ETV Bharat / state

धनबाद में ओबीसी के बाद अब भाजपा के लिए राजपूतों को मनाने की बारी, चार सीटों पर 7 राजपूत नेता दावेदार - Jharkhand Assembly Elections 2024

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 16, 2024, 2:28 PM IST

Rajput leaders of BJP in Dhanbad. लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन सांसद पीएन सिंह का टिकट काटकर बीजेपी ने धनबाद से ढुल्लू महतो को चुनाव मैदान में उतारा था. बीजेपी के इस फैसले से राजपूत समाज में नाराजगी है. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने धनबाद में ओबीसी को साध लिया है अब राजपूतों को मनाने की बारी है. जिले में चार विधानसभा सीट हैं, जहां से 7 राजपूत नेता दावेदार हैं.

Rajput leaders of BJP in Dhanbad
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

धनबाद: देश की कोयला राजधानी धनबाद की राजनीति में पिछले पांच दशक से राजपूत नेताओं का ही वर्चस्व रहा है. चाहे लोकसभा सीट हो या फिर विधानसभा, दोनों सीटों पर सत्ता हासिल करने के लिए कई बार गोलियों की तड़तड़ाहट और बमों से हमले होते रहे हैं. कोयलांचल में सत्ता हासिल करने के लिए खूनी संघर्ष और एक दूसरे प्रतिद्वंद्वी की लाशें बिछाना राजनीति गलियारों में बैठे दबंग नेताओं के लिए कोई बड़ी बात नहीं है.

कोयलांचल की जनता भी इस बात को स्वीकार करती है कि नीरज सिंह, सुरेश सिंह, शकलदेव सिंह, प्रमोद सिंह, राजीव रंजन सिंह और सुशांतो सेन गुप्ता और न जाने कितने लोगों की राजनीति में वर्चस्व को लेकर बलि चढ़ गई. इस बार भी होने वाले विधानसभा चुनाव में कयास लगाया जा रहा है कि छह विधानसभा के किसी भी क्षेत्र में चुनाव के दौरान गोली, बमबारी और हत्या की घटना घट सकती है.

हालांकि, इस बार राजपूत घरानों के कई नेता चुनावी मैदान में उतरेंगे और अपना भाग्य आजमाएंगे. कोयलांचल की राजनीति में सबसे अधिक इस बार एलबी सिंह का नाम चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा है. भाजपा से धनबाद या झरिया विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं. धनबाद से राज सिन्हा तीन बार विधायक रह चुके हैं. लोगों का कहना है कि पार्टी के भीतर कई नेता और कार्यकर्ता बयानबाजी को लेकर नाराज चल रहे हैं.

राज सिन्हा के बदले एलबी सिंह को बीजेपी के आला कमान टिकट देता है तो जीत तय माना जा रहा है. झरिया विधानसभा से भी टिकट मिलने की अधिक उम्मीद जताई जा रही है. जहां से सिंह मेंशन का परिवार पचास वर्षों से सत्ता संभाल रही है. सूर्यदेव सिंह से लेकर बच्चा सिंह, कुंती सिंह, संजीव सिंह और अभी कांग्रेस से पूर्णिमा नीरज सिंह सत्ता पर काबिज हैं.

भाजपा के अलावा कांग्रेस में भी कई राजपूत नेता हैं जो चुनावी मैदान में इस बार बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे. भाजपा के राजपूत नेताओं में कोयला कारोबारी एलबी सिंह समेत असर्फी हॉस्पिटल के मालिक हरेंद्र सिंह, रागिनी सिंह, रणजीत सिंह, विनय सिंह, प्रशांत सिंह, अमरेश सिंह शामिल हैं.

झरिया से एलबी सिंह चुनाव जीते तो सिंह मेंशन का 50 वर्षों का किला हो जाएगा ध्वस्त

झरिया विधानसभा से एलबी सिंह चुनाव लड़ते हैं और चुनावी जंग में जीत दर्ज होती है तो सिंह मेंशन का 50 वर्षों का चुनावी किला ध्वस्त हो जाएगा. फिर भविष्य में झरिया विधानसभा में सत्ता हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. एलबी सिंह कभी सिंह मेंशन के राजनीति की दुनिया के चाणक्य माने जाने वाले रामधीर सिंह के शिष्य थे. कोयले की कारोबार में आने और कोयलांचल में वर्चस्व हासिल करने के लिए मेंशन घराने को ढाल बनाया और बाद में सैकड़ों युवाओं का साथ मिलने से खुद को मेंशन घराने से अलग कर लिया. आज की तारीख में एलबी सिंह कोयलांचल के लिए बड़ा चेहरा है. जिसे मात देना दूसरे घराने के लिए मुश्किल है.

