शहडोल (अखिलेश शुक्ला): जहां चाह वहां राह इस कहावत को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के एक युवा ने सही साबित कर दिया है. दरअसल, भमरहा गांव के रहने वाले लाल बाबू सिंह सेंगर ने कड़ी मेहनत से मशरूम का बड़ा बिजनेस खड़ा कर दिया है. आसपास के लोग उनकी इस कड़ी मेहनत की बड़ाई करते नहीं थक रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर दिल से कुछ चाहो, उसे कड़ी मेहनत से हासिल किया जा सकता है. इस कहावत को लालबाबू सिंह ने चरितार्थ किया है.
मशरूम का बड़ा बिजनेस
शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूर भमरहा गांव है. यहां के रहने वाले लाल बाबू सिंह सेंगर जिनकी उम्र 39 साल है. लाल बाबू सिंह सेंगर ने एक छोटे से शेड में मशरूम का इतना बड़ा बिजनेस बना दिया कि अब लोग उसे देखने पहुंच रहे हैं. लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. आसपास के लोग उनके यहां पहुंचकर मशरूम की खेती के तरीकों और बिजनेस को सीख रहे हैं. इसके अलावा किसानों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.
फेल होने के बाद फिर से की वापसी
लाल बाबू सिंह सेंगर ने बताया कि "उनके परिवार में धान, गेहूं और सब्जी की खेती की जाती थी. उनकी इच्छा थी कि वो कुछ हटके करेंगे, इसीलिए उन्होंने मशरूम की खेती को चुना. लाल बाबू ने कहा, " मैंने साल 2002 में मशरूम की खेती करने का प्रयास किया था, लेकिन फेल हो गया था. इसकी वजह थी कि मुझे बाजार में कैसे बेचना है इसके बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी. जिसकी वजह से तैयार मटेरियल को बाजार में बेच नहीं सका और मुझे निराश होकर इसे छोड़ना पड़ा."
पूरी तैयारी के साथ शुरू किया बिजनेस
लाल बाबू ने कहा, "मशरूम की खेती को छोड़ने के बाद बागवानी की, लेकिन मन नहीं लगा. इसके बाद मैंने 2021 में कोरोना काल के दौरान एक बार फिर से डबल एनर्जी के साथ मशरूम की खेती की शुरुआत करने का मन बनाया. इसके लिए सबसे पहले मैंने अपने सागौन के बगीचे में मशरूम की खेती के लिए शेड तैयार किया. इसके बाद मशरूम का बाजार बनाने पर फोकस किया. साथ ही ठान लिया कि इस बार सिर्फ मशरूम की खेती की करना है.
कड़ी मेहनत से मिली सफलता
मशरूम की फसल तैयार होने के बाद उसे बेचने के लिए खुद ही साइकिल लेकर बेचना शुरू किया. साथ ही बाजारों में स्टॉल लगाना शुरू किया. इसके अलावा मशरूम को लोगों के दुकानों, ऑफिसों और घरों में पहुंचना भी शुरु कर दिया. धीरे-धीरे उनसे कांटेक्ट बनाना और लोग जानने लगे, तो हमारे यहां से ताजा मशरूम खरीदने लगे. साथ ही दूसरे लोगों को भी हमारे मशरूम के बारे में बताया जिससे काफी मदद मिली. इस दौरान लोग खुद ही फोन करके मंगवाने लगे. फिलहाल अब मशरूम बेचने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है. अपने आप ही बिक जाता है. बाजार में पकड़ होने से बिजनेस भी लगातार बढ़ रहा है."
ट्रेनिंग से लेकर शेड विजिट सबकी फीस
लाल बाबू ने बताया कि "इस बार अपने मशरूम की खेती को सफल बनाने के लिए उन्होंने छोटी-छोटी बातों का भी बारीकी से ध्यान रखा, ताकि हर ओर से पैसे आते रहें और उन्हें नुकसान ना हो. अब वह दूसरे लोगों को मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग भी देते हैं, जिसके लिए 2000 रुपए फीस भी चार्ज करते हैं. वे ट्रेनिंग देने के अलावा लोगों द्वारा उगाई जा रही मशरूम की फसल का निरीक्षण करते हैं. फसल में अगर कोई बीमारी लगी है या कोई समस्या है, तो वो उनके शेड में जाकर उसका निराकरण करते हैं."
किसानों से खरीदते हैं मशरूम पाउडर
उन्होंने बताया कि "वे किसानों का ताजा मशरूम तो नहीं ले पाते हैं, क्योंकि उनके पास खुद अधिक मात्रा में मशरूम होता है, लेकिन अगर कोई सूखा मशरूम या पाउडर देता है, तो वो उसे खरीद लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि "जो लोग उनसे यूनिक शेड बनवाते हैं या उनके शेड में कोई घूमना चाहता है, तो उसका भी चार्ज लेते हैं. अपने यूनिक शेड विजिट के लिए उन्होंने ₹100 फीस रखी है."
पाउडर, अचार सब कुछ अवेलेबल
लाल बाबू सिंह कहते हैं कि "वो ताजा मशरूम तो बेच ही रहे हैं. इसके अलावा मशरूम का पाउडर बनाना भी शुरू किया, जो अच्छे महंगे दामों पर बिकता है और जो मशरूम बच जाता है. उससे अचार भी बनाते हैं, जो अच्छे दाम पर बिकता है और लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं. लाल बाबू कहते हैं कि उनके पास ताजा मशरूम 2 से 3 वैरायटी के उपलब्ध हैं. इनके रेट ₹200 से लेकर ₹300 किलो तक हैं.
कई तरह के उगाते हैं मशरूम
उन्होंने बताया कि "वे कई प्रकार के ओयस्टर मशरूम की खेती करते हैं. साथ में बटन मशरूम की भी खेती करते हैं. वहीं जो मशरूम से पाउडर तैयार होता है. उसको ₹1200 प्रति किलो में बेचते हैं, जो की पूरी तरह से नेचुरल होता है. मशरूम के अचार को ₹500 प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. इसका रेट फिक्स किया है. लोग अच्छी खासी मात्रा में खरीद भी रहे हैं. हालांकि, अभी इसकी शुरुआत हुई है. उनका मानना धीरे-धीरे इसकी डिमांड और बढ़ेगी."
- धान-गेहूं ही नहीं राजमा भी बना रहा अमीर, खेती में किसानों को ढेरो ऑप्शन
- बैगन की खेती से किसान रातों-रात बना लखपति, एक एकड़ से 5 से 6 लाख तक कमाई
बिजनेस में कोई लिमिट नहीं
लाल बाबू सिंह ने बताया कि "उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए कभी प्रयास ही नहीं किया और ना ही उस ओर ध्यान दिया. शुरुआत से ही वो बिजनेस माइंडेड थे और उनका एक ही मानना था कि सरकारी नौकरी में बहुत सारी बाउंडेशन होती है. सैलरी भी फिक्स होती है, लेकिन बिजनेस में कोई लिमिट नहीं होती है. जितनी मेहनत जितना बड़ा बड़ा मुनाफा होता है. मेरा पूरा फोकस यही है कि मशरूम के बिजनेस को इतना बड़ा कर दूं कि आदिवासी अंचल का एक बड़ा नाम हो और खुद भी एक बड़ा नाम बना सकूं."