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'जब फंस गया था शारदा सिन्हा का रिटायरमेंट बेनिफिट प्लान..' पूर्व राष्ट्रपति ने किया स्वर कोकिला को याद

''शारदा सिन्हा एक ऐसी शख्सियत थीं जिनको लोगों ने देखा कम और सुना ज्यादा. वो अपने गीतों से अमर हो गईं.''- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देते रामनाथ कोविंद
शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देते रामनाथ कोविंद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

पटना : शनिवार को पटना के रविंद्र भवन में बिहार की स्वर कोकिला पद्म भूषण शारदा सिन्हा की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. इस कार्यक्रम में श्रद्धांजलि देने के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहुंचे. उन्होंने शारदा सिन्हा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद शारदा सिन्हा के साथ अपनी स्मृतियों को भी साझा किया.

"मैने कभी सोचा नहीं था कि अपने जीवन काल में छोटी बहन जैसी शारदा सिन्हा के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जाना पड़ेगा. शारदा सिन्हा ने अपनी गीतों के माध्यम से बिहारियत को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचा है. वह अपने गीतों से अमर हो गई हैं.'' - रामनाथ कोविंद, भारत के पूर्व राष्ट्रपति

राज भवन में पहली मुलाकात : शारदा सिन्हा के साथ संस्मरण को साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि 2015 में जब वह बिहार के राज्यपाल बने तो राज भवन में शारदा सिन्हा से मुलाकात हुई. वह अपनी एक समस्या को लेकर आई हुई थी और इस दौरान जब मुलाकात हुई तो कुछ लोगों ने छोटी बहन जैसा परिचय कराया.

फंस गया था शारदा सिन्हा का रिटायरमेंट बेनिफिट प्लान : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि शारदा सिन्हा उसी प्रक्रिया से गुजरी, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. इसके बाद दोबारा वह उनसे अपनी शिकायत को लेकर मिलने आई जिसके बाद उन्होंने उनकी बातों को सुना और कहा कि इस मामले में उन्हें न्याय देने का अधिकार है. आपकी बातों में यदि सच्चाई होगी तो न्याय जरूर होगा.

''38 वर्षों से शारदा सिन्हा की विश्वविद्यालय में सर्विस पूरी हो गई थी और एक साल बाद उनका रिटायरमेंट था. यदि उनकी सर्विस को रेगुलर नहीं किया जाता तो रिटायरमेंट के बाद कोई रिटायरमेंट बेनिफिट ग्रेच्युटी और कुछ नहीं मिलता. लंबी सर्विस के बाद यदि किसी को किसी कारण से उसका ड्यू सरकार से नहीं मिल पा रहा है तो उसका दर्द वही समझ सकता है.''- रामनाथ कोविंद, भारत के पूर्व राष्ट्रपति

शारदा सिन्हा के मामले से अनेकों को हुआ लाभ : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि इस मामले में उन्होंने हियरिंग दिया और संयोग से यह फैसला शारदा सिन्हा जी के पक्ष में गया. यह फैसला न सिर्फ शारदा सिन्हा के लिए बल्कि उनके जैसे सैकड़ों हजारों विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारीयों के पक्ष में यह फैसला गया.

लंबे समय से विश्वविद्यालय में सेवा से जुड़े शिक्षक और कर्मचारी जिनकी सर्विस कंटिन्यू नहीं की गई थी उनका सर्विस कंटिन्यू हुआ और शारदा सिन्हा के साथ-साथ कई विश्वविद्यालय के कर्मियों को रिटायरमेंट बेनिफिट प्राप्त हुआ. यह मामला जब उनके पास आया था तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ और कई अपील को सुनने के बाद उन्होंने फैसला दिया था.

शारदा सिन्हा को लोगों ने देखा कम सुना अधिक : उन्हें इस बात की बेहद प्रसन्नता हुई की शारदा सिन्हा के प्रकरण से कई लोगों को फायदा हुआ. कई लोगों को न्याय दिलाने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ. ऐसे कार्यों के लिए वह ईश्वर को धन्यवाद देते थे कि अच्छा किया कि आपने हमें बिहार में पोस्टिंग दे दिया.

पूर्व राष्ट्रपति ने शारदा सिन्हा के और भी कई संस्मरण साझा किया और कहा की शारदा सिन्हा को लोगों ने देखा कम लेकिन सुना अधिक. छठ महापर्व होता है तो शारदा सिन्हा के गीत से पता चल जाता है की छठ आ गया है. शारदा सिन्हा के गीत उन्हें इस कदर पसंद थे कि राजभवन में उन्होंने कई बार उनके कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें दिल्ली से भी अतिथि आमंत्रित किए गये.