पीएन सिंह को सांसद का टिकट नहीं मिलने और ढुल्लू महतो के जीतने से राजपूत समाज नाराज

पशुपतिनाथ सिंह कोयलांचल ही नहीं बल्कि झारखंड में भाजपा में सबसे बड़ा राजपूत चेहरा रहे. लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कटने से राजपूत समाज में नाराजगी है. राजपूत नेताओं को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा से किसी राजपूत को टिकट देकर राजपूत समाज की यह नाराजगी दूर करेगी. झरिया के अलावा धनबाद विधानसभा सीट पर टिकट मिलने को लेकर राजपूत नेता काफी आश्वस्त हैं.

कोयलांचल की चार विधानसभा सीटों पर राजपूत नेताओं की इस बार दावेदारी है. धनबाद, झरिया, बाघमारा और निरसा विधानसभा क्षेत्र में अपनी दावेदारों पेश करेंगे. कई ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में भी टिकट के लिए जोर लगाया था. धनबाद विधानसभा सीट से राजपूत नेता दावेदारी कर रहे हैं. सबसे चौंकाने वाले नाम चर्चित कोयले के क्षेत्र में आउटसोर्सिंग संचालक एलबी सिंह और असर्फी अस्पताल के मालिक हरेंद्र सिंह का है. हरेंद्र सिंह धनबाद के साथ-साथ बाघमारा सीट के भी दावेदार हैं. एलबी सिंह की नजर धनबाद के साथ-साथ झरिया सीट पर भी है. वैसे झरिया से रागिनी सिंह को कोई चुनौती नहीं है. रागिनी को फिर से टिकट मिलने की बात सभी राजपूत नेता स्वीकार करते हैं.

बीजेपी के ये सात नेता हैं दावेदार

  1. रागिनी सिंह- झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी रागिनी सिंह मजबूती से उनका राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं. भाजपा के राजनीति और झरिया विधानसभा क्षेत्र में सालों भर सक्रिय रहती हैं. रागिनी सिंह की चुनावी लड़ाई अपनों से है. नीरज सिंह की हत्या के बाद उनके पति को जेल जाना पड़ा. जनता की सहानुभूति पूर्णिमा नीरज सिंह को मिलने से वह चुनाव जीत गई. इस बार रागिनी सिंह और राजपूत समाज को भरोसा है कि इस बार भाजपा से टिकट मिलने पर जीत हासिल कर लेंगी.
  2. एलबी सिंह- कोलियरी क्षेत्रों में एलबी सिंह की बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी है. कोयलांचल में अपनी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इनका नेटवर्क धनबाद से रांची और दिल्ली तक फैला हुआ है. लोग कहते हैं कि भाजपा के कई बड़े नेता से भी एलबी सिंह का संपर्क है. यही उनकी ताकत है, लेकिन राजनीति का कोई अनुभव नहीं है. दबंग छवि है और आम लोगों के बीच पहचान नहीं बना पाए हैं.
  3. रणजीत सिंह- भाजपा के उभरते नेता हैं. ज्यादातर इलाकों में उन्होंने काफी बेहतर काम किया है. जिला से लेकर प्रदेश के नेताओं से बेहतर संबंध हैं. लोगों की मानें तो पार्टी के कई नेताओं के अनुसार टिकट के लिए और परिपक्व होने की जरूरत है. आम जनता के बीच बड़ी पहचान बनाने की जरूरत है. तभी टिकट मिलने के साथ-साथ विधायक बनने की उम्मीद रहती है.
  4. हरेंद्र सिंह- हरेंद्र सिंह की पहचान बड़े घरानों के बीच ही सीमित है. आम लोग इन्हें नहीं के बराबर जानते हैं. बड़े लोगों से संपर्क और कुछ गिने चुने लोगों से चुनाव में जीत नहीं दिला सकता है. चुनाव में जीत उसे ही हासिल होता है, जिसे अमीर से लेकर मीडिल क्लास और गरीब परिवार के सभी लोग जानते हैं, वरना मेहनत और पैसा दोनों बेकार चला जाता है. बड़े अस्पताल के संचालक होने के कारण उनका नेटवर्क सिर्फ बड़े लोगों के बीच ही सीमित है. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता से नजदीकी संपर्क है, लेकिन जीत दिलाने के नाकाफी है. राजनीति की दुनिया के नया खिलाड़ी हैं. संगठन का अनुभव नहीं है.
  5. विनय सिंह- प्रदेश भाजपा की राजनीति में तेजी से उभरे हैं. झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन से भी जुड़े हैं. अच्छे वक्ता हैं. भाजपा के बड़े नेताओं से बेहतर संबंध हैं. हालांकि धनबाद विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता नहीं के बराबर है. टिकट हासिल करने और चुनाव जीतने के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत है. चुनाव जीतने के लिए आम लोगों के बीच पहचान बनानी पड़ती है और जनता का भरोसा जीतना पड़ता है.
  6. अमरेश सिंह- भाजपा की राजनीति में कुछ वर्षों से सक्रिय हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे ढुल्लू महतो जो अब सांसद बन गए, चुनाव के दौरान उनके साथ काफी सक्रिय रहे हैं. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के करीबी हैं. खुद को बड़े नेता के रूप में जनता के बीच अभी तक मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं. हाल के दिनों में कार्यक्रमों में सक्रियता बढ़ी है.
  7. प्रशांत सिंह- धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह के पुत्र हैं. झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता हैं. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं. बार काउंसिल के सदस्य के रूप में तो सक्रिय रहे हैं, लेकिन कोयलांचल में भाजपा की राजनीति में सक्रियता नहीं के बराबर है. वर्तमान सांसद ढुल्लू महतो से भी बेहतर संबंध नहीं हैं. कई नेताओं की दो-दो सीट पर नजर है.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विनय सिंह धनबाद के साथ-साथ निरसा सीट के भी दावेदार हैं. धनबाद सीट से पूर्व सांसद पीएन सिंह के पुत्र अधिवक्ता प्रशांत सिंह, युवा नेता रणजीत सिंह और अमरेश सिंह भी दावेदार हैं. फिलहाल सभी राजपूत नेता चुनावी मैदान में फतेह तभी हासिल कर सकते हैं, जब भाजपा अपने जीते हुए तीनों विधायकों राज सिन्हा, इंद्रजीत महतो और अपर्णा सेन गुप्ता को टिकट नहीं देगी.

