नई दिल्लीः मोहल्ले की गलियों में सहज चड्ढा ने क्रिकेट खेलना शुरू किया. लेकिन आज वह इंग्लैंड में काउंटी मैच खेल रहे हैं. उनके बेहतर प्रदर्शन से इग्लैंड की काउंटी टीम में उनका चयन हुआ. इस तरीके से सहज चड्ढा इग्लैंड में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. उनका सपना नीली जर्सी पहनकर भारतीय क्रिकेट टीम में भारत का प्रतिनिधित्व करना है. उन्होंने कहा कि हर वह खिलाड़ी जो सफल होना चाहता है. उसे लक्ष्य निर्धारित कर बिना किसी बेईमानी के उस लक्ष्य को पाने के लिए खुद को समर्पित कर देना चाहिए.
कौशांबी के रहन वाले सहज वर्ष 2008 से क्रिकेट खेल रहे हैं. हालांकि, उन्होंने 2016 से प्रोफेशन तरीके से क्रिकेट खेलना शुरू किया. वर्ष 2016, 2017, 2018 में दिल्ली कैपिटल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के लिए आईपीएल में कैंप अटैंड कर चुके हैं. 2019 में दिल्ली रणजी टीम का कैंप अटैंड किया, इंजरी के कारण वह खेल नहीं सके. लेकिन वह साऊथ अफ्रीका और इलैंड में काउंटी क्रिकेट खेल रहे हैं. वह अब तक 400 से अधिक मैच खेल चुके हैं. सहज चड्ढा ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कई सवालों के जवाब खास अंदाज में दिए.
सवालः काउंटी क्रिकेट में चयन कैसे हुआ था?
जवाबः वर्ष 2016 में प्रोफेशनल तरीके से मैच खेलना शुरू किया. 2019 में एसिक्स में गया था. वहां मैने अपनी सारी सीरीज हर जगह क्रिकेट के क्लबों में और कांउंटीज में अच्छा प्रदर्शन किया. उनकों मेरा प्रदर्शन पसंद आया. इसके बाद चयन हुआ. मैने साउथ अफ्रीका और इग्लैंड में काउंटी मैच खेलना शुरू किया. इग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए 8 अप्रैल को इग्लैंड जाना है.
सवालः क्रिकेट के क्षेत्र में आपने क्या लक्ष्य निर्धारित किया है?
जवाबः हमेशा से मेरा सपना बड़े क्रिकेट मैच खेलना रहा है. दिल्ली में मैने बड़े मैचे खेले हैं. साउथ अफ्रीका में मैने डोमेस्टिक मैच खेले हैं. यूके में होने वाले सारे प्रीमियर क्रिकेट क्लब मैने खेले हैं. मेरा उद्देश्य नीली जर्सी पहनकर भारत के लिए खेलूं और देश का प्रतिनिधित्व करूं. इस बार भी मैं काउंटी में और बेहतर प्रदर्शन कर सकूं, उसके के लिए लागातार मेहनत करता आया हूं.
सवालः क्रिकेट के क्षेत्र में आपना आइडियल किसको मानते हैं?
जवाबः क्रेकेट में मैं सचिन तेंदुलकर को अपना आइडियल मानता हूं. अलग-अलग खेलों में मुझे अलग-अलग खिलाड़ी पसंद आते हैं. बास्केट बाल में कोबे ब्रायंट, लांग टेनिस में जोकोविच हैं. क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर से हमेशा प्रभावित हुआ हूं. इंडिया की टीम हमेशा अच्छी रही है. हमारी देश की टीम में सारे टैलेंट हैं. आस्ट्रेलिया की भी टीम पसंद आई है हमें क्योंकि उनके पास एक अच्छा माइंडसेट रहा है.
सवालः संघर्ष कर रहे अन्य खिलाड़ियों की सफलता के लिए क्या कहना चाहेंगे?
जवाबः सबसे पहले तो गोल निर्धारित करना चाहिए. इसके बाद वर्क एथिक्स अच्छी होनी चाहिए. तभी हम सफल हो पाते हैं. जब हम अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और मेहनत करेंगे तो लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे.
सवालः आपके संघर्ष में किसका सहयोग रहा, किस तरह से उन्होंने मदद की?
जवाबः घरवालों का सबसे ज्यादा सहयोग रहा. इसके साथ ही मेरे कोच नवेंदू त्यागी, महेश हटकर और मेरे उपदेशक सौरभ डबराल ने मेरी बहुत मदद की. इन सभी की बदौलत मैं आज यहां तक पहुंचा हूं. इसके साथ ही क्रिकेट क्लबों में भी मुझे बहुत सहयोग और मोटीवेशन मिला. काउंटी क्रिकेट में मुझे विदेश के खिलाड़ियों और वहां के कोचेज से बहुत सहयोग मिला.
सवालः हाल में हुए वर्ल्डकप में इंडिया दूसरे नंबर पर रही आस्ट्रेलिया पहले नंबर पर इसे कैसे देखते हैं?
जवाबः आस्ट्रेलिया की टीम ने जिस तरीके से इंडिया की टीम पर प्रेसर डाला और हमारी टीम उस प्रेसर को हैंडल नहीं कर पाई. उन्होंने हमसे अच्छा खेला. लेकिन पूरे वर्ल्डकप में इंडिया सभी टीमों से बेहतर खेली. बस फाइनल मुकाबले वाला दिन दिन इंडिया का खराब रहा. मुझे पूरी उम्मीद है कि जो आने वाला वर्ल्डकप है उसमें इंडिया की अच्छी तैयारी रहेगी और वर्ल्डकप जीतेंगे.
ये होता है काउंटी मैचः काउंटी क्रेकेट शब्द इग्लैंड व वेल्स में प्रचलित है. वहीं पर ये खेला जाता है. सबसे पहले यह खेल 17वीं शताब्दी में शुरू था. यह मैच भारत में होने वाले रणजी मैच की तरह होता है. इन काउंटी मैचों में दर्शकों का समर्थन मिलता है, लेकिन रणजी में दर्शकों का स्पोर्ट नहीं मिलता है. काउंटी क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों को अच्छी रकम भी दी जाती है. इग्लैंड की परिस्थितियों में अपने आप को ढालने के लिए भी बड़ी संख्या में खिलाड़ी काउंटी खेलते हैं. सचिन तेंदुलकर, अजिंक्या रहाणे, रविचंद्रन अश्विन समेत अन्य भारतीय खिलाड़ी काउंटी खेल चुके हैं.