जयपुर. प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही ग्रेटर नगर निगम की उन 7 वर्किंग कमेटियों को भी मंजूरी मिल गई, जिस पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने रोक लगा दी थी. करीब तीन साल बाद ग्रेटर निगम समितियों की संख्या 21 से बढ़कर 28 हो गई है. इसके साथ ही अब जहां ग्रेटर नगर निगम के कार्यों को गति मिलेगी, वहीं ग्रेटर निगम ने दूसरे नगरीय निकायों के लिए भी 28 समितियां बनाने तक के रास्ते खोल दिए हैं.
ग्रेटर निगम के पहले बोर्ड की पहली बोर्ड बैठक में 21 वर्किंग कमेटियों और 7 अतिरिक्त समितियों का प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा था, जिनको पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने अनुमोदित नहीं किया. सरकार की ओर से जारी आदेशों को महापौर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेशों पर रोक लगा दी थी. उसके बाद से ग्रेटर निगम की 21 वर्किंग कमेटियों ने काम करना शुरू किया, लेकिन 7 अतिरिक्त समितियों का अनुमोदन नहीं होने से ये कमेटियां अस्तित्व में नहीं आ पाई थी, लेकिन अब बीजेपी सरकार ने इन कमेटियों के अनुमोदन की स्वीकृति जारी की है.
इन समितियों को मिली हरी झंडी :
- नगरीय विकास कर समिति
- वर्षा जल पुर्नभरण एवं संरक्षण समिति
- फुटकर व्यावसाय पुनर्वास समिति
- सीवरेज संधारण समिति
- अतिक्रमण निरोधक समिति
- अवैध भवन निर्माण निरोधक समिति
- सामाजिक सहायक एवं लोककल्याण समिति
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महापौर बोलीं - अब कार्यों को मिलेगा बल : इन वर्किंग कमेटियों को मंजूरी मिलने के बाद जहां इन कमेटियों के चेयरमैन खुशी से खिल उठे. वहीं महापौर सौम्या गुर्जर ने भी सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रेटर नगर निगम की सात समितियों को तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से रोका गया था. इससे नगर निगम का काम भी प्रभावित भी हुआ था, लेकिन अब बीजेपी सरकार ने समितियों को हरी झंडी दिखा दी है. ऐसे में अब निगम के कार्यों को बल मिलेगा और सार्थकता पूर्ण कार्य किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि इन समितियां के अध्यक्षों ने 3 साल संघर्ष किया है. वह निगम में अपना काम भी समझ चुके हैं, लेकिन जब भी आवश्यकता पड़ी तो दिशा निर्देश भी दिए जाएंगे और कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे.उधर, हेरिटेज नगर निगम में अब तक समितियां का गठन तक नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से न सिर्फ कांग्रेसी बल्कि निर्दलीय पार्षदों में भी रोष है.