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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले- सनातन ही एक मात्र धर्म, तमाम धर्मों के नाम पर फैलाया जा रहा भ्रम - Avimukteshwarananda Saraswati

गोरखपुर में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda) ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि धर्म कहना है तो सिर्फ सनातन धर्म कहिए. कई धर्म बताने वाले ही तो साजिश कर रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 2, 2024, 10:15 PM IST

Updated : Apr 2, 2024, 11:00 PM IST

गोरखपुर में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती.

गोरखपुर : दुनिया में धर्म तो सिर्फ एक ही है वह है 'सनातन धर्म' बाकी सब भ्रम है. धर्म सिर्फ एक हो सकता है. कई धर्म हो ही नहीं सकते हैं. यह सिर्फ और सिर्फ झूठ और भ्रम फैलाया जा रहा है. इस भ्रम को आप पहले अपने दिमाग से निकाल दीजिए. यदि धर्म कहना है तो सिर्फ सनातन धर्म कहिए. कई धर्म बताने वाले ही तो साजिश कर रहे हैं, इसलिए हमें इस बात के लिए स्पष्ट रहना होगा कि धर्म सिर्फ एक ही है, कई धर्म नहीं हैं. यह बातें गोरखपुर में मंगलवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहीं.

गोरक्षा के लिए आगे आने की अपील की : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के चलाए जा रहे अभियान के क्रम में गोरखपुर पहुंचे थे. उन्होंने लोगों से गोरक्षा के लिए आगे आने की भी अपील भी की. उन्होंने कहा कि गोरखपुर तो गोरक्षा के लिए जाना जाता है. यहां से इसकी आवाज अगर पुरजोर तरीके से नहीं उठती है, तो फिर इसके नाम को बदल देने की आवश्यकता है. क्योंकि नाम के अनुरूप कार्य का होना भी बहुत जरूरी है. गोरखपीठ और यहां के लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह गोरक्षा के लिए आगे आएं. इस दौरान शंकराचार्य ने लोगों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि धर्म की शिक्षा लेने के दौरान हमें अधर्म की शिक्षा भी लेनी पड़ेगी. क्योंकि कभी-कभी अधर्म भी धर्म का रूप लेकर शिक्षा लेने हम सबके बीच शामिल हो जाता है. इसलिए हमें भी उचित और अनुचित का ज्ञान होना चाहिए, इसलिए अधर्म और अधर्मी को भी जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारे धर्म में सदियों से कई बदलाव होते रहे हैं. क्योंकि समय-समय पर नवीनता जरूरी है. यदि नवीनता नहीं होगी तो हम आगे की चीजों को कैसे जान पाएंगे. अन्यथा हम लकीर के फकीर ही बने रहेंगे. जैसे अन्य जगहों पर एक ही बात को बरसों से स्थापित किया गया है और लोग उसको मानकर चलते हैं, लेकिन हमारे सनातन में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. जीवन में नित्य नवीनता बेहद जरूरी है. इसके लिए एक शर्त भी है कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना होगा. सभी नियम सभी पर लागू नहीं होते, क्योंकि हर व्यक्ति को भगवान ने अलग-अलग तरीके से बनाया है. इसलिए उसी के अनुसार उन्हें अपने जीवन में चीजों को अपनाने की जरूरत है. सिर्फ एक बात पत्थर की लकीर की तरह लिख दी गई तो उसे ही मानकर चलना हमारा सनातन धर्म नहीं कहता, सदा साथ रहने वाला ही सनातन है.

सभ्यता संस्कृति के बचाव के लिए करना होगा वोट : गो संरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि आप लोग ही बताइये गायों की हत्याओं के दोषी भी हम सभी हैं, क्योंकि जिस तरह हम चुनावों में अपने हिसाब से बगैर सोचे समझे वोट करते हैं, उसी का परिणाम है कि हमारी संस्कृति नष्ट हो रही है, क्योंकि हम अपनी संस्कृति बचाने के लिए नहीं अपनी जाति के लिए वोट करते हैं. कभी आप जाति के लिए तो कभी धर्म या फिर आरक्षण के लिए वोट करते हैं. हमें अपनी सभ्यता संस्कृति के बचाव के लिए वोट करना होगा, अन्यथा यह सत्ता लोलूप लोग अपने हिसाब से सब कुछ चलाते रहेंगे और आपका और आपके संस्कृति का कोई भला होने वाला नहीं. 1966 में भी हमारे द्वारा चुनी गई सरकार ने ही गाय को राष्ट्र माता के किए जा रहे आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवाई थीं. कोई बाहर से जनरल डायर नहीं आया था, यहीं की हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार ने हम सभी पर गोलियां चलाई थीं. क्योंकि जो भक्त गौ संरक्षण के लिए वहां संघर्ष की लड़ाई के लिए इकट्ठा हुए थे उन पर चुनी हुई सरकार ने ही गोली बरसाने का कार्य किया था. यानी हम जिन भी सरकारों को अभी तक चुनते आ रहे हैं, वह सरकार हमारी नहीं है. यदि हमारी सरकार होती तो हमारी बातें जरूर सुनती.

