शहडोल। शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है. यहां पर 19 अप्रैल को पहले ही चरण में मतदान होने हैं. जहां तैयारियां तेजी से चल रही है. चुनाव प्रचार का दौर भी थम चुका है. शहडोल लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण भी काफी दिलचस्प है. यहां पर किस जाति के लोगों का ज्यादा बोलबाला है. जो चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं, क्या कहता है जातिगत समीकरण.
गोंड समाज के दोनों प्रत्याशी
बीजेपी ने शहडोल लोकसभा सीट से अपने वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह को चुनावी मैदान पर उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने अपने तीन बार के विधायक फुंदेलाल मार्को को इस लोकसभा के चुनावी रण में मैदान पर उतारा है. बता दें कि दोनों ही प्रत्याशी चाहे बीजेपी या कांग्रेस के हों. यह दोनों ही गोंड़ समाज से आते हैं. शहडोल लोकसभा सीट में गोंड समाज की बहुलता है. यही वजह भी है कि दोनों ही बड़ी पार्टियों ने गौड़ समाज के प्रत्याशियों को ही चुनावी मैदान में उतारा है.
शहडोल लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
शहडोल लोक सभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो ये आदिवासी बाहुल्य इलाका है. यहां पर शहडोल लोकसभा सीट में सर्वाधिक गोंड समाज के आदिवासी वर्ग के वोटर हैं. इस वर्ग को साधने के लिए अक्सर ही भाजपा और कांग्रेस लगे रहते हैं. इस बार भी दोनों पार्टियों ने आदिवासी वर्ग को ही चुनावी मैदान पर उतारा है. शहडोल लोकसभा सीट में जातियों के समीकरण को ऐसे समझा जा सकता है.
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लोकसभा चुनाव के रण में कौन मारेगा बाजी
इस तरह से शहडोल में लोकसभा सीट में जातिगत समीकरण की बात की जाए तो सबसे ज्यादा गोंड जाति के वोटर्स हैं, फिर इसके बाद कोल समाज के वोटर्स हैं, फिर इसके बाद बैगा समाज के वोटर हैं, और फिर इसके बाद शहडोल लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा ब्राह्मण समाज के लोग हैं, कुल मिलाकर जिस तरह से गोंड़ समाज के वोटर्स ज्यादा हैं, उससे साफ पता चलता है कि इस लोकसभा सीट में परिणाम में भी ये वर्ग निर्णायक साबित होते हैं, और इसीलिए हर बार भी दोनों ही पार्टियां गोंड़ समाज के प्रत्याशियों को ही चुनावी मैदान में उतारना मुनासिब समझती हैं, और तरजीह भी देती हैं, अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने गोंड समाज के प्रत्याशियों को चुनावी मैदान पर उतारा है, जिनका दावा है कि उनकी समाज में अच्छी पैठ है, अब देखना ये होगा की बाजी कौन मारता है.