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छत्तीसगढ़ में महुआ बचाओ अभियान, जानिए महुआ पेड़ को बचाने से आदिवासियों को कैसे होगा फायदा ? - Save Mahua Campaign

Save Mahua Campaign छत्तीसगढ़ में महुआ बचाओ अभियान के तहत वनांचल क्षेत्रों में एक शासन की तरफ से एक मुहिम शुरू की गई है. इसके तहत महुआ पेड़ों की सुरक्षा की जा रही है. जानिए इस मुहिम को कौन लेकर आगे बढ़ रहा है. जानिए इससे कैसे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को फायदा होगा.

SAVE MAHUA CAMPAIGN IN TRIBAL AREAS
मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग की पहल (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 25, 2024, 8:13 PM IST

Save Mahua campaign
महुआ बचाओ अभियान (ETV BHARAT)

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में महुआ बचाओ अभियान इन दिनों चर्चा में है. सबसे ज्यादा मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग के इस पहल की चर्चा हो रही है. जंगलों में तेजी से महुआ पेड़ों की संख्या घट रही है. वन और पर्यावरण के जानकार महुआ पेड़ों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर कर रहे हैं. यही वजह है कि महुआ बचाओ अभियान की शुरुआत प्रदेश में हुई है.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग की पहल: मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग महुआ पेड़ों को बचाने के लिए एक पहल लेकर आया है. इसके तहत महुआ बचाओ अभियान शुरू किया गया है. मनेंद्रगढ़ वनमंडल में इस साल वनमंडलधिकारी मनीष कश्यप की पहल से पहली बार गांव के बाहर खाली पड़े ज़मीन और खेतों पर महुआ के पेड़ लगाए जा रहे हैं.

Villagers and forest workers protecting Mahua plants
महुआ के पेड़ों की रक्षा करते ग्रामीण और वन कर्मी (ETV BHARAT)

महुआ के पौधों को बचाने के लिए किया जा रहा काम: महुआ के पौधों को बचाने के लिए काम किया जा रहा है. महुआ के पौधे लगाने के बाद उसे चारों तरफ से जाली से घेरा जा रहा है ताकि जानवरों और अन्य लोगों से पेड़ को नुकसान न पहुंचे. ऐसे पौधों के चारों तरफ ट्रीगार्ड लगाया जा रहा है. इस योजना को लेकर सरगुजा के वनांचल इलाकों के लोगों में गजब का उत्साह है. मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में भी इस योजना को लेकर उत्साह नजर आ रहा है.

महुआ आदिवासियों और ग्रामीणों के लिए खरा सोना: महुआ का पेड़ आदिवासियों और ग्रामीणों के लिए खरा सोना है. इस पेड़ से एक आदिवासी परिवार महुआ के सीजन में करीब 10 हजार रुपये प्रतिमाह कमा लेता है. वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक एक महुआ के परिपक्व पेड़ से एक ग्रामीण का परिवार औसतन दो क्विंटल फूल और 50 किलो महुआ का बीज प्राप्त करता है. उसे बेचकर परिवार को 10 हजार रुपये की आमदनी होती है.

महुआ पेड़ की औसत उम्र कितनी ? : एक महुआ पेड़ की औसत आयु 60 साल होती है. एक महुआ का पेड़ वनांचल इलाकों में लोगों की आय बढ़ाने का मुख्य साधन होता है. यह पर्यावरण के लिए भी काफी उपयोगी है. महुआ का इस्तेमाल दवाई और कई तरह के अन्य चीजों में होता है. इसलिए इसे वनांचल इलाकों में खरा सोना के तौर पर देखा जाता है. अगर महुआ पेड़ की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया तो जंगल को काफी नुकसान पहुंच सकता है और आदिवासी ग्रामीण परिवार को बड़ा घाटा हो सकता है.

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Save Mahua campaign
महुआ बचाओ अभियान (ETV BHARAT)

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में महुआ बचाओ अभियान इन दिनों चर्चा में है. सबसे ज्यादा मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग के इस पहल की चर्चा हो रही है. जंगलों में तेजी से महुआ पेड़ों की संख्या घट रही है. वन और पर्यावरण के जानकार महुआ पेड़ों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर कर रहे हैं. यही वजह है कि महुआ बचाओ अभियान की शुरुआत प्रदेश में हुई है.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग की पहल: मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में वन विभाग महुआ पेड़ों को बचाने के लिए एक पहल लेकर आया है. इसके तहत महुआ बचाओ अभियान शुरू किया गया है. मनेंद्रगढ़ वनमंडल में इस साल वनमंडलधिकारी मनीष कश्यप की पहल से पहली बार गांव के बाहर खाली पड़े ज़मीन और खेतों पर महुआ के पेड़ लगाए जा रहे हैं.

Villagers and forest workers protecting Mahua plants
महुआ के पेड़ों की रक्षा करते ग्रामीण और वन कर्मी (ETV BHARAT)

महुआ के पौधों को बचाने के लिए किया जा रहा काम: महुआ के पौधों को बचाने के लिए काम किया जा रहा है. महुआ के पौधे लगाने के बाद उसे चारों तरफ से जाली से घेरा जा रहा है ताकि जानवरों और अन्य लोगों से पेड़ को नुकसान न पहुंचे. ऐसे पौधों के चारों तरफ ट्रीगार्ड लगाया जा रहा है. इस योजना को लेकर सरगुजा के वनांचल इलाकों के लोगों में गजब का उत्साह है. मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में भी इस योजना को लेकर उत्साह नजर आ रहा है.

महुआ आदिवासियों और ग्रामीणों के लिए खरा सोना: महुआ का पेड़ आदिवासियों और ग्रामीणों के लिए खरा सोना है. इस पेड़ से एक आदिवासी परिवार महुआ के सीजन में करीब 10 हजार रुपये प्रतिमाह कमा लेता है. वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक एक महुआ के परिपक्व पेड़ से एक ग्रामीण का परिवार औसतन दो क्विंटल फूल और 50 किलो महुआ का बीज प्राप्त करता है. उसे बेचकर परिवार को 10 हजार रुपये की आमदनी होती है.

महुआ पेड़ की औसत उम्र कितनी ? : एक महुआ पेड़ की औसत आयु 60 साल होती है. एक महुआ का पेड़ वनांचल इलाकों में लोगों की आय बढ़ाने का मुख्य साधन होता है. यह पर्यावरण के लिए भी काफी उपयोगी है. महुआ का इस्तेमाल दवाई और कई तरह के अन्य चीजों में होता है. इसलिए इसे वनांचल इलाकों में खरा सोना के तौर पर देखा जाता है. अगर महुआ पेड़ की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया तो जंगल को काफी नुकसान पहुंच सकता है और आदिवासी ग्रामीण परिवार को बड़ा घाटा हो सकता है.

कई गुणों से भरपूर है महुआ, जानिए कैसे लाभ उठा रहे किसान

बिना लागत महुआ से आदिवासियों की हो रही बंपर कमाई, पैसे का गोदाम है ये पेड़

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