'75 सालों से कर रहे वोट' : उन्होंने कहा कि अब तो अनशन, प्रदर्शन, विरोध यह सारी चीजें बंद हो चुकी हैं. आप अपनी बातें सरकार तक कैसे पहुंचाएंगे. क्योंकि सरकार अब हमें बोलने भी नहीं देती. इसलिए यह मान लीजिए कि आज भी हमारी सरकार नहीं है, क्योंकि हमारी सरकार होती तो हमारी बातों को जरूर सुनती. आपका शंकराचार्य पैदल चलकर दिल्ली जाता है, लेकिन किसी सरकार को पड़ी है कि हम ऐसा क्यों करते हैं? आज तक कोई हमसे बात करने भी यहां नहीं आया, क्योंकि हमारी सरकार होती तो हमसे जरूर बात करती. इसका मतलब साफ है कि न तो हम सभ्यता और संस्कृति के लिए वोट कर रहे हैं और न ही यह सरकार हम लोगों के लिए आगे कुछ करने वाली है. हम सिर्फ जुमलों में फंसकर वोट करते चले आ रहे हैं. यदि हिंदू हमारी बातों को समझ जाएं तो हमारी सभ्यता संस्कृति में फिर से बदलाव जरूर आएगा. हम पिछले 75 सालों से वोट करते आ रहे हैं, आज तक हिंदू विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं, कि उसके वोट देने से उसे पुण्य मिल रहा है या पाप, बल्कि हो यह रहा है कि जिन सरकारों को वह वोट देकर सत्ता में लाता है वही सरकार गौ हत्या की दोषी है. मेरा मानना है कि अगर आगामी चुनाव में आप उन्हीं लोगों को वोट करें जो गौ संरक्षण की बात करता हो. अभी भी किसी पार्टी ने गौ हत्या को रोकने को लेकर कोई एजेंडा तैयार नहीं किया. इसलिए आप भी तय कर लीजिए कि हमें आगे से किसको वोट करना है.


यह भी पढ़ें : गोरखपुर पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सूर्यास्त बाद मौन व्रत में दिया आशीर्वाद - Swami Avimukteshwara Nand Saraswati

यह भी पढ़ें : ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, दोबारा नदियों के रखे जाएं वैदिक नाम

गोरखपुर में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती.

गोरखपुर : दुनिया में धर्म तो सिर्फ एक ही है वह है 'सनातन धर्म' बाकी सब भ्रम है. धर्म सिर्फ एक हो सकता है. कई धर्म हो ही नहीं सकते हैं. यह सिर्फ और सिर्फ झूठ और भ्रम फैलाया जा रहा है. इस भ्रम को आप पहले अपने दिमाग से निकाल दीजिए. यदि धर्म कहना है तो सिर्फ सनातन धर्म कहिए. कई धर्म बताने वाले ही तो साजिश कर रहे हैं, इसलिए हमें इस बात के लिए स्पष्ट रहना होगा कि धर्म सिर्फ एक ही है, कई धर्म नहीं हैं. यह बातें गोरखपुर में मंगलवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहीं.

गोरक्षा के लिए आगे आने की अपील की : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के चलाए जा रहे अभियान के क्रम में गोरखपुर पहुंचे थे. उन्होंने लोगों से गोरक्षा के लिए आगे आने की भी अपील भी की. उन्होंने कहा कि गोरखपुर तो गोरक्षा के लिए जाना जाता है. यहां से इसकी आवाज अगर पुरजोर तरीके से नहीं उठती है, तो फिर इसके नाम को बदल देने की आवश्यकता है. क्योंकि नाम के अनुरूप कार्य का होना भी बहुत जरूरी है. गोरखपीठ और यहां के लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह गोरक्षा के लिए आगे आएं. इस दौरान शंकराचार्य ने लोगों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि धर्म की शिक्षा लेने के दौरान हमें अधर्म की शिक्षा भी लेनी पड़ेगी. क्योंकि कभी-कभी अधर्म भी धर्म का रूप लेकर शिक्षा लेने हम सबके बीच शामिल हो जाता है. इसलिए हमें भी उचित और अनुचित का ज्ञान होना चाहिए, इसलिए अधर्म और अधर्मी को भी जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारे धर्म में सदियों से कई बदलाव होते रहे हैं. क्योंकि समय-समय पर नवीनता जरूरी है. यदि नवीनता नहीं होगी तो हम आगे की चीजों को कैसे जान पाएंगे. अन्यथा हम लकीर के फकीर ही बने रहेंगे. जैसे अन्य जगहों पर एक ही बात को बरसों से स्थापित किया गया है और लोग उसको मानकर चलते हैं, लेकिन हमारे सनातन में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. जीवन में नित्य नवीनता बेहद जरूरी है. इसके लिए एक शर्त भी है कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना होगा. सभी नियम सभी पर लागू नहीं होते, क्योंकि हर व्यक्ति को भगवान ने अलग-अलग तरीके से बनाया है. इसलिए उसी के अनुसार उन्हें अपने जीवन में चीजों को अपनाने की जरूरत है. सिर्फ एक बात पत्थर की लकीर की तरह लिख दी गई तो उसे ही मानकर चलना हमारा सनातन धर्म नहीं कहता, सदा साथ रहने वाला ही सनातन है.

