बगहा (पश्चिम चंपारण): वाल्मकीनगर गंडक बराज से 4 लाख 40 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद निचले इलाकों में बाढ़ ने दस्तक दे दिया है. शनिवार की सुबह दियारा में खेती करने गए दर्जनों लोग फंस गए थे. रविवार को जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीआरएफ की टीम ने तकरीबन 30 लोगों का रेस्क्यू किया. वहीं 30 अन्य लोग मवेशियों के साथ अपने घोठा पर ही हैं. उनके लिए प्रशासन ने एसडीआरएफ टीम के द्वारा चुरा और गुड़ भेजा है.
बाढ़ में फंसे दर्जनों ग्रामीण : दियारा में सैकड़ों किसानों की जमीन है, जिसमें धान और गन्ना की फसल उगायी जाती हैं. जबकि दर्जनों किसान दियारा इलाके में अस्थाई घोठा बनाकर अपनी फसलों की देखरेख करते हैं. लिहाजा प्रतिदिन सैकड़ों किसान गंडक नदी पार कर दियारा जाते हैं. शनिवार की शाम जब प्रशासन ने गंडक के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि होने की संभावना को लेकर ऊंचे स्थलों पर जाने की मुनादी कराई तो शाम होने की वजह से दर्जनों लोग दियारा से अपने घर नहीं लौट पाए क्योंकि उस समय नावों का परिचालन बंद हो चुका था.
SDRF ने रेस्क्यू कर बचाई जान : बाढ़ प्रभावित दियारा से रेस्क्यू कर लाए गए लोगों ने बताया की ''शनिवार को जब किसान और मजदूर दियारा में गए थी तभी से अचानक पानी बढ़ने लगा. शाम होते होते जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ गया और नावों का परिचालन भी शाम होने के कारण रोक दिया गया. ऐसे में हम लोग कल से ही भूखे प्यासे थे. जिनका आज एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू किया है.'' रेस्क्यू किए गए सभी महिला बुजुर्ग और बच्चे कैलाशनगर मोहल्ला के निवासी हैं.
''दियारा क्षेत्र में अपना काम करने गए थे, अचानक पानी बढ़ गया, इसके बाद आने का कोई रास्ता नहीं था. शनिवार दिन 12 बजे से भूखे प्यासे थे. करीब 50 पुरुष और 60 महिलाएं थी. सभी का रेस्क्यू कर लिया गया है.'' - छट्ठू बीन, किसान, बगहा
कम्युनिटी किचेन की व्यवस्था शुरू : बता दें कि नेपाल के तराई इलाको में हो रही भारी बारिश के बाद वाल्मिकी नगर बराज से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया है. गंडक नदी में पानी छोड़े जाने की सूचना और मुनादी के बाद से प्रशासन ने विभिन्न निचले इलाकों से तकरीबन 600 लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचाया. जिनके लिए विभिन्न बाढ़ आश्रय स्थलों पर कम्युनिटी किचेन की व्यवस्था की गयी है. जिन इलाके के लोगों को रेस्क्यू किया गया है उनमें पिपरासी, भेड़िहारी टोला इत्यादि शामिल है.
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