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हिमाचल में इस दुर्गम जगह पर लगा सैटेलाइट फोन, राहगीरों को 24 घंटे मिलेगी सुविधा - Satellite phone in Batal

Satellite phone Batal: हिमाचल प्रदेश में कई दुर्गम इलाके हैं जहां पर मोबाइल फोन पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है. ऐसे में कई बार लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस समस्या का हल सैटेलाइट फोन है.

SATELLITE PHONE IN BATAL
बातल में लगाया गया सैटेलाइट फोन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 10:55 AM IST

लाहौल-स्पीति: पर्यटन नगरी मनाली और लाहौल-स्पीति के काजा के बीच सफर करने वाले राहगीरों को अब दूरसंचार की दिक्कत पेश नहीं आएगी. लाहौल-स्पीति प्रशासन ने बातल में सैटेलाइट फोन लगाकर राहगीरों को बड़ी राहत दी है.

हालांकि राहगीरों को इस फोन से कॉल करने का चार्ज देना होगा. मनाली से काजा सड़क मार्ग पर सफर करने वालों को ग्रांफू से लोसर तक करीब 100 किमी के क्षेत्र के बीच मोबाइल नेटवर्क की कोई सुविधा नहीं है.

इस रास्ते में कई बार पर्यटक खराब मौसम के कारण परेशानी में पड़ जाते हैं. बातल में हालांकि रहने व खाने की सुविधा है लेकिन आपदा की स्थिति में संपर्क करने के लिए पर्यटकों को या तो 50 किमी लोसर या 50 किमी कोकसर आना पड़ता है. अब यह सुविधा बातल में मिल जाने से लोगों को राहत मिलेगी.

डीसी लाहौल-स्पीति राहुल कुमार ने कहा बीते साल आई प्राकृतिक आपदा के दौरान रेस्क्यू में दूर संचार सुविधा ना होना सबसे बड़ी बाधा बनी थी. समस्या को देखते हुए बातल में आपदा प्रबंधन की ओर से जबकि चंद्रताल में पुलिस की ओर से सेटेलाइट फोन लगाए गए हैं. इससे आपदा के समय बचाव अभियान में मदद मिलेगी.

विधायक अनुराधा राणा ने कहा कुंजम दर्रे से नीचे बातल में सैटेलाइट फोन से पर्यटकों व स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा. हालात को देखते हुए बीते साल मंत्री जगत सिंह नेगी ने सैटेलाइट फोन लगाने का आश्वासन दिया था. अब उन्होंने यह वायदा पूरा किया है.

कैसे काम करता है सैटेलाइट फोन

सेना से रिटायर ब्रिगेडियर टीसी ठाकुर व कैप्टन तारा चंद ठाकुर का कहना है कि सैटेलाइट फोन आसमान में लगे सैटेलाइट से सिग्नल लेता है और यह सैटेलाइट धरती की कक्षा में घूम रहे होते हैं. यह जमीन पर लगाए गए रिसीवर को रेडियो सिग्नल भेजते हैं और रिसीवर सेंटर सैटेलाइट फोन को सिग्नल भेजता है जिस कारण दुर्गम इलाकों में भी फोन के माध्यम से बात की जा सकती है.

सेना भी दुर्गम इलाकों में इस तरह से सैटेलाइट के माध्यम से संपर्क साधती है. देश की सीमाओं पर जहां नेटवर्क की समस्या होती है या फिर सेना की कॉल ट्रेस किए जाने का खतरा बना रहता है. वहां पर भी सैटेलाइट फोन का प्रयोग किया जाता है. सैटेलाइट फोन के माध्यम से की गई कॉल को ट्रेस नहीं किया जा सकता है. अब सरकार के द्वारा आपदा ग्रस्त इलाकों में नेटवर्क खराब होने पर इस फोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

