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संजौली मस्जिद विवाद: अदालत में सुनवाई आज, निगम आयुक्त के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने दी है चुनौती

संजौली मस्जिद विवाद में आज शिमला की लोकल अदातल में सुनवाई होगी. अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने चुनौती दी है

SHIMLA MOSQUE CONTROVERSY
संजौली मस्जिद विवाद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

शिमला: राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली के बहुचर्चित मस्जिद विवाद में आज जिला शिमला की लोकल अदालत में सुनवाई होगी. नगर निगम शिमला कोर्ट के अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने चुनौती दी है. ये चुनौती बिलासपुर, पांवटा साहिब व मंडी की कमेटियों ने दी है. मुस्लिम पक्ष से जुड़ी 3 वेलफेयर सोसाइटीज ने निगम कमिश्नर कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिले की एक अदालत में अपील की है.

मुस्लिम वेलफेयर कमेटी का दावा

अपीलकर्ताओं में मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी पांवटा साहिब, जामा मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी बिलासपुर और अलहुदा एजुकेशनल सोसाइटी डिनक मंडी शामिल हैं. इन सभी का दावा है कि संजौली की मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और इसके अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा गैर कानूनी है. इसी मामले में इससे पहले संजौली लोकल रेजिडेंट की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर को 2010 की शिकायत से जुड़े अवैध निर्माण वाले मामले का 8 सप्ताह के भीतर निपटान करने के आदेश जारी किए हुए हैं.

आज होगी मामले में सुनवाई

वहीं, अब 3 कमेटियों ने नगर निगम की राजस्व अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए आधार बनाया है कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर मोहम्मद लतीफ ने जो हलफनामा दाखिल किया, वह उसके लिए अधिकृत ही नहीं है. जिला अदालत में की गई अपील में कहा गया है कि इस भवन से कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए इस पूरे मामले में उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए. याचिका दायर करने वाले मुस्लिम समुदाय के प्रवक्ता नजाकत हाशमी के अनुसार इस मामले में 6 नवंबर यानी आज सुनवाई होनी है.

मस्जिद से हटाई जा चुकी है छत

बहु चर्चित मामले में 21 अक्टूबर को ही संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम शुरू हुआ था. संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से छत के एक बड़े हिस्से को हटा दिया गया है. ये बात अलग है कि बाद में फंड की कमी का हवाला देते हुए इस काम को रोक दिया गया. उल्लेखनीय है कि बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत ने दो महीने में अवैध रूप से बने दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के लिए कहा था. इसका आवेदन व आग्रह भी खुद मस्जिद कमेटी ने ही किया था. संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से ही 11 सितंबर को नगर निगम आयुक्त को एक पत्र लिख कर आग्रह किया गया था कि वह मस्जिद के उस हिस्से को हटाने के लिए तैयार है, जिसे अवैध बताया जा रहा है. इसके बाद नगर निगम आयुक्त की अदालत ने 5 अक्टूबर को मस्जिद के दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के लिए कहा था. इस पूरे काम का खर्चा भी संजौली मस्जिद कमेटी को खुद ही वहन करना है. मस्जिद के अवैध बताए हिस्से को हटाने के लिए वक्फ बोर्ड की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है.

हाईकोर्ट ने भी दिए मामला निपटाने के आदेश

21 अक्टूबर को ही हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में भी संजौली के स्थानीय लोगों की याचिका पर सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई के दौरान भी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते में मामले की शिकायत का निपटारा करने के लिए कहा है. यह शिकायत साल 2010 में स्थानीय लोगों की ओर से नगर निगम शिमला को दी गई थी. जिसमें जमीन पर अवैध निर्माण की बात कही गई है. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद सभी पक्षों की सहमति से इस याचिका का निपटारा करते हुए नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते के अंदर मस्जिद से जुड़ी साल 2010 की शिकायत का निपटारा करने के आदेश दिए हैं. इस शिकायत में खुद शिमला नगर निगम शिकायतकर्ता है.

