नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने नीट पेपर लीक मामले में एक आरोपी शंभू शरण राम को अग्रिम जमानत दे दी है. स्पेशल जज अंकित सिंगला ने आरोपी को 50 हजार रुपये के मुचलके पर अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आरोपी को बिना कोर्ट की अनुमति के देश छोड़ने पर रोक लगा दिया है. सात दिनों के अंदर अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया कि जब भी जांच अधिकारी जांच के लिए कहें तो वे जांच में सहयोग करेगा. वहीं, कोर्ट ने एक और आरोपी बिशु कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 30 दिनों की अंतरिम जमानत दी है.
इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया था. एफआईआर के मुताबिक केशव नाम के आरोपी को धौला कुंआ में स्प्रिंगडेल स्कूल स्थित नीट के परीक्षा केंद्र से पकड़ा गया. केशव एक परीक्षार्थी अभिषेक राज की जगह नीट की परीक्षा देने पहुंचा था. आरोपी शंभू शरण राम बिहार के पूर्वी चंपारण के प्रखंड आफिस में क्लर्क के पद पर तैनात है. आरोपी के मुताबिक उसका नीट मामले से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि केशव उसके बेटे अभिषेक राज की जगह पर परीक्षा देने पहुंचा था.
शंभू शरण राम की अग्रिम जमानत का विरोध: सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील शेखर गहलोत ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि, वो जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और उसके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया जा चुका है. आरोपी के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के प्रावधान के तहत नोटिस जारी किया था. लेकिन न तो आरोपी जांच में शामिल हुआ और न ही उसका पुत्र. इसके जवाब में आरोपी की ओर से कहा गया कि उसे 41ए का कोई नोटिस नहीं मिला था. सीबीआई ने कहा कि इस मामले में अभी जांच जारी है और व्हाट्स ऐप समेत दूसरे कम्युनिकेशन एकत्र किए जाने हैं.
सीबीआई के अधिकारी नहीं दिखा सके सबूत: कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ जो धाराएं लगी हैं उसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है. और ऐसे मामलों में 41ए की नोटिस भेजना अनिवार्य है. लेकिन जब कोर्ट ने जांच अधिकारी से 41ए की नोटिस के तामील होने का सबूत मांगा तो जांच अधिकारी कोई सबूत नहीं दिखा सके. जांच अधिकारी ने केवल केस डायरी का हवाला दिया जिसमें 41ए के नोटिस भेजे जाने की बात लिखी हुई थी. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने किस तरह अपराध किया इसका भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है. कोर्ट ने सीबीआई की इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपी का बेटा गिरफ्तारी से बच रहा है. इसलिए आरोपी को अग्रिम जमानत न दी जाए.
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बिशु कुमार की कोई भूमिका नहीं आई सामने:
कोर्ट ने दूसरे आरोपी बिशु कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे 30 दिनों तक गिरफ्तारी से संरक्षण देने का आदेश दिया. बिशु एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. बिशु पर आरोप है कि वो केशव के साथ परीक्षा केंद्र पर पहुंचा था. वो परीक्षा केंद्र पर केशव के साथ इसलिए पहुंचा था क्योंकि केशव के मां-बाप उसे अकेला नहीं जाने देना चाहते थे. बिशु की ओर से पेश वकील ने कहा कि बिशु ये जानता था कि केशव नीट की परीक्षा देने जा रहा है और उसे इस अपराध की कोई जानकारी नहीं थी.
कोर्ट ने कहा कि बिशु कुमार के बारे में केशव कुमार का डिस्क्लोजर बयान है. इसके अलावा सीबीआई के पास कोई साक्ष्य नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने बिशु को जांच में शामिल होने का निर्देश देते हुए 30 दिनों तक गिरफ्तारी से संरक्षण देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि बिशु कुमार इस दौरान साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेगा और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेग.
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