सागर : अपने जीवन की जमापूंजी से बुंदेलखंड जैसे पिछडे़ इलाके में देश की आजादी से पहले यूनिवर्सिटी की स्थापना करने वाले सर डॉ. हरीसिंह गौर की 25 दिसंबर को पुण्यतिथि है. ऐसे में बुंदेलखंड और खासकर सागर के लोग अपने-अपने तरीके से डॉ. गौर को याद करते हैं. इसी कडी में सागर यूनिवर्सटी के छात्र रहे और यूनिवर्सटी में शिक्षक रहे डॉ. प्रमोद लारिया ने डॉ. गौर को संगीतमय श्रृद्धांजलि अर्पित की.
सर डॉ.हरीसिंह गौर पर संगीतबद्ध आरती
डॉ. प्रमोद लारिया ने डॉ. गौर की आरती लिखी है, जिसे बाकायदा संगीतबद्ध किया और जल्द ही इस पर वीडियो बनाने वाले हैं. डॉ. प्रमोद लारिया का कहना है "डॉ.गौर जैसे महादानी का कर्ज सागर और बुंदेलखंड की जनता कभी नहीं चुका सकती, लेकिन हम उन्हें अपनी भावनाओं के जरिए सच्ची श्रृद्धाजंलि दे सकते हैं. डॉ. गौर की ही प्रेरणा से मैंने उनकी आरती लिखी है."
सागर यूनिवर्सिटी में इतिहास के स्टूडेंट रहे हैं डॉ. प्रमोद लारिया
शहर के लाजपतपुरा वार्ड में रहने वाले डॉ.प्रमोद लारिया सागर यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के छात्र रहे हैं. उन्होंने इतिहास में पीएचडी करने के बाद करीब 3 साल तक सागर यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में अध्यापन भी किया है. इतिहास के जानकार होने के साथ ही डॉ. प्रमोद लारिया लेखन में भी काफी आगे हैं. खासकर भजन और गीतों के माध्यम से वह अपनी कला की प्रतिभा का प्रदर्शन करते रहते हैं. इस बार उन्होंने डॉ. हरीसिंह गौर के लिए आरती लिखकर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की है.
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क्या कहते हैं आरती लिखने वाले डॉ. प्रमोद लारिया
डॉ. प्रमोद लारिया कहते हैं "मेरा विश्वास है और मेरा सोचना है कि मुझे डॉ. गौर ने ही प्रेरणा दी है कि कुछ इस तरह का लिखा जाए कि आज डिजिटल दुनिया के माध्यम से सारी दुनिया जाने. गीत-संगीत किसी भी व्यक्ति और व्यक्तित्व को बताने के लिए सशक्त माध्यम है. इसलिए मैंने डॉ. गौर के व्यक्तित्व को बताने के लिए आरती के माध्यम से श्रृद्धासुमन अर्पित किए. दुनिया डॉ.गौर के बारे में जानें कि कैसे बुंदेलखंड के लिए उन्होंने काम किया. आरती के माध्यम से मैंने उनके जीवन को रेखांकित है. इसमें उनके जन्म से लेकर उनके संघर्ष और विदेश से बैरिस्टर बनकर लौटने के बाद और सागर यूनिवर्सटी की स्थापना कैसे की, इसका उल्लेख है. हालांकि डॉ. गौर साहब के बारे में कुछ भी लिखना सूरज को दिया दिखाने जैसा है."