KADAKNATH POULTRY: अगर आप मुर्गी पालन करना चाह रहे हैं और उसमें ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना चाह रहे हैं, तो इसके लिए जरूरी है कि आप सही नस्ल के मुर्गियों का पालन करें. जिन मुर्गियों की मौजूदा समय में सबसे ज्यादा डिमांड है. उन मुर्गियों का पालन करें, यह बात हर किसी को पता है कि इस समय कड़कनाथ मुर्गे की काफी डिमांड है. मुर्गियों में कड़कनाथ एक ऐसा नस्ल है, जो आपको एटीएम की तरह कड़क पैसा दिला सकता है.
जानिए कड़कनाथ के बारे में
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि 'कड़कनाथ मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिला में जो वहां के भील भिलाला ट्राइब्स हैं. आदिवासी हैं ये इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों का आदिकाल से पालन करते आ रहे हैं. भारत सरकार ने झाबुआ को कड़कनाथ का जीआई टैग भी दिया है.
कड़कनाथ की खासियत
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कड़कनाथ मुर्गे में बहुत खासियत होती है. इसके चोंच, इसके पंख, इसका पूरा शरीर, इसका मांस सब कुछ काले रंग का होता है, क्योंकि इसमें मिलेनिन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ज्यादा प्रोटीन युक्त होता है. मुर्गे के अन्य जो किस्म है. उसमें 18 से 20% तक प्रोटीन होता है, लेकिन कड़कनाथ का जो मांस होता है, उसमें 25 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है. इसमें वसा कोलेस्ट्रॉल भी बहुत कम होता है. इसमें आयरन की मात्रा बहुत ज्यादा होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं के लिए कुपोषित बच्चों के लिए बहुत ही बेहतर होता है. कुपोषण को दूर करने के लिए कारगर होता है. इसके अंडे जो हैं बाजार में 20 से 30 रुपए के बीच बाजार में बिक रहे हैं.
बैकयार्ड पोल्ट्री के लिए बेस्ट कड़कनाथ
आप देखेंगे हमारे आदिवासी क्षेत्र में कृषक बैकयार्ड पोल्ट्री के रूप में कई अलग-अलग किस्मों के मुर्गों का पालन करते हैं, लेकिन इनकी ग्रोथ और बढ़वार बहुत कम होती है. बाजार में मूल्य लगभग ₹500 प्रति किलोग्राम तक प्राप्त होते हैं. ऐसे में कड़कनाथ मुर्गा पालन की बात करें तो उसी समय में कम अवधि में प्रति KG की दर से कड़कनाथ की बिक्री करेंगे, तो उनको अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सकती है.
बैकयार्ड पोल्ट्री में कड़कनाथ का पालन का मुख्य उद्देश्य होता है कि बैकयार्ड का मतलब ही होता है कि घर के आसपास जो किचन होते हैं. उसके रसोई से जो हमारे बर्तन के धुलने, सब्जी भाजी काटने पर वेस्ट निकलता है. उसके अलावा जो घर के आंगन के आसपास कीड़े-मकोड़े, चीटियां होती हैं, वो कड़कनाथ का मुख्य आहार होता है. इसके बाद अतिरिक्त आहार की जरूरत हमें नहीं पड़ती है. इतने आहार में ही इस नस्ल के मुर्गे की बढ़वार हो जाती है.
कड़कनाथ पालन में सावधानियां
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कड़कनाथ मुर्गे के पालन में हमें कुछ सावधानियां रखनी होती है. पोल्ट्री हाउस जो है, मुख्य सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हो, हमारा जो पोल्ट्री हाउस है, वो ऊंचाई पर हो, वहां पर पानी इकट्ठा होने की समस्या ना हो, क्योंकि ऐसा होने पर बरसात के दिनों में आने वाले समय में मुर्गियों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां लगने का डर ज्यादा रहता है. जो पोल्ट्री सेट होता, उसकी लंबाई होती है, पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होनी चाहिए. जिससे सूरज की रोशनी ज्यादा से ज्यादा उसमें ना पड़ सके. जो छज्जा होता है, वो छज्जा बाहर की ओर होता है.
