देहरादूनः उत्तराखंड सरकार प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. बावजूद इसके मौजूदा स्थिति है कि मैदान से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में अभी भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है. जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों में तैनात संविदा सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की वेतन को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. ऐसे में नया वेतनमान तय किए जाने के बाद राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अब सुपर स्पेशियलिटी और रेडियोलॉजी विभागों में फैकल्टी की कमी नहीं होगी.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर तैनात सुपर स्पेशियलिटी और रेडियोलॉजी विभागों की फैकल्टी के वेतनमान का पुनर्निर्धारण (शेड्यूलिंग) करते हुए बढ़ाया गया है. इस पहल के बाद पर्वतीय क्षेत्रों के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को दूर किया जा सकेगा. मंत्री ने बताया कि पुनर्निर्धारित वेतनमान के तहत कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग में संविदा में तैनात सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों को बढ़ी हुई सैलरी दी जाएगी.
पहाड़ में तैनात डॉक्टरों को ज्यादा वेतनमान: पुनर्निर्धारित वेतनमान के तहत मैदानी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों में तैनात प्रोफेसर को अधिकतम 4 लाख रुपए, एसोसिएट प्रोफेसर को 3 लाख 20 हजार, असिस्टेंट प्रोफेसर को 2 लाख 20 हजार और सीनियर रेजिडेंट को एक लाख 50 हजार रुपए वेतन दिया जाएगा. इसी क्रम में पर्वतीय क्षेत्रों में प्रोफेसर को 5 लाख रुपए, एसोसिएट प्रोफेसर को 4 लाख रुपए, असिस्टेंट प्रोफेसर को 3 लाख रुपए और सीनियर रेजीडेंट को 2 लाख रुपए तक का वेतन दिया जाएगा.
हर साल बढ़ेगी 7 से 10 फीसदी सैलरी: इसके साथ ही संविदा पर तैनात फैकल्टी के कार्यों के आधार पर मानदेय में हर साल बढ़ोतरी की जाएगी. इसके लिए तय किया गया है कि बेहतर काम करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर एवं सीनियर रेजीडेंट के वेतन में 10 फीसदी और एसोसिएट एवं प्रोफेसर के वेतन में 7 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी. संविदा पर तैनात इन सभी फैकल्टी को आयुष्मान भारत, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत राजकीय चिकित्सालयों की ओर एकत्र की गई क्लेम की धनराशि में से भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. लिहाजा, संविदा फैकल्टी के सदस्यों को नौकरी छोड़ने या इस्तीफा देने की जानकारी तीन महीने पहले कॉलेज प्रशासन को नोटिस के रूप में देनी होगी.
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