ये भी पढ़ें: "पहला राज्य बना हिमाचल, मस्जिद का अवैध हिस्सा गिराकर पेश की भाईचारे की मिसाल"

ये भी पढ़ें: संजौली मस्जिद विवाद: HC का एमसी कमिश्नर को आदेश, आठ हफ्ते में पूरी की जाए मुख्य केस की प्रोसीडिंग्स

शिमला: राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली के बहुचर्चित मस्जिद विवाद में आज जिला शिमला की लोकल अदालत में सुनवाई होगी. नगर निगम शिमला कोर्ट के अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने चुनौती दी है. ये चुनौती बिलासपुर, पांवटा साहिब व मंडी की कमेटियों ने दी है. मुस्लिम पक्ष से जुड़ी 3 वेलफेयर सोसाइटीज ने निगम कमिश्नर कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिले की एक अदालत में अपील की है.

मुस्लिम वेलफेयर कमेटी का दावा

अपीलकर्ताओं में मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी पांवटा साहिब, जामा मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी बिलासपुर और अलहुदा एजुकेशनल सोसाइटी डिनक मंडी शामिल हैं. इन सभी का दावा है कि संजौली की मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और इसके अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा गैर कानूनी है. इसी मामले में इससे पहले संजौली लोकल रेजिडेंट की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर को 2010 की शिकायत से जुड़े अवैध निर्माण वाले मामले का 8 सप्ताह के भीतर निपटान करने के आदेश जारी किए हुए हैं.

आज होगी मामले में सुनवाई

वहीं, अब 3 कमेटियों ने नगर निगम की राजस्व अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए आधार बनाया है कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर मोहम्मद लतीफ ने जो हलफनामा दाखिल किया, वह उसके लिए अधिकृत ही नहीं है. जिला अदालत में की गई अपील में कहा गया है कि इस भवन से कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए इस पूरे मामले में उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए. याचिका दायर करने वाले मुस्लिम समुदाय के प्रवक्ता नजाकत हाशमी के अनुसार इस मामले में 6 नवंबर यानी आज सुनवाई होनी है.

मस्जिद से हटाई जा चुकी है छत

बहु चर्चित मामले में 21 अक्टूबर को ही संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम शुरू हुआ था. संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से छत के एक बड़े हिस्से को हटा दिया गया है. ये बात अलग है कि बाद में फंड की कमी का हवाला देते हुए इस काम को रोक दिया गया. उल्लेखनीय है कि बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत ने दो महीने में अवैध रूप से बने दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के लिए कहा था. इसका आवेदन व आग्रह भी खुद मस्जिद कमेटी ने ही किया था. संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से ही 11 सितंबर को नगर निगम आयुक्त को एक पत्र लिख कर आग्रह किया गया था कि वह मस्जिद के उस हिस्से को हटाने के लिए तैयार है, जिसे अवैध बताया जा रहा है. इसके बाद नगर निगम आयुक्त की अदालत ने 5 अक्टूबर को मस्जिद के दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के लिए कहा था. इस पूरे काम का खर्चा भी संजौली मस्जिद कमेटी को खुद ही वहन करना है. मस्जिद के अवैध बताए हिस्से को हटाने के लिए वक्फ बोर्ड की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है.

हाईकोर्ट ने भी दिए मामला निपटाने के आदेश

21 अक्टूबर को ही हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में भी संजौली के स्थानीय लोगों की याचिका पर सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई के दौरान भी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते में मामले की शिकायत का निपटारा करने के लिए कहा है. यह शिकायत साल 2010 में स्थानीय लोगों की ओर से नगर निगम शिमला को दी गई थी. जिसमें जमीन पर अवैध निर्माण की बात कही गई है. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद सभी पक्षों की सहमति से इस याचिका का निपटारा करते हुए नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते के अंदर मस्जिद से जुड़ी साल 2010 की शिकायत का निपटारा करने के आदेश दिए हैं. इस शिकायत में खुद शिमला नगर निगम शिकायतकर्ता है.

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