सागर: जिले की खुरई और बीना तहसील को जिला बनाने की मांग तेज हो गई है. यहां के लोग अपनी मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. 4 सितंबर को सीएम मोहन यादव के बीना दौरे पर बीना को जिला बनाए जाने की खबरों ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि दोनों तहसीलों में जमकर सियासत हो रही है. इन हालातों के लिए बीजेपी को जिम्मेदार माना जा रहा है.
बीना को जिला बनाने की सुगबुगाहट तेज
विधानसभा चुनाव में जिले की 8 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने सिर्फ बीना में जीत हासिल की थी लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान बीना को जिला बनाने का वादा कर बीजेपी बीना विधायक निर्मला सप्रे को अपने खेमे में ले आयी थी. निर्मला सप्रे ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया. वह इस बात पर अड़ी हैं कि पहले बीना को जिला बनाने का ऐलान करो. सियासी गलियारों में खबर है कि 4 सितंबर को सीएम मोहन यादव बीना को जिला बनाए जाने का ऐलान करने जा रहे हैं. वहीं खुरई में जिले की मांग को लेकर पिछले 44 दिन से धरना चल रहा है.
दोनों पड़ोसी तहसीलों में जंग जैसे हालात
सागर जिले में खुरई और बीना पुरानी और पड़ोसी तहसीले हैं. दोनों पिछले 5 दशक से जिला बनाए जाने की मांग करती आ रही हैं. बीना की सागर से दूरी 70 और खुरई की 55 किमी है. जब भी किसी एक तहसील को जिला बनाने की मांग उठती है, तो दूसरे तहसील में भी आंदोलन शुरू हो जाता है. पिछले कई सालों से मांग बराबर उठ रही थी, लेकिन राजनीति के चतुर खिलाड़ी शिवराज सिंह सिर्फ वादा करके दोनों तहसीलों को उम्मीद से बांधे रखते थे. लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बीजेपी ने बीना की कांग्रेस विधायक को भाजपा में लाकर मुद्दे को फिर जगा दिया. एक तरफ बीना विधायक निर्मला सप्रे ने अब तक कांग्रेस विधायक के तौर पर इस्तीफा नहीं दिया और बीना को जिला बनाए जाने की घोषणा की मांग कर रही हैं. वहीं पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई में भी इस मांग ने जोर पकड़ लिया है.
पांच दशक पुरानी मांग को लेकर बंद
खुरई और बीना को जिला बनाए जाने की मांग पिछले 5 दशक से चली जा रही है. समय-समय पर आंदोलन होते रहे, लेकिन दोनों तहसीलों की मांग पूरी नहीं हो सकी. सागर से टूटकर दमोह जिला बनाया गया, तब भी खुरई को जिला बनाने की मांग उठी और जिला पुनर्गठन आयोग ने खुरई का दौरा भी किया, लेकिन मांग पूरी नहीं हो सकी. बीना को भी 1980 से जिला बनाए जाने की मांग उठती रही, लेकिन इस बार नए तरह के सियासी समीकरणों ने फिर दोनों तहसीलों के बीच जंग से हालत बना दिए. बीना को जिला बनाए जाने की सुगबुगाहट के साथ पिछले 44 दिनों से खुरई में धरना चल रहा है.
बीना और खुरई के अपने-अपने दावे
दोनों तहसील को जिला बनाए जाने के दावों की बात करें, तो अपने-अपने स्तर पर दोनों के दावे मजबूत नजर आते हैं. बीना में रिफायनरी और रेलवे जंक्शन है, तो खुरई ऐतिहासिक तौर पर ब्रिटिशकाल से विकासखंड के रूप में स्थापित है. बीना को जिला बनाने का विरोध करने वाले खुरई जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक मूरत सिंह राजपूत कहते हैं कि "बीना कोने में पड़ता है. बांदरी, मालथौन, बड़ोदिया, खिमलासा और राहतगढ़ को मिलाकर जिला बनाया जाना प्रस्तावित है. इन सभी तहसीलों के लिए खुरई बीचों-बीच पड़ता है. लोगों की आवागमन की सुविधा से खुरई जिला बनाना उचित है. क्योंकि यहां अनुभाग स्तर के सारे कार्यालय कृषि, सिंचाई, लोक निर्माण और पीएचई हैं. जिनके अंतर्गत बीना आता है. यहां पुराना एडीजे और सिविल कोर्ट है. खुरई में जेल और 100 बिस्तर का अस्पताल है. बड़े पैमाने पर शासकीय भूमि उपलब्ध है."
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सीएम के दौरे के पहले खुरई बंद का ऐलान वापस
पिछले 44 दिन से खुरई जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले धरना दे रहे खुरई के नागरिकों ने सीएम मोहन यादव के दौरे के एक दिन पहले खुरई बंद का ऐलान किया है. समिति के संयोजक मूरत सिंह राजपूत ने बताया है कि "ये व्यापक बंद होगा. सभी तरह के प्रतिष्ठान, व्यापारिक संस्थान, कारखाने, स्कूल बंद रहेंगे. यह बंद सुबह 7 से शुरू होगा और रात 8 बजे खत्म करने का प्लान था," लेकिन पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के आश्वासन के बाद बंद के ऐलान को वापस ले लिया गया है.