HARTALIKA TEEJ DATE AND TIME: अगस्त का महीना खत्म होने को है और सितंबर महीने में हरतालिका तीज आ रही है. हरतालिका तीज एक ऐसा दिन होता है, जिस दिन महिलाएं सबसे कठिन व्रत करती हैं. इसे करना आसान नहीं होता है. हरतालिका तीज कब है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है, साथ ही कौन-कौन से योग बन रहे हैं. आइए ये सब कुछ जानते हैं ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से. जिन्होंने बताया कि इस बार कई सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जिससे इस बार की तीज बहुत ही शुभ मानी जाएगी.
कब है हरतालिका तीज का व्रत
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ''तीज का व्रत सबसे बड़ा व्रत होता है. ये 6 सितंबर 2024 को इस बार पड़ रहा है. उस दिन तृतीया सोमवार का दिन है. तृतीया 1:24 बजे तक है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के समय जो तिथि रहती है, वह पूर्ण मानी जाती है, यानी जो तृतीय हरतालिका व्रत है वह पूरा दिन पूरी रात रहेगी. ये व्रत लगभग सभी जगह होता है. ये व्रत सभी व्रतों का राजा होता है. जैसे करवा चौथ है और हरछठ है. इन व्रतों से भी सबसे कठिन व्रत तीज का होता है. इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. स्त्रियों का सुहाग बना रहता है. जो लड़कियां व्रत करती हैं उनको मनचाहा सुंदर और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.''
7 साल बाद बन रहा है ऐसा योग
ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि ''उस दिन 3 योग भी पड़ रहे हैं, जो लगभग 7 वर्ष बाद ऐसा योग मिल रहा है. हस्त नक्षत्र व मघा वर्षा और अमृत सिद्धि योग होने के कारण इस बार का हरितालिका तीज का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है. हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि पड़ रही है, ऐसे में लड़कियां व्रत प्रारंभ कर सकती हैं. व्रत प्रारंभ करने के बाद सायं कालीन शिव पार्वती की मूर्ति बना लें. उन्हें एक लकड़ी के पटा में रखकर सजा लें और फिर उसके बाद 6 से 9 के बीच प्रथम प्रहर की पूजा होगी. 9 से 12 द्वितीय प्रहर, 12 से 3 तृतीय प्रहर और 3 से 6 चतुर्थ प्रहर की पूजा होगी. यानी पूरी रात व्रती महिलाओं को को जागरण करना पड़ता है. ना दिन को सोना है ना रात को सोना है. इस दिन चारपाई में नहीं बैठना चाहिए. इस दिन भगवान शिव पार्वती के भजन में मन लगाना है.''
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24 घंटे तक रहना पड़ता है उपवास
पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने आगे बताया कि ''4 प्रहर की पूजा करने के बाद सुबह 6 बजे पूरी सामग्री को तालाब में विसर्जित कर दें. इसके बाद स्नान करें और सबसे पहले ब्राह्मणों को यथाशक्ति कुछ दान करें. फिर बाद में भोजन करें, ये व्रत द्वितीया को शाम के समय फलाहार करके शुरू करें. रात्रि को बिना जल बिना दूध यानी कोई भी चीज मुंह के अंदर नहीं जाना चाहिए. ऐसा कठिन व्रत है जिसमें सुबह से लेकर दूसरे सुबह तक 24 घंटे तक उपवास रहना है.''