शहडोल। क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति पैसे कमाने के लिए काम की तलाश में होश-ओ-हवास में घर से बाहर जाता है और वहां पहुंचने के बाद अचानक ही अपने घर का नाम पता सब कुछ भूल जाता है. फिर 10 साल के बाद अचानक फिर वो वापस आता है. यह कहानी बिल्कुल फिल्मी है. लेकिन यह घटना शहडोल जिले की है. जहां एक आदिवासी युवक 10 साल पहले मेरठ (यूपी) और पंजाब के लिए घर से काम की तलाश में निकला था. वहां जाने के बाद युवक अपना नाम पता सब भूल गया. फिर एक दूसरे युवक के संपर्क में जब आया तो 10 साल बाद दूसरे युवक की सूझबूझ से उस युवक की घर वापसी हो रही है.
10 साल पहले काम की तलाश में निकला था युवक
युवक शहडोल जिले के जयसिंहनगर थाना क्षेत्र के गुरुईबड़ी गांव का रहने वाला है, इसका नाम अमोल सिंह है और इसकी उम्र 41 साल बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि शादी के कुछ साल बाद अमोल सिंह अपने ससुराल गांव बनसुकली रोड पथरवार में रहने लगा था. वहीं, से अमोल सिंह 10 साल पहले मेरठ और पंजाब में काम करने के लिए निकला था और फिर घर नहीं लौटा. बताया जा रहा है कि वह मेरठ और पंजाब पहुंचते ही मानसिक रूप से बीमार पड़ गया और गांव का नाम और पता ही भूल गया, सिर्फ याद था तो शहडोल का नाम.
घर लाने की कवायद जारी
कुछ दिन पहले अमोल सिंह की मुलाकात गुड़गांव में नीरज नाम के व्यक्ति से हुई. नीरज ने जब युवक से उसका नाम और पता पूछा तो उसने अपना नाम अमोल सिंह बताया और वह शहडोल से है. इससे ज्यादा कुछ नहीं बता पाया. इसके बाद नीरज ने तुरंत उसकी तस्वीर मोबाइल में खींची और शहडोल कलेक्टर तरुण भटनागर को अमोल सिंह की फोटो भेजी. इसके बाद कलेक्टर ने पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस ने लापता व्यक्तियों की सूची में अमोल के नाम और तस्वीर का मिलान कराया. मिलान होने पर 26 अप्रैल को गुरुईबड़ी सचिव ने अमोल सिंह की फोटो उसके छोटे भाई अरविंद को दिखाई, तो वो उसे पहचान गया. अब अमोल को वापस गांव लाने की कवायद शुरू है.
भाई से मिलने पर रोने लगा अमोल
श्रम निरीक्षक ने अमोल सिंह को गुड़गांव से घर लाने का पूरा इंतजाम करवाया. अमोल सिंह के मामा रमेश सिंह और छोटे भाई अरविंद उसे लेने के लिए गुड़गांव रवाना हुए, अरविंद ने बताया कि गुड़गांव में अमोल ने जैसे ही उसे देखा तो आंखों से आंसू बहने लगे, वो लोग अमोल को साथ लेकर अब घर वापस आ रहे हैं. अब अमोल सिंह की मुलाकात 10 साल बाद उसके परिवार से होगी.
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गुड़गांव में ये काम करता था अमोल
अमोल सिंह के 10 साल बाद घर वापसी पर उनके घर में खुशी का माहौल है. उनके भाई अरविंद ने बताया कि "उनके परिवार में पत्नी शांतिबाई, बेटी सीमा, बेटा निखिल और नीरज अपने मामा के यहां रहते हैं. परिवार के किसी भी सदस्य को उम्मीद नहीं थी कि अमोल कभी घर लौटेगा. भाई को घर तक लाने में प्रशासन ने बहुत बड़ी मदद की है." अरविंद ने बताया कि अमोल गुड़गांव में एक कबाड़ी के यहां रहकर कबाड़ बीनने का काम करता था, जिसके बदले में उसे भोजन मिल जाता था. घर वापस लौटने के दौरान मालिक ने कपड़े और कुछ पैसे देकर उसे भेजा है.