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क्या है सावन की डोकरी जिसका मानसून से है सीधा संबंध, आयुर्वेद में भी इसका बड़ा महत्व - Red coloured insect Sawan Dokri - RED COLOURED INSECT SAWAN DOKRI

सावन के मौसम में रेत में दिखने वाला चटक लाल रंग का कीड़ा जिसे भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. कहीं इसे सावन की डोकरी तो कहीं बूढ़ी नानी कहते हैं. इस कीड़े के बाहर आने का मतलब है मानसून अच्छा. जानिए खबर में विस्तार से ...

RED COLOURED INSECT SAWAN DOKRI
सावन की डोकरी (PHOTO : ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 5, 2024, 2:11 PM IST

सावन की डोकरी (VIDEO : ETV BHARAT)

कुचामनसिटी. मौजूदा दौर आधुनिकता का है, लेकिन इसमें भी बुजुर्गों द्वारा तय किए गए प्रकृति के इशारों को नकारा नहीं जा सकता है. खासकर मौसम को लेकर. माना जाता है कि बुजुर्गों द्वारा माने गए प्रकृति के ये इशारे कभी गलत भी नहीं होते है. राजस्थान में इसको लेकर लोगों का विश्वास भी बहुत ज्यादा है. प्रकृति के इन्हीं इशारों के आधार पर इस बार मानसून के जल्दी आने और मौसम अच्छा होने का अनुमान है. ये अनुमान लगाया जा रहा है एक खास जीव के नजर आने पर. जी हां, इस जीव को राम जी की घोड़ी या सावन की डोकरी भी कहा जाता हैं.

माना जाता है कि जब ये दिखाई देता है तो इस साल मानसून अच्छा होता है. हर बार सावन में नजर आने वाला जीव राम जी की घोड़ी या बीरब्यूटी कीड़ा या सावन की डोकरी इस बार भी नजर आ रहा है. खेतों में सावन की डोकरियां (बीरब्युटी कीड़ा) डोलती दिख रही है. विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में भी है सावन की डोकरी की अहमियत है.

सुंदर सलोनी दिखने वाली सावन की डोकरी का आयुर्वेद में भी महत्व कम नहीं है. प्रसिद्ध वैद्य डॉ. प्रशांत तिवारी के अनुसार यह कीट कसैले रस वाला, उष्ण या गरम प्रकृति का होता है. इसे आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है. वात, कफ व दमा खांसी को ठीक करने में यह कीट बेहद असरदार है. यहीं नहीं, यह शुष्क कीट यूनानी दवा विक्रेताओं के पास भी बीरब्युटी या किमे मखमल के नाम से मिलता है. इस कीट को सुखा कर दवा बनाने के काम में लिया जाता है. सूखने के बाद इसका रंग चटख लाल से केसरिया हो जाता है. शिथिल स्तन की समस्या के इलाज के साथ पर यौन रोगों के इलाज में भी इस जीव की बड़ी उपयोगिता है. कुल मिलाकर इसे देसी वियाग्रा का नाम दें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान में मनाया गया स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस, जानें धारा 370 से क्या है कनेक्शन - SWARN MUKUT MASTAK DIVAS

सावन की डोकरी साथ लाई बरसात की पोटली : "बूंदों के साथ बरसे जब खिलते रंग गुलाल, अजब है ये डोकरी गज़ब करती, चलती एक बार मिलती फिर ये फिसलती." समाजसेवी नटवरलाल वक्ता ने सावन की डोकरी का कुछ इस तरह बखान किया. उन्होंने बताया कि सावन की डोकरी के कई महत्व है. इसे श्रृंगार का महत्व भी कहा गया है. उन्होंने कहा कि जब सावन की डोकरी बाहर आती है तो यह संकेत देती है कि इस बार जमाना अच्छा होगा. लेकिन आजकल खेतों में केमिकल यूज होता है, इसलिए सावन की डोकरियों का पैदा होना बहुत ही कम हो गया है.

सावन की डोकरी (VIDEO : ETV BHARAT)

कुचामनसिटी. मौजूदा दौर आधुनिकता का है, लेकिन इसमें भी बुजुर्गों द्वारा तय किए गए प्रकृति के इशारों को नकारा नहीं जा सकता है. खासकर मौसम को लेकर. माना जाता है कि बुजुर्गों द्वारा माने गए प्रकृति के ये इशारे कभी गलत भी नहीं होते है. राजस्थान में इसको लेकर लोगों का विश्वास भी बहुत ज्यादा है. प्रकृति के इन्हीं इशारों के आधार पर इस बार मानसून के जल्दी आने और मौसम अच्छा होने का अनुमान है. ये अनुमान लगाया जा रहा है एक खास जीव के नजर आने पर. जी हां, इस जीव को राम जी की घोड़ी या सावन की डोकरी भी कहा जाता हैं.

माना जाता है कि जब ये दिखाई देता है तो इस साल मानसून अच्छा होता है. हर बार सावन में नजर आने वाला जीव राम जी की घोड़ी या बीरब्यूटी कीड़ा या सावन की डोकरी इस बार भी नजर आ रहा है. खेतों में सावन की डोकरियां (बीरब्युटी कीड़ा) डोलती दिख रही है. विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में भी है सावन की डोकरी की अहमियत है.

सुंदर सलोनी दिखने वाली सावन की डोकरी का आयुर्वेद में भी महत्व कम नहीं है. प्रसिद्ध वैद्य डॉ. प्रशांत तिवारी के अनुसार यह कीट कसैले रस वाला, उष्ण या गरम प्रकृति का होता है. इसे आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है. वात, कफ व दमा खांसी को ठीक करने में यह कीट बेहद असरदार है. यहीं नहीं, यह शुष्क कीट यूनानी दवा विक्रेताओं के पास भी बीरब्युटी या किमे मखमल के नाम से मिलता है. इस कीट को सुखा कर दवा बनाने के काम में लिया जाता है. सूखने के बाद इसका रंग चटख लाल से केसरिया हो जाता है. शिथिल स्तन की समस्या के इलाज के साथ पर यौन रोगों के इलाज में भी इस जीव की बड़ी उपयोगिता है. कुल मिलाकर इसे देसी वियाग्रा का नाम दें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी.

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सावन की डोकरी साथ लाई बरसात की पोटली : "बूंदों के साथ बरसे जब खिलते रंग गुलाल, अजब है ये डोकरी गज़ब करती, चलती एक बार मिलती फिर ये फिसलती." समाजसेवी नटवरलाल वक्ता ने सावन की डोकरी का कुछ इस तरह बखान किया. उन्होंने बताया कि सावन की डोकरी के कई महत्व है. इसे श्रृंगार का महत्व भी कहा गया है. उन्होंने कहा कि जब सावन की डोकरी बाहर आती है तो यह संकेत देती है कि इस बार जमाना अच्छा होगा. लेकिन आजकल खेतों में केमिकल यूज होता है, इसलिए सावन की डोकरियों का पैदा होना बहुत ही कम हो गया है.

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