नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साहिबगंज अवैध खनन मामले में जांच जारी रखने की अनुमति दे दी है. इस मामले में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत अन्य लोगों पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप है. कोर्ट ने जुलाई में होने वाली अगली सुनवाई तक चार्जशीट दाखिल करने से रोक दिया है.
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की कोर्ट कहा कि जांच जारी रखी जा सकती है, लेकिन अगली तारीख तक सीबीआई की ओर से चार्जशीट या अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाएगी. झारखंड सरकार ने 23 फरवरी को आए हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने सीबीआई जांच रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में पक्ष रखा. सिब्बल की दलील सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने सीबीआई को नोटिस जारी करने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी गई कि हाईकोर्ट ने पिछले सा 18 अगस्त को सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि "यदि अदालत सीबीआई को जांच की छूट या निर्देश देती है तो इसमें राज्य सरकार की सहमति की जरूरत नहीं है." जस्टिस खन्ना ने कपिल सिब्बल से पूछा कि आप सीबीआई की गहन जांच से चिंतित क्यों हैं.
वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह एक ही वजह से कोर्ट आए हैं. क्योंकि भारत सरकार के वकील जेल में बंद एक व्यक्ति से हलफनामा लेते हैं, जिससे वह कभी नहीं और अन्य वकील भी कभी नहीं मिले हैं और यह याचिका दायर करते हैं. सिब्बल ने कहा कि वह सॉलिसिटर जनरल के ऑफिस में काम कर रहे हैं और उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक गंभीर मामला है और अदालत को इसकी जांच करनी चाहिए.
जस्टिस खन्ना ने कहा कि वह सीबीआई जांच जारी रखने की अनुमति देंगे और मामले की अगली सुनवाई जुलाई में तय की गई है. राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि हाईकोर्ट ने डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत प्रदत्त स्पष्ट प्रतिबंध की अनदेखी की है. जिसके तहत राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में किसी भी मामले की जांच सीबीआई द्वारा राज्य सरकार की सहमति के बाद ही की जा सकती है.
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