रांची: आज देश के दो महान सपूतों की जयंती है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर झारखंड सहित देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. रांची के मोरहाबादी स्थित बापू बाटिका में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और सांसद महुआ माजी ने श्रद्धासुमन अर्पित कर राष्ट्रपिता को याद किया. इस अवसर पर बापू के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' को मृणालिनी अखौरी के द्वारा पारंपरिक रूप से गाया गया. भजन कार्यक्रम में राज्यपाल सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए.
बापू का संदेश आज भी प्रासंगिक: राज्यपाल
इस मौके पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार बापू की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि बापू का संदेश आज भी प्रासंगिक है और दिन प्रतिदिन यह और भी प्रासंगिक होता जा रहा है. वास्तव में अब देश और समाज महसूस करता है कि महात्मा गांधी के संदेश जो उस समय प्रासंगिक उससे ज्यादा अब हैं. हमारे देश के प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार देश को एक दिशा देने का काम किया है कि कैसे स्वच्छता रखी जाए, दुनिया में वही देश प्रगति कर रहा है जो अपने देश को साफ सुथरा और स्वच्छ रख रहे हैं
महात्मा गांधीजी ने प्रारंभ से ही इस बात को लेकर देशवासियों का ध्यान आकर्षित किया था कि अगर वास्तव में हम अपने समाज को दुरुस्त देखना चाहते हैं तो स्वयं अपने आपको, अपने स्थान को साफ-सुथरा और स्वच्छ रखने का काम करें. यह हमारे लिए और भी ज्यादा प्रासंगिक है. वास्तव में आज महत्वपूर्ण दिन है. आज महात्मा गांधी जी के साथ-साथ लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिन है, जो वास्तव में हमारे देश के महापुरुष हैं. वास्तव में हमारे देश को, समाज को, दिशा दी और मजबूत करने की दिशा में काम किया था. आज दोनों ही महापुरुष हम सब के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
बापू की सोच पर चलने से बेरोजगार की समस्या कम होगी: वित्त मंत्री
इस मौके पर वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि सामाजिक सहिष्णुता, धार्मिक सहिष्णुता के साथ साथ रोजगार के मुद्दे पर इतनी बड़ी सोच किसी की भी नहीं हो सकती, जो राष्ट्रपिता की थी. घर-घर में चरखा और कॉटेज इंडस्ट्री की बात उन्होंने की. रामेश्वर उरांव ने कहा कि आज बेरोजगारी की जो समस्या है उसको दूर करने के लिए बापू की स्वरोजगार की सोच आज भी प्रासंगिक है, जिस पर आज चलने की आवश्यकता है. इससे बेरोजगारी की समस्या कम हो जाएगी. गांधी जी आने वाले समय में भी प्रासंगिक रहेंगे, अपने समय में थे ही और आज भी प्रासंगिक हैं.
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