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षटतिला एकादशी व्रत के दिन करें ये उपाय, धन-धान्य में बढ़ोतरी के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बरसेगी!

Shattila Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि षटतिला एकादशी व्रत के दिन कुछ खास उपाय करने से भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है. ज्योतिष के अनुसार जानिए षटतिला एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें?

Shattila Ekadashi 2024
षटतिला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 5, 2024, 8:13 AM IST

Updated : Feb 5, 2024, 2:21 PM IST

षटतिला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त

कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है.1 साल में 24 एकादशी आती है, जिसका अपने आप में विशेष महत्व होता है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार 6 फरवरी को षटतिला एकादशी मनाई जा रही है. इस दिन विधि विधान से इसके लिए व्रत भी रखा जाता है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है. वहीं, यह व्रत करने से मृत्यु के बाद इंसान को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को विशेष तौर पर तिल अर्पित किए जाते हैं. जानिए एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है और इसके महत्व के साथ-साथ इसके व्रत का विधि विधान क्या है.

षटतिला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त: तीर्थ पुरोहित पंडित विजय भारद्वाज ने बताया कि 1 महीने में हिंदू पंचांग के अनुसार 2 पक्ष होते हैं. महीने के पहले 15 दिन को कृष्ण पक्ष कहा जाता है, जबकि महीने के अंतिम 15 दिन को शुक्ल पक्ष कहा जाता है. दोनों पक्ष में एक-एक एकादशी आती है. हिंदू पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह एकादशी 5 फरवरी को शाम के 5:24 से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 6 फरवरी को शाम 4:07 बजे होगा. हिंदू पंचांग में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार तिथि के साथ मनाया जाते हैं. इसलिए इस एकादशी का व्रत पूजा तिथि के साथ 6 फरवरी को रखा जाएगा.

वहीं, एकादशी के व्रत का पारण का समय 7 फरवरी को सुबह 7:06 बजे से शुरू होकर सुबह 9:18 बजे तक रहेगा. मान्यता है कि जो भी जातक इस एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं, वह बताए गए समय के अनुसार व्रत रख सकते हैं और पारण कर सकते हैं.

षटतिला एकादशी व्रत पूजा विधि विधान: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि एकादशी वाले दिन जातक को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी अपने घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करने चाहिए. स्नान करने के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें. उसके बाद अपने मंदिर में साफ-सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं.

षटतिला एकादशी व्रत लगाएं ये भोग: इस दिन विशेष तौर पर भगवान शालिग्राम और तुलसी माता की भी पूजा की जाती है. पूजा के दौरान एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल पीले रंग के फल फूल वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. तिल और उड़द की मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान के आगे भोग लगाएं. उनकी पूजा करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का मंत्र जाप करें.

सुख समृद्धि के लिए षटतिला एकादशी व्रत के दिन करें ये उपाय: इस दिन भगवान विष्णु के लिए कीर्तन इत्यादि करें और विष्णु पुराण पढ़ें. हालांकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है, लेकिन अगर कोई अपनी इच्छा के अनुसार शाम के समय फल ग्रहण करना चाहे तो वह ग्रहण कर सकता है. व्रत के पारण के समय अपना व्रत खोलकर गरीब जरूरतमंद में ब्राह्मणों को भोजन कारण और अपनी इच्छा अनुसार दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से उनके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.

षटतिला एकादशी व्रत का महत्व: धार्मिक ग्रंथ में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता है कि यह व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और इंसान को कई जन्मों के पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. एकादशी पर विशेष तौर पर तिल का दान किया जाता है. मान्यता है कि तिल का दान करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. तिल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं, इसलिए भगवान विष्णु की कृपा उनके परिवार पर बनी रहती है. एकादशी के दिन विशेष पितरों के लिए धार्मिक कार्य, अनुष्ठान और उनके लिए तर्पण किए जाते हैं.

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षटतिला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त

कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है.1 साल में 24 एकादशी आती है, जिसका अपने आप में विशेष महत्व होता है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार 6 फरवरी को षटतिला एकादशी मनाई जा रही है. इस दिन विधि विधान से इसके लिए व्रत भी रखा जाता है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है. वहीं, यह व्रत करने से मृत्यु के बाद इंसान को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को विशेष तौर पर तिल अर्पित किए जाते हैं. जानिए एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है और इसके महत्व के साथ-साथ इसके व्रत का विधि विधान क्या है.

षटतिला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त: तीर्थ पुरोहित पंडित विजय भारद्वाज ने बताया कि 1 महीने में हिंदू पंचांग के अनुसार 2 पक्ष होते हैं. महीने के पहले 15 दिन को कृष्ण पक्ष कहा जाता है, जबकि महीने के अंतिम 15 दिन को शुक्ल पक्ष कहा जाता है. दोनों पक्ष में एक-एक एकादशी आती है. हिंदू पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह एकादशी 5 फरवरी को शाम के 5:24 से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 6 फरवरी को शाम 4:07 बजे होगा. हिंदू पंचांग में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार तिथि के साथ मनाया जाते हैं. इसलिए इस एकादशी का व्रत पूजा तिथि के साथ 6 फरवरी को रखा जाएगा.

वहीं, एकादशी के व्रत का पारण का समय 7 फरवरी को सुबह 7:06 बजे से शुरू होकर सुबह 9:18 बजे तक रहेगा. मान्यता है कि जो भी जातक इस एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं, वह बताए गए समय के अनुसार व्रत रख सकते हैं और पारण कर सकते हैं.

षटतिला एकादशी व्रत पूजा विधि विधान: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि एकादशी वाले दिन जातक को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी अपने घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करने चाहिए. स्नान करने के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें. उसके बाद अपने मंदिर में साफ-सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं.

षटतिला एकादशी व्रत लगाएं ये भोग: इस दिन विशेष तौर पर भगवान शालिग्राम और तुलसी माता की भी पूजा की जाती है. पूजा के दौरान एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल पीले रंग के फल फूल वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. तिल और उड़द की मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान के आगे भोग लगाएं. उनकी पूजा करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का मंत्र जाप करें.

सुख समृद्धि के लिए षटतिला एकादशी व्रत के दिन करें ये उपाय: इस दिन भगवान विष्णु के लिए कीर्तन इत्यादि करें और विष्णु पुराण पढ़ें. हालांकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है, लेकिन अगर कोई अपनी इच्छा के अनुसार शाम के समय फल ग्रहण करना चाहे तो वह ग्रहण कर सकता है. व्रत के पारण के समय अपना व्रत खोलकर गरीब जरूरतमंद में ब्राह्मणों को भोजन कारण और अपनी इच्छा अनुसार दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से उनके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.

षटतिला एकादशी व्रत का महत्व: धार्मिक ग्रंथ में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता है कि यह व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और इंसान को कई जन्मों के पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. एकादशी पर विशेष तौर पर तिल का दान किया जाता है. मान्यता है कि तिल का दान करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. तिल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं, इसलिए भगवान विष्णु की कृपा उनके परिवार पर बनी रहती है. एकादशी के दिन विशेष पितरों के लिए धार्मिक कार्य, अनुष्ठान और उनके लिए तर्पण किए जाते हैं.

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Last Updated : Feb 5, 2024, 2:21 PM IST
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