भारत में आम जनता अपने लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाया है अगर कोई विदेशी यात्री दूसरे देश से सैटेलाइट फोन लेकर आता है तो यात्री को इस बात की जानकारी कस्टम को देनी होती है. बिना अनुमति के वह सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकता. इसके अलावा सैटेलाइट फोन के लिए भारत सरकार के टेलीकम्यूनिकेशन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 15 साल पुराने वाहन किए जाएंगे स्क्रैप, जानें क्या है पॉलिसी

लाहौल-स्पीति: पर्यटन नगरी मनाली और लाहौल-स्पीति के काजा के बीच सफर करने वाले राहगीरों को अब दूरसंचार की दिक्कत पेश नहीं आएगी. लाहौल-स्पीति प्रशासन ने बातल में सैटेलाइट फोन लगाकर राहगीरों को बड़ी राहत दी है.

हालांकि राहगीरों को इस फोन से कॉल करने का चार्ज देना होगा. मनाली से काजा सड़क मार्ग पर सफर करने वालों को ग्रांफू से लोसर तक करीब 100 किमी के क्षेत्र के बीच मोबाइल नेटवर्क की कोई सुविधा नहीं है.

इस रास्ते में कई बार पर्यटक खराब मौसम के कारण परेशानी में पड़ जाते हैं. बातल में हालांकि रहने व खाने की सुविधा है लेकिन आपदा की स्थिति में संपर्क करने के लिए पर्यटकों को या तो 50 किमी लोसर या 50 किमी कोकसर आना पड़ता है. अब यह सुविधा बातल में मिल जाने से लोगों को राहत मिलेगी.

डीसी लाहौल-स्पीति राहुल कुमार ने कहा बीते साल आई प्राकृतिक आपदा के दौरान रेस्क्यू में दूर संचार सुविधा ना होना सबसे बड़ी बाधा बनी थी. समस्या को देखते हुए बातल में आपदा प्रबंधन की ओर से जबकि चंद्रताल में पुलिस की ओर से सेटेलाइट फोन लगाए गए हैं. इससे आपदा के समय बचाव अभियान में मदद मिलेगी.

विधायक अनुराधा राणा ने कहा कुंजम दर्रे से नीचे बातल में सैटेलाइट फोन से पर्यटकों व स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा. हालात को देखते हुए बीते साल मंत्री जगत सिंह नेगी ने सैटेलाइट फोन लगाने का आश्वासन दिया था. अब उन्होंने यह वायदा पूरा किया है.

कैसे काम करता है सैटेलाइट फोन

सेना से रिटायर ब्रिगेडियर टीसी ठाकुर व कैप्टन तारा चंद ठाकुर का कहना है कि सैटेलाइट फोन आसमान में लगे सैटेलाइट से सिग्नल लेता है और यह सैटेलाइट धरती की कक्षा में घूम रहे होते हैं. यह जमीन पर लगाए गए रिसीवर को रेडियो सिग्नल भेजते हैं और रिसीवर सेंटर सैटेलाइट फोन को सिग्नल भेजता है जिस कारण दुर्गम इलाकों में भी फोन के माध्यम से बात की जा सकती है.

सेना भी दुर्गम इलाकों में इस तरह से सैटेलाइट के माध्यम से संपर्क साधती है. देश की सीमाओं पर जहां नेटवर्क की समस्या होती है या फिर सेना की कॉल ट्रेस किए जाने का खतरा बना रहता है. वहां पर भी सैटेलाइट फोन का प्रयोग किया जाता है. सैटेलाइट फोन के माध्यम से की गई कॉल को ट्रेस नहीं किया जा सकता है. अब सरकार के द्वारा आपदा ग्रस्त इलाकों में नेटवर्क खराब होने पर इस फोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

भारत में आम जनता अपने लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाया है अगर कोई विदेशी यात्री दूसरे देश से सैटेलाइट फोन लेकर आता है तो यात्री को इस बात की जानकारी कस्टम को देनी होती है. बिना अनुमति के वह सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकता. इसके अलावा सैटेलाइट फोन के लिए भारत सरकार के टेलीकम्यूनिकेशन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है.

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