करवाने के लिए कहा, ताकि छात्रों का नए शब्द सीखने की तरफ रुझान हो.
इसी कड़ी में अब डीसी शिमला अनुपम कश्यप ने निराश्रित बच्चों के लिए जिला स्तर पर स्थापित कोष में खुद पहली आहुति डालकर जनता से उदारतापूर्वक दान की अपील की है. जनसेवा की अनुपम सोच के कारण ही युवा अफसर अनुपम कश्यप प्रशंसा बटोर रहे हैं. निराश्रित बच्चों के लिए स्थापित जिला स्तरीय कोष में अनुपम कश्यप ने अपनी जेब से 51 हजार रुपए का अंशदान किया है. डीसी को जिला का मुखिया कहा जाता है और परिवार के मुखिया किसी भी काम में पहल करे तो जनता पर सकारात्मक असर पड़ता है. हिमाचल में जिला स्तर पर स्थापित सुख आश्रय कोष में जो भी रकम जमा होगी, उसका पचास फीसदी हिस्सा राज्य स्तरीय कोष में दिया जाएगा. शेष हिस्सा जिला स्तर पर ही निराश्रित बच्चों के लिए खर्च किया जाएगा.
पिता भी रहे प्रशासनिक अधिकारी: डीसी शिमला के पिता एचएन कश्यप भी प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं. वे शिमला नगर निगम के आयुक्त भी रह चुके हैं. अनुपम कश्यप ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस संजौली कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की है और वे कॉलेज समय में शानदार डिबेटर रहे हैं. परिवहन विभाग में रहते हुए अनुपम कश्यप ने इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा दिया था. उस समय परिवहन विभाग राज्य सरकार का पहला विभाग बना था, जो पूरी तरह से ई-वाहन का उपयोग कर रहा था. अनुपम कश्यप ने राज्य सरकार के विभिन्न पदों पर सेवाएं दी हैं और अब शिमला के डीसी के रूप में सेवारत हैं. उनका कहना है कि जनता व अफसरशाही के बीच संवाद का पुल होना चाहिए. जनता की समस्याओं के समाधान को लेकर उनका कार्यालय सभी के लिए खुला है.
अपना विद्यालय- द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम
हिमाचल सरकार ने सरकारी स्कूलों के कायाकल्प के लिए "अपना विद्यालय-द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम" की शुरुआत की है. जिसके तहत अधिकारियों को स्कूल गोद लेने होंगे. सितंबर माह में जिला शिमला के अधिकारियों ने 100 स्कूलों को गोद लिया है. स्कूल और समाज के बीच बेहतर समन्वय और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए ये प्रोग्राम शुरू किया गया है. योजना के तहत अधिकारी को संबंधित स्कूल में महीने में एक बार विजिट करना अनिवार्य होगा. इस दौरान वो अधिकारी छात्रों के साथ संवाद करेंगे और उनके साथ अनुभव और जीवन मूल्यों के बारे में चर्चा करेंगे. इसके अलावा यह अधिकारी बच्चों को करियर काउंसलिंग, नशे के खिलाफ, महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों, नारी सशक्तिकरण, कानूनी जानकारी, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्यों पर चर्चा करेंगे.
हर अधिकारी स्कूल स्टाफ, एसएमसी के साथ बैठक करेंगे और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सुझाव भी देंगे. जब भी अधिकारी स्कूल में जाएंगे तो उन्हें स्कूल विजिटर बुक में सारे सुझाव और रिकॉर्ड का रखरखाव करना होगा. इसके अलावा स्कूल में विकासात्मक कार्यों की निगरानी का जिम्मा भी अधिकारी के पास होगा. ताकि स्कूल में शैक्षणिक, सांस्कृतिक, खेल गतिविधियों के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं से जुड़े काम हो सकें. हर महीने बकायदा अधिकारी को रिपोर्ट तैयार करनी होगी. जिसके अनुसार पिछले महीने की रिपोर्ट से तुलना करके मूल्यांकन किया जाएगा. जिला स्तर के अधिकारियों सहित सभी एसडीएम, डीएसपी, खंड विकास अधिकारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने स्कूल गोद लिए है.
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