ये भी पढ़ें-

बेरमो विधानसभा से भाजपा की टिकट के कई दावेदार, असमंजस में पार्टी नेतृत्व और जनता - Bermo Assembly Constituency

गोमिया विधानसभा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति, जेबीकेएसएस से टिकट की रेस में कई नेता शामिल - Gomia Assembly

धनबाद: देश की कोयला राजधानी धनबाद की राजनीति में पिछले पांच दशक से राजपूत नेताओं का ही वर्चस्व रहा है. चाहे लोकसभा सीट हो या फिर विधानसभा, दोनों सीटों पर सत्ता हासिल करने के लिए कई बार गोलियों की तड़तड़ाहट और बमों से हमले होते रहे हैं. कोयलांचल में सत्ता हासिल करने के लिए खूनी संघर्ष और एक दूसरे प्रतिद्वंद्वी की लाशें बिछाना राजनीति गलियारों में बैठे दबंग नेताओं के लिए कोई बड़ी बात नहीं है.

कोयलांचल की जनता भी इस बात को स्वीकार करती है कि नीरज सिंह, सुरेश सिंह, शकलदेव सिंह, प्रमोद सिंह, राजीव रंजन सिंह और सुशांतो सेन गुप्ता और न जाने कितने लोगों की राजनीति में वर्चस्व को लेकर बलि चढ़ गई. इस बार भी होने वाले विधानसभा चुनाव में कयास लगाया जा रहा है कि छह विधानसभा के किसी भी क्षेत्र में चुनाव के दौरान गोली, बमबारी और हत्या की घटना घट सकती है.

हालांकि, इस बार राजपूत घरानों के कई नेता चुनावी मैदान में उतरेंगे और अपना भाग्य आजमाएंगे. कोयलांचल की राजनीति में सबसे अधिक इस बार एलबी सिंह का नाम चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा है. भाजपा से धनबाद या झरिया विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं. धनबाद से राज सिन्हा तीन बार विधायक रह चुके हैं. लोगों का कहना है कि पार्टी के भीतर कई नेता और कार्यकर्ता बयानबाजी को लेकर नाराज चल रहे हैं.

