फिरोजाबादः जिले में विवादित जमीन का फैसला एक किसान के पक्ष में करने और रिश्वत के बदले में उसी जमीन को अपने रिश्तेदारों को खरीदवाने के आरोप लगने के बाद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ी कार्रवाई की है. तहसील सिरसागंज में तैनात रहे एसडीएम, नायब तहसीलदार समेत पांच कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ ही इनकी संपत्ति की विजिलेंस जांच कराने और एफआईआर के भी निर्देश दिए है. शासन के इस सख्त रुख के बाद जिले के अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है.
जानकारी के अनुसार, सिरसागंज तहसील इलाके के गांव रुधेनी निवासी काश्तकार योगेंद्र शर्मा की 75 बीघा जमीन विवादित है. करोड़ों की कीमत की जमीन की वसीयत का विवाद एसडीएम कोर्ट में चल रहा था. योगेंद्र शर्मा की शिकायत के अनुसार एसडीएम कोर्ट में उनका पक्ष सुने बगैर ही फैसला दूसरे पक्ष के हक में कर दिया था. इस मामले में एसडीएम, नायब तहसीदार और लेखपाल ने इतनी फुर्ती दिखाई कि योगेंद्र को किसी उच्च न्यायालय में अपील का समय तक नहीं दिया. 7 जून को सुनाए गए फैसले में 11 जून को जमीन का दाखिल खारिज भी कर दिया. दूसरे पक्ष ने 12 जून को इस जमीन का बड़ा हिस्सा 10 लोगों के नाम कर दिया. जिन लोगों यह जमीन खरीदी है, उनमें से दो एसडीएम विवेक राजपूत का चचेरा भाई और दूसरा उनका परिचित है. जबकि तीन खरीददार नायब तहसीलदार के सास, ससुर और साली है. इसके अलावा दो बैनामा लेखपाल के रिश्तेदारों के नाम हुए है, जिनमें एक खरीददार लेखपाल के पिता है. कुछ जमीन एक जिला पंचायत सदस्य और एक अन्य भाजपा नेता ने खरीदी है. योगेंद्र शर्मा का आरोप था कि उनकी जमीन का निर्णय दूसरे के पक्ष में देने की एवज में अफसरों ने घूस के रूप में जमीन ली है.
शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी रमेश रंजन ने अफसरों का ट्रांसफर करते हुए सीडीओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी थी. जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद लेखपाल को सस्पेंड कर दिया गया था और रिपोर्ट शासन को भेज दी गयी थी. डीएम रमेश रंजन ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने तत्कालीन लेखपाल विवेक राजपूत, नायब तहसीलदार नवीन कुमार, राजस्व निरीक्षक, लेखपाल अभिलाख सिंह और पेशकार को निलंबित कर इनके खिलाफ एफआईआर के भी आदेश दिये है. साथ ही विजिलेंस से इनकी संपत्ति की जांच कराने के भी आदेश दिये है.
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