Farming Machines Benifits : कई ऐसे छोटे और सीमांत किसान हैं जो काफी कम रकबे में खेती किसानी करते हैं लेकिन खेती किसानी जरूर करते हैं. कोई धान लगाता है, कोई सब्जी लगाता है, ऐसे किसानों के लिए हल बैल के जमाने में तो सुविधा हो जाती थी. खेतों को तैयार कर लेते थे लेकिन अब यह जमाना रहा नहीं. ऐसे किसानों के लिए सरकार अब कुछ छोटी मशीनों पर बहुत ज्यादा अनुदान दे रही है. जिससे काफी कम कीमत पर यह किसान इन मशीनों को खरीद कर बड़ी सहजता के साथ खेती किसानी का कार्य कर सकते हैं.
हल-बैल का दौर नहीं अब मशीनों का जमाना
पहले के समय में किसानों के पास हल बैल हुआ करते थे और ये उन्हीं से खेतों की जुताई किया करते थे लेकिन अब यह दौर खत्म हो चुका है. एक तरह से कहा जाए तो हल बैल का दौर अब बिल्कुल विलुप्ति की कगार पर है और बदलते वक्त के साथ अब किसान भी हाईटेक हो रहे हैं. ऐसे में अब कई ऐसी छोटी-बड़ी मशीन आ चुकी हैं जो खेती किसानी में काफी मदद करती हैं.
पॉवर टीलर और वीडर बड़े काम की मशीन
खेती किसानी के इस दौर में देखा जाए तो कुछ लोग जहां धान की खेती बहुत प्रमुखता के साथ करते हैं तो कुछ लोग साल के 12 महीने सब्जियों की फसल लगाते हैं. ऐसे में पॉवर टीलर और पॉवर वीडर दो ऐसी अत्याधुनिक मशीन हैं, जो इन किसानों के लिए बड़े काम की हैं. पावर वीडर की बात करें तो यह छोटी मशीन होती है और सब्जियों की फसल के लिए सब्जियों की खेती के लिए बहुत ही आधुनिक उपयोगी और काम की मशीन होती है.
पावर टीलर ट्रैक्टर से छोटा होता है और ऐसा माना जाता है कि पावर टीलर जो नॉर्मल ट्रैक्टर होते हैं उससे भी अच्छी खेतों की जुताई करता है, खेतों की मचाई करता है. इसके अलावा पावर टीलर में कई ऐसे अलग-अलग इक्विपमेंट आते हैं चाहे रोटावेटर हो कल्टीवेटर हो छोटा ट्रैक्टर ट्राली हो इन सबको बतौर अटैचमेंट इस्तेमाल किया जा सकता है और इसका अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.
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सरकार दे रही गजब अनुदान
शहडोल कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं कि "किसानों के लिए शासन के पास कुछ योजना है जिसमें शासन कई यंत्रों पर अनुदान दे रही है. पावर रीडर की बात करें तो ये एक छोटा यंत्र होता है, यह सब्जी की खेती के लिए बहुत ही उपयोगी मशीन है, एक लाख के करीब आ जाता है. इसमें शासन की ओर से अधिकतम 35 हजार रुपए तक का अनुदान मिलता है. दूसरी मशीन पॉवर टीलर है यह दो से ढाई लाख का आता है शासन इसमें अधिकतम 85 हजार रुपए तक की छूट देती है, इससे किसान धान की खेती कर सकते हैं."