राज सिन्हा के बदले एलबी सिंह को बीजेपी के आला कमान टिकट देता है तो जीत तय माना जा रहा है. झरिया विधानसभा से भी टिकट मिलने की अधिक उम्मीद जताई जा रही है. जहां से सिंह मेंशन का परिवार पचास वर्षों से सत्ता संभाल रही है. सूर्यदेव सिंह से लेकर बच्चा सिंह, कुंती सिंह, संजीव सिंह और अभी कांग्रेस से पूर्णिमा नीरज सिंह सत्ता पर काबिज हैं.

भाजपा के अलावा कांग्रेस में भी कई राजपूत नेता हैं जो चुनावी मैदान में इस बार बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे. भाजपा के राजपूत नेताओं में कोयला कारोबारी एलबी सिंह समेत असर्फी हॉस्पिटल के मालिक हरेंद्र सिंह, रागिनी सिंह, रणजीत सिंह, विनय सिंह, प्रशांत सिंह, अमरेश सिंह शामिल हैं.

झरिया से एलबी सिंह चुनाव जीते तो सिंह मेंशन का 50 वर्षों का किला हो जाएगा ध्वस्त

झरिया विधानसभा से एलबी सिंह चुनाव लड़ते हैं और चुनावी जंग में जीत दर्ज होती है तो सिंह मेंशन का 50 वर्षों का चुनावी किला ध्वस्त हो जाएगा. फिर भविष्य में झरिया विधानसभा में सत्ता हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. एलबी सिंह कभी सिंह मेंशन के राजनीति की दुनिया के चाणक्य माने जाने वाले रामधीर सिंह के शिष्य थे. कोयले की कारोबार में आने और कोयलांचल में वर्चस्व हासिल करने के लिए मेंशन घराने को ढाल बनाया और बाद में सैकड़ों युवाओं का साथ मिलने से खुद को मेंशन घराने से अलग कर लिया. आज की तारीख में एलबी सिंह कोयलांचल के लिए बड़ा चेहरा है. जिसे मात देना दूसरे घराने के लिए मुश्किल है.

पीएन सिंह को सांसद का टिकट नहीं मिलने और ढुल्लू महतो के जीतने से राजपूत समाज नाराज

पशुपतिनाथ सिंह कोयलांचल ही नहीं बल्कि झारखंड में भाजपा में सबसे बड़ा राजपूत चेहरा रहे. लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कटने से राजपूत समाज में नाराजगी है. राजपूत नेताओं को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा से किसी राजपूत को टिकट देकर राजपूत समाज की यह नाराजगी दूर करेगी. झरिया के अलावा धनबाद विधानसभा सीट पर टिकट मिलने को लेकर राजपूत नेता काफी आश्वस्त हैं.

कोयलांचल की चार विधानसभा सीटों पर राजपूत नेताओं की इस बार दावेदारी है. धनबाद, झरिया, बाघमारा और निरसा विधानसभा क्षेत्र में अपनी दावेदारों पेश करेंगे. कई ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में भी टिकट के लिए जोर लगाया था. धनबाद विधानसभा सीट से राजपूत नेता दावेदारी कर रहे हैं. सबसे चौंकाने वाले नाम चर्चित कोयले के क्षेत्र में आउटसोर्सिंग संचालक एलबी सिंह और असर्फी अस्पताल के मालिक हरेंद्र सिंह का है. हरेंद्र सिंह धनबाद के साथ-साथ बाघमारा सीट के भी दावेदार हैं. एलबी सिंह की नजर धनबाद के साथ-साथ झरिया सीट पर भी है. वैसे झरिया से रागिनी सिंह को कोई चुनौती नहीं है. रागिनी को फिर से टिकट मिलने की बात सभी राजपूत नेता स्वीकार करते हैं.

