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अब आंखों से आंसू नहीं निकालेगा प्याज, 93 नई प्रजातियों से साल भर किसान उगा सकेंगे फसलें - new varieties of onion

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वैज्ञानिकों ने रबी की फसलों के लिए 93 प्रजातियों को तैयार कर दिया है. अब इसके कारण सालाना होने वाली प्याज की किल्लत से देश को काफी हद तक राहत मिल सकेगी.

अब आंखों से आंसू नहीं निकालेगा प्याज, 93 नई प्रजातियों से साल भर किसान उगा सकेंगे फसलें
अब आंखों से आंसू नहीं निकालेगा प्याज, 93 नई प्रजातियों से साल भर किसान उगा सकेंगे फसलें
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 14, 2024, 6:40 PM IST

Updated : Apr 14, 2024, 6:54 PM IST

93 नई प्रजातियों से साल भर किसान उगा सकेंगे फसलें

कानपुर: चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) के वैज्ञानिकों को प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीओजीआर) का एक प्रोजेक्ट मिला था. इसके अंतर्गत यहां के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वैज्ञानिकों ने रबी की फसलों के लिए 93 प्रजातियों को तैयार किया है. इनमें सुर्ख लाल से लेकर सफेद प्याज तक की विभिन्न प्रजातियां शामिल हैं.

अब इन प्रजातियों से जो बीज बनेंगे, उन्हें देशभर के किसानों को मुहैया कराया जाएगा. इससे किसान, खरीफ के साथ ही रबी की फसलों में भी प्याज उगा सकेंगे और सालाना होने वाली प्याज की किल्लत से देश को काफी हद तक राहत मिल सकेगी.

यूपी में उत्पादन बहुत कम

वहीं, इसको लेकर सीएसए के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राम बटुक सिंह ने बताया कि खरीफ की फसलों का अधिकतर उत्पादन महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश में होता है, जबकि यूपी में उत्पादन बहुत कम है. ऐसे में हर साल ही अक्टूबर-नवंबर से प्याज की कीमतें बढ़ना शुरू हो जाती हैं. इसका मुख्य कारण यह भी था कि यूपी में प्याज महाराष्ट्र से आता था.

वहीं, जब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में रबी की फसलों के समय (फरवरी-मार्च) के दौरान प्याज की 93 प्रजातियां लगाई गईं तो, 25 दिनों के अंदर ही इनकी नर्सरी तैयार हो गई. यह संकेत मिल गया कि अब किसानों के पास अक्टूबर-नवंबर के साथ ही फरवरी-मार्च में प्याज को उगाने का मौका होगा, जो प्रजातियां तैयार हुई, वह हर मौसम के लिए अनुकूल हैं और कीट और बीमारी से मुक्त हैं.

आंकड़ों पर एक नजर

  • हर साल भारत में प्याज का उत्पादन: 26738 मीट्रिक टन
  • यूपी में प्याज की खपत प्रति माह: 2.1 लाख टन
  • भारत में प्रति व्यक्ति प्याज की खपत: 20 किलोग्राम प्रति साल

डॉ.राम बटुक सिंह ने बताया कि खरीफ की फसल वाला प्याज का रंग गहरा लाल होता है और छिलका गीला होता है. जबकि रबी की फसल वाला प्याज सूखा होता है. इसमें अधिक झार नहीं होती. उन्होंने यह भी बताया कि अब रबी की फसल वाला प्याज देशभर के किसान उगा सकते हैं.

डॉ.राम बटुक सिंह ने बताया कि किसान प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय की वेबसाइट से ऑनलाइन प्याज और लहसुन के बीजों को खरीद सकते हैं. वह निदेशालय की वेबसाइट पर मौजूद फार्म को भरकर जमा कर सकते हैं. ऑनलाइन पेमेंट करने के बाद उन्हें उनके पते पर बीज उपलब्ध करा दिए जाते हैं. प्याज के बीजों की कीमत 2500 रुपये प्रति किलोग्राम से 3500 रुपये प्रति किलोग्राम है.

यह भी पढ़ें : यूपी की महिलाएं वाहन चलाने में अव्वल, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में फिसड्डी - ETV Bharat Exclusive News

यह भी पढ़ें : हमारा उद्देश्य लोगों को व्यसनमुक्त कर धर्म के मार्ग पर ले जाना: अखंड स्वामी

93 नई प्रजातियों से साल भर किसान उगा सकेंगे फसलें

कानपुर: चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) के वैज्ञानिकों को प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीओजीआर) का एक प्रोजेक्ट मिला था. इसके अंतर्गत यहां के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वैज्ञानिकों ने रबी की फसलों के लिए 93 प्रजातियों को तैयार किया है. इनमें सुर्ख लाल से लेकर सफेद प्याज तक की विभिन्न प्रजातियां शामिल हैं.

अब इन प्रजातियों से जो बीज बनेंगे, उन्हें देशभर के किसानों को मुहैया कराया जाएगा. इससे किसान, खरीफ के साथ ही रबी की फसलों में भी प्याज उगा सकेंगे और सालाना होने वाली प्याज की किल्लत से देश को काफी हद तक राहत मिल सकेगी.

यूपी में उत्पादन बहुत कम

वहीं, इसको लेकर सीएसए के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राम बटुक सिंह ने बताया कि खरीफ की फसलों का अधिकतर उत्पादन महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश में होता है, जबकि यूपी में उत्पादन बहुत कम है. ऐसे में हर साल ही अक्टूबर-नवंबर से प्याज की कीमतें बढ़ना शुरू हो जाती हैं. इसका मुख्य कारण यह भी था कि यूपी में प्याज महाराष्ट्र से आता था.

वहीं, जब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में रबी की फसलों के समय (फरवरी-मार्च) के दौरान प्याज की 93 प्रजातियां लगाई गईं तो, 25 दिनों के अंदर ही इनकी नर्सरी तैयार हो गई. यह संकेत मिल गया कि अब किसानों के पास अक्टूबर-नवंबर के साथ ही फरवरी-मार्च में प्याज को उगाने का मौका होगा, जो प्रजातियां तैयार हुई, वह हर मौसम के लिए अनुकूल हैं और कीट और बीमारी से मुक्त हैं.

आंकड़ों पर एक नजर

  • हर साल भारत में प्याज का उत्पादन: 26738 मीट्रिक टन
  • यूपी में प्याज की खपत प्रति माह: 2.1 लाख टन
  • भारत में प्रति व्यक्ति प्याज की खपत: 20 किलोग्राम प्रति साल

डॉ.राम बटुक सिंह ने बताया कि खरीफ की फसल वाला प्याज का रंग गहरा लाल होता है और छिलका गीला होता है. जबकि रबी की फसल वाला प्याज सूखा होता है. इसमें अधिक झार नहीं होती. उन्होंने यह भी बताया कि अब रबी की फसल वाला प्याज देशभर के किसान उगा सकते हैं.

डॉ.राम बटुक सिंह ने बताया कि किसान प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय की वेबसाइट से ऑनलाइन प्याज और लहसुन के बीजों को खरीद सकते हैं. वह निदेशालय की वेबसाइट पर मौजूद फार्म को भरकर जमा कर सकते हैं. ऑनलाइन पेमेंट करने के बाद उन्हें उनके पते पर बीज उपलब्ध करा दिए जाते हैं. प्याज के बीजों की कीमत 2500 रुपये प्रति किलोग्राम से 3500 रुपये प्रति किलोग्राम है.

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Last Updated : Apr 14, 2024, 6:54 PM IST
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