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हक मांगने के लिए समस्तीपुर में जल सत्याग्रह, बोले- 'रोजी रोजगार छूटा अब रिश्ते भी नहीं मिल रहे' - jal satyagraha in Samastipur

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 3, 2024, 8:05 PM IST

Samastipur jal satyagraha: सीतामढ़ी के मोहिउद्दीनगर प्रखंड के कई गांव को लोगों ने गंगा नदी पर पीपा पुल निर्माण की मांग को लेकर जल सत्याग्रह किया. लोगों का कहना है कि घटहाटोल और पटना के बाढ़ के बीच जल भराव होने के कारण आसपास के 12 गांव की आबादी प्रभावित हो गई है. रोजी-रोजगार, सब्जी व दूध का व्यापार यहां के दर्जनों गांव में पूरी तरह प्रभावित है. अब तो दूसरे गांव के लोग रिश्ता जोड़ने से भी गुरेज कर रहे हैं.

सीतामढ़ी में जल सत्याग्रह
सीतामढ़ी में जल सत्याग्रह (ETV Bharat)

समस्तीपुर: बिहार से समस्तीपुर में अपने अस्तित्व के लिये लंबे समय से जद्दोजहद कर रहे मोहिउद्दीनगर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोगों ने अब आंदोलन का रूख अख्तियार किया है. घटहाटोल और पटना जिले बाढ़ के बीच गंगा नदी पर पीपा पुल निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी है. दर्जनों गांव के लोगों ने मंगलवार को गंगा नदी में खड़े होकर एकदिवसीय जल सत्याग्रह किया.

समस्तीपुर में जल सत्याग्रह: मोहिउद्दीननगर प्रखंड के दर्जनों गांवों में रहने वाले हजारों की आबादी घटहाटोल और पटना के बाढ़ में कई साल से गंगा नदी पर पीपा पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. पुल ना बनने से लगभग 12 गांव के लोग प्रभावित हैं. रोजी-रोजगार, सब्जी व दूध का व्यापार यहां के दर्जनों गांव में पूरी तरह प्रभावित है. दर्जनों गांव के हजारों लोग रोज जान हथेली पर रखकर इस नदी को पार करते हैं. नदी पार करते समय अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी हैं.

मोहिउद्दीनगर रेलवे स्टेशन
मोहिउद्दीनगर रेलवे स्टेशन (ETV Bharat)

'नेता वादा कर मुकर जाते हैं': जल सत्याग्रह कर रहे लोगों ने बताया कि हादसे के बाद भी शासन और प्रशासन की संवेदना नहीं जागी. एकबार फिर इन गांव के लोगों ने आंदोलन का रूख अख्तियार किया है, गांव वालों का कहना है हर चुनाव में नदी पर पुल बनाने का मुद्दा उठता है लेकिन चुनाव बीतने के बाद यह मुद्दा गुम हो जाता है और नेता अपने वायदे से मुकर जाते हैं.

गांव में नहीं जोड़ना चाहते रिश्ता: गंगा के उस पार के दूसरे गांवों के लोग इन गांवों में वैवाहिक संबंध बनाना नहीं चाहते. गंगा नदी के कारण इन इलाकों से दियारांचल के गांवों में कम समय में पहुंचने का एकमात्र विकल्प नाव है. दियारांचल के लोग सब्जियों, दूध तथा अन्न का व्यापार बाढ़ जैसे व्यापारिक मंडी से करते थे.

''एक पीपा पुल इस दियारा अंचल के सैंकड़ो वाशिंदों के लिए वरदान से कम नहीं. बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान यह इस क्षेत्र में सभी दलों के लिए चुनावी मुद्दा बना, लेकिन किन्हीं ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.''- सुखदेव राय, जल सत्याग्रह कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता

बाढ़ और नवादा तक स्टीमर का परिचालन होता था: सत्याग्रहियों का कहना था कि ऐतिहासिक व प्रामाणिक दावों में यह माना जाता है कि विद्यापतिनगर से चमथा होते हुए पतसिया तक रेल लाइन थी. उसके बाद इस दियाराचंल से पटना के बाढ़ और नवादा तक स्टीमर का परिचालन होता था. अंग्रेजों के जमाने तक यातायात की यह सुविधा लोगों को जीविका और आपसी संबंधों के बीच सेतु का काम करता था. वहीं वर्तमान वक्त में यह क्षेत्र पूरी तरह मुख्यधारा से कट गया.

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समस्तीपुर में जल सत्याग्रह: मोहिउद्दीननगर प्रखंड के दर्जनों गांवों में रहने वाले हजारों की आबादी घटहाटोल और पटना के बाढ़ में कई साल से गंगा नदी पर पीपा पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. पुल ना बनने से लगभग 12 गांव के लोग प्रभावित हैं. रोजी-रोजगार, सब्जी व दूध का व्यापार यहां के दर्जनों गांव में पूरी तरह प्रभावित है. दर्जनों गांव के हजारों लोग रोज जान हथेली पर रखकर इस नदी को पार करते हैं. नदी पार करते समय अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी हैं.

मोहिउद्दीनगर रेलवे स्टेशन
मोहिउद्दीनगर रेलवे स्टेशन (ETV Bharat)

'नेता वादा कर मुकर जाते हैं': जल सत्याग्रह कर रहे लोगों ने बताया कि हादसे के बाद भी शासन और प्रशासन की संवेदना नहीं जागी. एकबार फिर इन गांव के लोगों ने आंदोलन का रूख अख्तियार किया है, गांव वालों का कहना है हर चुनाव में नदी पर पुल बनाने का मुद्दा उठता है लेकिन चुनाव बीतने के बाद यह मुद्दा गुम हो जाता है और नेता अपने वायदे से मुकर जाते हैं.

गांव में नहीं जोड़ना चाहते रिश्ता: गंगा के उस पार के दूसरे गांवों के लोग इन गांवों में वैवाहिक संबंध बनाना नहीं चाहते. गंगा नदी के कारण इन इलाकों से दियारांचल के गांवों में कम समय में पहुंचने का एकमात्र विकल्प नाव है. दियारांचल के लोग सब्जियों, दूध तथा अन्न का व्यापार बाढ़ जैसे व्यापारिक मंडी से करते थे.

''एक पीपा पुल इस दियारा अंचल के सैंकड़ो वाशिंदों के लिए वरदान से कम नहीं. बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान यह इस क्षेत्र में सभी दलों के लिए चुनावी मुद्दा बना, लेकिन किन्हीं ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.''- सुखदेव राय, जल सत्याग्रह कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता

बाढ़ और नवादा तक स्टीमर का परिचालन होता था: सत्याग्रहियों का कहना था कि ऐतिहासिक व प्रामाणिक दावों में यह माना जाता है कि विद्यापतिनगर से चमथा होते हुए पतसिया तक रेल लाइन थी. उसके बाद इस दियाराचंल से पटना के बाढ़ और नवादा तक स्टीमर का परिचालन होता था. अंग्रेजों के जमाने तक यातायात की यह सुविधा लोगों को जीविका और आपसी संबंधों के बीच सेतु का काम करता था. वहीं वर्तमान वक्त में यह क्षेत्र पूरी तरह मुख्यधारा से कट गया.

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