बीजेपी के ये सात नेता हैं दावेदार

  1. रागिनी सिंह- झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी रागिनी सिंह मजबूती से उनका राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं. भाजपा के राजनीति और झरिया विधानसभा क्षेत्र में सालों भर सक्रिय रहती हैं. रागिनी सिंह की चुनावी लड़ाई अपनों से है. नीरज सिंह की हत्या के बाद उनके पति को जेल जाना पड़ा. जनता की सहानुभूति पूर्णिमा नीरज सिंह को मिलने से वह चुनाव जीत गई. इस बार रागिनी सिंह और राजपूत समाज को भरोसा है कि इस बार भाजपा से टिकट मिलने पर जीत हासिल कर लेंगी.
  2. एलबी सिंह- कोलियरी क्षेत्रों में एलबी सिंह की बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी है. कोयलांचल में अपनी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इनका नेटवर्क धनबाद से रांची और दिल्ली तक फैला हुआ है. लोग कहते हैं कि भाजपा के कई बड़े नेता से भी एलबी सिंह का संपर्क है. यही उनकी ताकत है, लेकिन राजनीति का कोई अनुभव नहीं है. दबंग छवि है और आम लोगों के बीच पहचान नहीं बना पाए हैं.
  3. रणजीत सिंह- भाजपा के उभरते नेता हैं. ज्यादातर इलाकों में उन्होंने काफी बेहतर काम किया है. जिला से लेकर प्रदेश के नेताओं से बेहतर संबंध हैं. लोगों की मानें तो पार्टी के कई नेताओं के अनुसार टिकट के लिए और परिपक्व होने की जरूरत है. आम जनता के बीच बड़ी पहचान बनाने की जरूरत है. तभी टिकट मिलने के साथ-साथ विधायक बनने की उम्मीद रहती है.
  4. हरेंद्र सिंह- हरेंद्र सिंह की पहचान बड़े घरानों के बीच ही सीमित है. आम लोग इन्हें नहीं के बराबर जानते हैं. बड़े लोगों से संपर्क और कुछ गिने चुने लोगों से चुनाव में जीत नहीं दिला सकता है. चुनाव में जीत उसे ही हासिल होता है, जिसे अमीर से लेकर मीडिल क्लास और गरीब परिवार के सभी लोग जानते हैं, वरना मेहनत और पैसा दोनों बेकार चला जाता है. बड़े अस्पताल के संचालक होने के कारण उनका नेटवर्क सिर्फ बड़े लोगों के बीच ही सीमित है. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता से नजदीकी संपर्क है, लेकिन जीत दिलाने के नाकाफी है. राजनीति की दुनिया के नया खिलाड़ी हैं. संगठन का अनुभव नहीं है.
  5. विनय सिंह- प्रदेश भाजपा की राजनीति में तेजी से उभरे हैं. झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन से भी जुड़े हैं. अच्छे वक्ता हैं. भाजपा के बड़े नेताओं से बेहतर संबंध हैं. हालांकि धनबाद विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता नहीं के बराबर है. टिकट हासिल करने और चुनाव जीतने के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत है. चुनाव जीतने के लिए आम लोगों के बीच पहचान बनानी पड़ती है और जनता का भरोसा जीतना पड़ता है.
  6. अमरेश सिंह- भाजपा की राजनीति में कुछ वर्षों से सक्रिय हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे ढुल्लू महतो जो अब सांसद बन गए, चुनाव के दौरान उनके साथ काफी सक्रिय रहे हैं. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के करीबी हैं. खुद को बड़े नेता के रूप में जनता के बीच अभी तक मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं. हाल के दिनों में कार्यक्रमों में सक्रियता बढ़ी है.
  7. प्रशांत सिंह- धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह के पुत्र हैं. झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता हैं. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं. बार काउंसिल के सदस्य के रूप में तो सक्रिय रहे हैं, लेकिन कोयलांचल में भाजपा की राजनीति में सक्रियता नहीं के बराबर है. वर्तमान सांसद ढुल्लू महतो से भी बेहतर संबंध नहीं हैं. कई नेताओं की दो-दो सीट पर नजर है.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विनय सिंह धनबाद के साथ-साथ निरसा सीट के भी दावेदार हैं. धनबाद सीट से पूर्व सांसद पीएन सिंह के पुत्र अधिवक्ता प्रशांत सिंह, युवा नेता रणजीत सिंह और अमरेश सिंह भी दावेदार हैं. फिलहाल सभी राजपूत नेता चुनावी मैदान में फतेह तभी हासिल कर सकते हैं, जब भाजपा अपने जीते हुए तीनों विधायकों राज सिन्हा, इंद्रजीत महतो और अपर्णा सेन गुप्ता को टिकट नहीं देगी.

ये भी पढ़ें-

बेरमो विधानसभा से भाजपा की टिकट के कई दावेदार, असमंजस में पार्टी नेतृत्व और जनता - Bermo Assembly Constituency

गोमिया विधानसभा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति, जेबीकेएसएस से टिकट की रेस में कई नेता शामिल - Gomia Assembly

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.