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पटना : शनिवार को पटना के रविंद्र भवन में बिहार की स्वर कोकिला पद्म भूषण शारदा सिन्हा की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. इस कार्यक्रम में श्रद्धांजलि देने के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहुंचे. उन्होंने शारदा सिन्हा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद शारदा सिन्हा के साथ अपनी स्मृतियों को भी साझा किया.

"मैने कभी सोचा नहीं था कि अपने जीवन काल में छोटी बहन जैसी शारदा सिन्हा के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जाना पड़ेगा. शारदा सिन्हा ने अपनी गीतों के माध्यम से बिहारियत को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचा है. वह अपने गीतों से अमर हो गई हैं.'' - रामनाथ कोविंद, भारत के पूर्व राष्ट्रपति

राज भवन में पहली मुलाकात : शारदा सिन्हा के साथ संस्मरण को साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि 2015 में जब वह बिहार के राज्यपाल बने तो राज भवन में शारदा सिन्हा से मुलाकात हुई. वह अपनी एक समस्या को लेकर आई हुई थी और इस दौरान जब मुलाकात हुई तो कुछ लोगों ने छोटी बहन जैसा परिचय कराया.

फंस गया था शारदा सिन्हा का रिटायरमेंट बेनिफिट प्लान : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि शारदा सिन्हा उसी प्रक्रिया से गुजरी, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. इसके बाद दोबारा वह उनसे अपनी शिकायत को लेकर मिलने आई जिसके बाद उन्होंने उनकी बातों को सुना और कहा कि इस मामले में उन्हें न्याय देने का अधिकार है. आपकी बातों में यदि सच्चाई होगी तो न्याय जरूर होगा.

''38 वर्षों से शारदा सिन्हा की विश्वविद्यालय में सर्विस पूरी हो गई थी और एक साल बाद उनका रिटायरमेंट था. यदि उनकी सर्विस को रेगुलर नहीं किया जाता तो रिटायरमेंट के बाद कोई रिटायरमेंट बेनिफिट ग्रेच्युटी और कुछ नहीं मिलता. लंबी सर्विस के बाद यदि किसी को किसी कारण से उसका ड्यू सरकार से नहीं मिल पा रहा है तो उसका दर्द वही समझ सकता है.''- रामनाथ कोविंद, भारत के पूर्व राष्ट्रपति

शारदा सिन्हा के मामले से अनेकों को हुआ लाभ : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि इस मामले में उन्होंने हियरिंग दिया और संयोग से यह फैसला शारदा सिन्हा जी के पक्ष में गया. यह फैसला न सिर्फ शारदा सिन्हा के लिए बल्कि उनके जैसे सैकड़ों हजारों विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारीयों के पक्ष में यह फैसला गया.

लंबे समय से विश्वविद्यालय में सेवा से जुड़े शिक्षक और कर्मचारी जिनकी सर्विस कंटिन्यू नहीं की गई थी उनका सर्विस कंटिन्यू हुआ और शारदा सिन्हा के साथ-साथ कई विश्वविद्यालय के कर्मियों को रिटायरमेंट बेनिफिट प्राप्त हुआ. यह मामला जब उनके पास आया था तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ और कई अपील को सुनने के बाद उन्होंने फैसला दिया था.

शारदा सिन्हा को लोगों ने देखा कम सुना अधिक : उन्हें इस बात की बेहद प्रसन्नता हुई की शारदा सिन्हा के प्रकरण से कई लोगों को फायदा हुआ. कई लोगों को न्याय दिलाने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ. ऐसे कार्यों के लिए वह ईश्वर को धन्यवाद देते थे कि अच्छा किया कि आपने हमें बिहार में पोस्टिंग दे दिया.

पूर्व राष्ट्रपति ने शारदा सिन्हा के और भी कई संस्मरण साझा किया और कहा की शारदा सिन्हा को लोगों ने देखा कम लेकिन सुना अधिक. छठ महापर्व होता है तो शारदा सिन्हा के गीत से पता चल जाता है की छठ आ गया है. शारदा सिन्हा के गीत उन्हें इस कदर पसंद थे कि राजभवन में उन्होंने कई बार उनके कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें दिल्ली से भी अतिथि आमंत्रित किए गये.

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