पटना: बसंत पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. बसंत पंचमी की तिथि पंचांग के अनुसार आरंभ हो चुकी है. राजधानी पटना के कोचिंग संस्थान और स्कूलों में सरस्वती पूजा के लिए तैयारी जोर शोर से चल रही है.
बन रहा अद्भुत सहयोग : सरस्वती पूजा को लेकर आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि इस बार 14 फरवरी को बसंत पंचमी मनाया जाएगा. इस वर्ष बहुत ही अद्भुत सहयोग में मां सरस्वती का पूजन किया जाएगा. मकर राशी में बुध,मंगल और शुक्र एक साथ रहेंगे यानी तीनों ग्रह के योग से अश्विनी और रेवती नक्षत्र में बसंत पंचमी मनाया जाएगा.
शुभ सहयोग स्वार्थ सिद्धि योग्य: यह शुभ सहयोग स्वार्थ सिद्धि योग्य है. इस तरह के योग में पूजा करने से हर तरह की मनोकामना मां सरस्वती पूर्ण करेंगी. 14 फरवरी सुबह 7 बजे से लेकर 12:00 बजे तक है. ऐसे तो दिन भर पूजा की जाएगी. आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि माता सरस्वती बुद्धि विद्या विवेक की जननी हैं. बुद्धि की वह मालकिन हैं.
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी तिथि की शुरुआत आज यानी 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से शुरू हो गई है. 14 फरवरी को पंचमी तिथि दोपहर में 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि में पंचमी तिथि 14 फरवरी को होने के चलते बसंत पंचमी और सरस्वती पूजन 14 फरवरी को है.
बुद्धि के बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते, तो बुद्धि की प्राप्ति के लिए साहस पराक्रम की प्राप्ति के लिए सरस्वती पूजा का विधान है. पूजा करने से छात्रों की बुद्धि बढ़ती है. छात्रों को करियर में सफलता मिलती है.- मनोज मिश्रा,आचार्य
राहु शांति के भी होते हैं उपाय: पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शुभ चौघडिया 10:25 बजे से 11:51 बजे पर शुरू होगी. जो लोग पंचक में पूजा करना चाहते हैं वह सुबह 6:09 बजे से सुबह 9:00 बजे तक पूजा कर सकते हैं. सरस्वती पूजा में राहु शांति के भी उपाय किए जाते हैं. मां सरस्वती राहु के प्रभाव को शांत करने वाली हैं.
पूजन विधि: मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ भगवान गणेश का पूजा का विशेष महत्व है. हर शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. सुबह उठकर श्रद्धालु भक्त स्नान करें स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मां की प्रतिमा के नीचे कलश स्थापना करें.
मां को ये सामग्री करें अर्पित: वहीं पर भगवान गणेश को जगह दे. भगवान गणेश की पूजा कर विधिवत शुरुआत कर नवग्रहों की पूजा करें. मां सरस्वती की पूजा करें और पंचामृत फल मेवा मिष्ठान से भोग लगा कर फूल अर्पित कर मां सरस्वती की आरती उतारे. इसी दिन माता के चरणों में अबीर गुलाल चढ़ा कर होली मास का आरंभ किया जाता है.
पौराणिक कथा: आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि बसंत पंचमी मां सरस्वती से कई कहानी जुड़ी हुई हैं. सृष्टि के रचयिता शिल्पकार भगवान ब्रह्मा ने मां सरस्वती को प्राकट्य किया था. भगवान ब्रह्मा जी सृष्टि के भ्रमण पर निकले थे. उन्होंने सारा ब्रह्मांड घूम कर देखा तो उन्होंने पाया कि ब्रह्मांड में सभी मूक नजर आए. चारों ओर खामोशी ही खामोशी नजर आई.
मूक संसार को ध्वनि प्रदान करने वाली मां: यह देखकर उन्होंने अफसोस जताया कि सृष्टि के रचना में कुछ कमी रह गई है. फिर अपने कमंडल से जल निकालकर उन्होंने जल छिड़का तो सरस्वती का अवतरण हुआ. मां के एक हाथ में वीणा और चेहरे पर तेज था. मां सरस्वती के अवतरण दिवस के रूप में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है.
मां सरस्वती ने भगवान ब्रह्मा जी का आशीर्वाद पाकर अपने वीना से ब्रह्मांड को ध्वनि प्रदान की. ताकि सभी लोग बातचीत कर सके, एक दूसरे को समझ सके, ब्रह्मांड के सभी लोगों को आवाज देने वाली मां सरस्वती की पूजा उस समय से बसंत पंचमी पर मनाया जा रहा है.