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सावन में कढ़ी को कहिए ना, धार्मिक और वैज्ञानिक कारण जानकर आप हो जाएंगे दंग - why kadhi not eaten in sawan

सावन के महीने में कई चीजों से लोगों को परहेज करने की सलाह दी जाती है. साग और दही उसमें दो प्रमुख हैं. गांव घर के बुजुर्ग सावन और मॉनसून के मौसम में दही और साग नहीं खाने की सलाह हमेशा देते हैं. कई बार लोग इन सलाहों को अनसुना भी कर देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि उनकी ये सलाह वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों स्तर पर सही है.

why is kadhi or dahi not eaten in sawan month
कढ़ी नहीं खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 14, 2024, 4:46 PM IST

रायपुर: मंदिरों में ओम नमः शिवाय के मंत्रों की गूंज 22 जुलाई से शुरू होने वाली है. पूरा सावन महीना भक्तों का पूजा पाठ में बीतेगा. इस बार सावन का महीना 29 दिनों का पड़ रहा है. इसके साथ ही इस महीने में 5 सोमवार भी पड़ेंगे. लोग अपनी श्रद्धा भक्ति और आस्था के अनुसार इस पूरे महीने भगवान रुद्र का श्रृंगार करते हैं. महीने में लोग तमाम तरह की साग सब्जियां खाते हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में कढ़ी नहीं खानी चाहिए. कढ़ी खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक नियम भी है.

कढ़ी नहीं खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण (ETV Bharat)

सावन में कढ़ी नहीं खाने का है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण: सावन में कढ़ी नहीं खाने के पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि सावन के महीने में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है. ऐसे में इस पवित्र और पावन महीने में कच्चा दूध और उसे बनी हुई चीजों का सेवन वर्जित माना गया है. कढ़ी तैयार करने के लिए दही की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि सावन के महीने में कढ़ी, दूध दही से जुड़ी हुई चीजों का सेवन करने की मनाही होती है. जिनका पालन न करने पर सेहत खराब होने के साथ ही बिगड़ भी सकती है.

कढ़ी नहीं खाने का वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सावन के महीने में बारिश की वजह से हरी और पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लगने का डर बना रहता है. इसके अलावा सावन के महीने में साग सब्जियों का सेवन करने से शरीर में पित्त बढ़ने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो कई तरह की पाचन समस्याएं पैदा करती हैे. इसके साथ ही व्यक्ति को बीमार और कमजोर बना सकती है. पाचन तंत्र बिगड़ जाने से हमारे शरीर में कई रोगों के आने का रास्ता बन जाता है. पाचन तंत्र अगर दुरुस्त रहेगा तो बीमारी हमारे पास नहीं फटकेगी.

आयुर्वेद क्या कहता है इस संबंध में: आयुर्वेदिक की बात की जाए तो सावन के महीने में दूध और दही से बनने वाली चीज जैसे रायता, कढ़ी और सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए. इसका स्वास्थ्य पर बुरा और विपरीत प्रभाव पड़ता है. आयुर्वेद के अनुसार सावन महीने में पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है. इस समय कढ़ी या दही को पचाने में परेशानी हो सकती है. इसके साथ ही वात की भी समस्या बनी रहती है.

नोट: यहां पर लिखी गई सभी बातें और जानकारियां पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी जो कि ज्योतिष एवम वास्तुविद हैं उनके द्वारा दी गई है.

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कढ़ी नहीं खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण (ETV Bharat)

सावन में कढ़ी नहीं खाने का है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण: सावन में कढ़ी नहीं खाने के पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि सावन के महीने में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है. ऐसे में इस पवित्र और पावन महीने में कच्चा दूध और उसे बनी हुई चीजों का सेवन वर्जित माना गया है. कढ़ी तैयार करने के लिए दही की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि सावन के महीने में कढ़ी, दूध दही से जुड़ी हुई चीजों का सेवन करने की मनाही होती है. जिनका पालन न करने पर सेहत खराब होने के साथ ही बिगड़ भी सकती है.

कढ़ी नहीं खाने का वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सावन के महीने में बारिश की वजह से हरी और पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लगने का डर बना रहता है. इसके अलावा सावन के महीने में साग सब्जियों का सेवन करने से शरीर में पित्त बढ़ने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो कई तरह की पाचन समस्याएं पैदा करती हैे. इसके साथ ही व्यक्ति को बीमार और कमजोर बना सकती है. पाचन तंत्र बिगड़ जाने से हमारे शरीर में कई रोगों के आने का रास्ता बन जाता है. पाचन तंत्र अगर दुरुस्त रहेगा तो बीमारी हमारे पास नहीं फटकेगी.

आयुर्वेद क्या कहता है इस संबंध में: आयुर्वेदिक की बात की जाए तो सावन के महीने में दूध और दही से बनने वाली चीज जैसे रायता, कढ़ी और सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए. इसका स्वास्थ्य पर बुरा और विपरीत प्रभाव पड़ता है. आयुर्वेद के अनुसार सावन महीने में पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है. इस समय कढ़ी या दही को पचाने में परेशानी हो सकती है. इसके साथ ही वात की भी समस्या बनी रहती है.

नोट: यहां पर लिखी गई सभी बातें और जानकारियां पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी जो कि ज्योतिष एवम वास्तुविद हैं उनके द्वारा दी गई है.

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