डेढ़ मीटर निकला हुआ हो, उसमें अच्छे हवादार जाली लगी हो. जिससे हवा का आदान-प्रदान हो सके. जब भी हमें चूजे लाने हों तो उसके पूर्व जिस पोल्ट्री हाउस में जहां पर हमें उनका पालन करना है, उस घर की चूने से पुताई कर दें. कोशिश करें कि उस घर को कीट मुक्त बीमारी मुक्त करें. जिन बर्तनों में चूजे मुर्गियों को पानी देना है, उन बर्तनों को अच्छी तरह से साफ कर लें. कीट मुक्त कर लें, जो पोल्ट्री हाउस में ब्रोडर हॉपर जिससे हमें गर्मी देनी होती है. उन सबकी हमें साफ-सफाई कर लेनी होती है.
चूजे कहां से लाना बेस्ट
जब भी हम चूजे लेकर आएं, वो चूजे हमें शासकीय संस्था से ही खरीदी करनी चाहिए, क्योंकि उनमें टीकाकरण लगा हुआ होता है. जिससे मुर्गियों को आने वाली जो बीमारियां होती हैं, उसे रोकथाम हो जाता है.
तापमान ऐसे करें एडजस्ट
जो पोल्ट्री हाउस होता है, वहां ब्रोडर हॉपर होता है, उसके नीचे हमें 200 वाट का बल्ब लगाना होता है. जिससे उस कमरे का तापमान 32 डिग्री से लेकर के 35 डिग्री के आसपास हो जाए. 100 चूजों के लिए हमें 200 वाट के दो से तीन बल्ब लगाने होते हैं. ब्रोडर हॉपर की दूरी जमीन से लगभग 2 से 3 फीट की ऊंचाई पर लगाते हैं, ये हमें एडजस्ट करना होता है. जब भी चूजे ब्रॉडर हॉपर के नीचे इकट्ठा होने लगें. इसका मतलब होता है, चूजों को भी ठंड लग रही है. ऐसे में लाइट का जो बल्ब होता है, उसको नीचे की ओर करते हैं. अगर चूजे दूर भाग रहे हैं, मतलब गर्मी बहुत ज्यादा लग रही है, ऐसे में जो ब्रोडर हॉपर होता है, उसको ऊपर की ओर हम ऊंचाई पर ले जाते हैं.
भोजन का ऐसे रखें ख्याल ?
इसके अलावा पेपर में जो दाने देते हैं, 100 चूजों के लिए प्रतिदिन आधा केजी शुरुआत में दाने पर्याप्त होता है. शुरू में जब भी हम कड़कनाथ के चूजें लाएं तो उसमें आठ प्रतिशत शक्कर की घोल उन्हें लगभग 8 से 15 घंटे में पिलाना होता है. उन्हें एक हफ्ते तक बीमारियों से रोकथाम के लिए इलेक्ट्रोल, विटामिन्स देने होते हैं, बी कांप्लेक्स देना होता है. जिससे शुरुआती हफ्ते में चूजे के मरने की दर जो 50% होती है, वो कम हो जाती है. जिससे आपके कड़कनाथ के चूजे बच जाएंगे.
इस अवस्था में निकालें बाहर
जब आपका चूजा एक से डेढ़ महीने का हो जाए, तो फिर बैकयार्ड पोल्ट्री के रूप में आप बाहर चरने के लिए उनको छोड़ दें. आप देखेंगे हमारा जो कड़कनाथ है, वो डेढ़ से दो किलो वजन 4 से 5 महीने में ही प्राप्त कर लेता है. जब भी आप इसको बाजार में देंगे, तो आप अन्य मुर्गों की तुलना में इसका बाजार मूल्य आपको ज्यादा प्राप्त होगा.
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एटीएम से कम नहीं
देखा जाए तो कड़कनाथ का बाजार मूल्य भी ज्यादा होता है. इसकी डिमांड भी बहुत ज्यादा है और ये एक एटीएम की तरह होता है. जब भी पैसों की जरूरत हो, इसे अच्छे दाम में बाजार में बेचकर आप पैसे हासिल कर सकते हैं, क्योंकि इसकी बाजार में कीमत लगभग 1000 हजार रुपए प्रति किलो तक है.