सभ्यता संस्कृति के बचाव के लिए करना होगा वोट : गो संरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि आप लोग ही बताइये गायों की हत्याओं के दोषी भी हम सभी हैं, क्योंकि जिस तरह हम चुनावों में अपने हिसाब से बगैर सोचे समझे वोट करते हैं, उसी का परिणाम है कि हमारी संस्कृति नष्ट हो रही है, क्योंकि हम अपनी संस्कृति बचाने के लिए नहीं अपनी जाति के लिए वोट करते हैं. कभी आप जाति के लिए तो कभी धर्म या फिर आरक्षण के लिए वोट करते हैं. हमें अपनी सभ्यता संस्कृति के बचाव के लिए वोट करना होगा, अन्यथा यह सत्ता लोलूप लोग अपने हिसाब से सब कुछ चलाते रहेंगे और आपका और आपके संस्कृति का कोई भला होने वाला नहीं. 1966 में भी हमारे द्वारा चुनी गई सरकार ने ही गाय को राष्ट्र माता के किए जा रहे आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवाई थीं. कोई बाहर से जनरल डायर नहीं आया था, यहीं की हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार ने हम सभी पर गोलियां चलाई थीं. क्योंकि जो भक्त गौ संरक्षण के लिए वहां संघर्ष की लड़ाई के लिए इकट्ठा हुए थे उन पर चुनी हुई सरकार ने ही गोली बरसाने का कार्य किया था. यानी हम जिन भी सरकारों को अभी तक चुनते आ रहे हैं, वह सरकार हमारी नहीं है. यदि हमारी सरकार होती तो हमारी बातें जरूर सुनती.

'75 सालों से कर रहे वोट' : उन्होंने कहा कि अब तो अनशन, प्रदर्शन, विरोध यह सारी चीजें बंद हो चुकी हैं. आप अपनी बातें सरकार तक कैसे पहुंचाएंगे. क्योंकि सरकार अब हमें बोलने भी नहीं देती. इसलिए यह मान लीजिए कि आज भी हमारी सरकार नहीं है, क्योंकि हमारी सरकार होती तो हमारी बातों को जरूर सुनती. आपका शंकराचार्य पैदल चलकर दिल्ली जाता है, लेकिन किसी सरकार को पड़ी है कि हम ऐसा क्यों करते हैं? आज तक कोई हमसे बात करने भी यहां नहीं आया, क्योंकि हमारी सरकार होती तो हमसे जरूर बात करती. इसका मतलब साफ है कि न तो हम सभ्यता और संस्कृति के लिए वोट कर रहे हैं और न ही यह सरकार हम लोगों के लिए आगे कुछ करने वाली है. हम सिर्फ जुमलों में फंसकर वोट करते चले आ रहे हैं. यदि हिंदू हमारी बातों को समझ जाएं तो हमारी सभ्यता संस्कृति में फिर से बदलाव जरूर आएगा. हम पिछले 75 सालों से वोट करते आ रहे हैं, आज तक हिंदू विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं, कि उसके वोट देने से उसे पुण्य मिल रहा है या पाप, बल्कि हो यह रहा है कि जिन सरकारों को वह वोट देकर सत्ता में लाता है वही सरकार गौ हत्या की दोषी है. मेरा मानना है कि अगर आगामी चुनाव में आप उन्हीं लोगों को वोट करें जो गौ संरक्षण की बात करता हो. अभी भी किसी पार्टी ने गौ हत्या को रोकने को लेकर कोई एजेंडा तैयार नहीं किया. इसलिए आप भी तय कर लीजिए कि हमें आगे से किसको वोट करना है.


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Last Updated : Apr 2, 2024, 11:00 PM IST
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