सागर: सरकार मिलेट्स (मोटे अनाज) को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में सरकारी प्रयासों के चलते किसान मोटा अनाज उगा रहे हैं. लेकिन कई बार फसल की अच्छी कीमत नहीं मिलने से उन्हें बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता है. इसलिए किसानों को अपनी फसल की कीमत को लेकर चिंता बनी रहती है. ऐसे में एक युवा किसान ने मिलेट्स की अच्छी कीमत हासिल करने के लिए एक आइडिया निकाला और मिलेट्स को प्रोसेस कर व्यंजन बनाना शुरू किया. जिससे अब डबल से अधिक मुनाफा कमा रहा है. इसके साथ ही देशभर के किसानों के नेटवर्क के जरिए होम डिलीवरी शुरू कर दी है.
मिलेट्स के लड्डू से हो रही मोटी कमाई
युवा किसान मिलेट्स को प्रोसेस कर लड्डू बनाकर मोटी कमाई कर रहे हैं. प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि "मिलेट्स (मोटे अनाज) लोगों की सेहत के लिए बहुत अच्छा खाना है. भारत में हरित क्रांति के पहले हमारे पूर्वज मिलेट्स ही इस्तेमाल करते थे. हम यहां पर हर तरह के मिलेट्स उगाते हैं. जिनमें कोदों, कुटकी, रागी, सावां, ज्वार, बाजरा और मक्का शामिल है. इनको जब हम बाजार में बेंचने जाते हैं तो इनका मूल्य एक सीमित मात्रा में मिलता है. लेकिन जब हम वैल्यू एडिशन करते हैं तो 2 से 4 गुना तक मुनाफा बढ़ाया जा सकता है."
'लोगों को काफी पसंद आ रहा लड्डू'
आकाश चौरसिया बताते हैं कि "अभी सर्दी का मौसम चल रहा है. वैसे तो मिलेट्स में वैल्यू एडिशन कर हम कई तरह के व्यंजन और प्रोडक्ट बनाते हैं. फिलहाल ठंड में हमारे यहां लोग तरह-तरह के लड्डू खाने में प्रयोग करते हैं. सामान्य तौर पर लोग चावल, बेसन या गुड़ के लड्डू खाते हैं. लेकिन हमने मिलेट्स को प्रोसेस और वैल्यू एडीशन करके मिलेट्स के लड्डू बनाए हैं. रागी, कोदों, कुटकी, सांबा, मक्की, ज्वार और बाजरे के भी लड्डू भी बनाए हैं. ये लड्डू लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं."
'सेहत के लिए भी फायदेमंद'
आकाश चौरसिया आगे बताते हैं कि "मिलेट्स के सभी तरह के लड्डू सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं. इनके सेवन से फाइबर शरीर में पर्याप्त मात्रा में मिलता है. इनमें फाॅलिक, जिब्रालिक और अमीइनोएसिड भी होते हैं. ये हमारे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को विकसित करते हैं. ये पाचन तंत्र को बेहतर करते हैं. ये सेहत के साथ किसानों की आय के लिए भी अच्छा है. मिलेट्स की खेती करने वाले किसान इनको प्रोसेस करके ज्यादा कमाई कर सकते हैं."
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किसानों के नेटवर्क के जरिए होम डिलेवरी
नेचुरल और मल्टीलेयर फार्मिंग का प्रशिक्षण देने में देश भर में मशहूर हो चुके आकाश चौरसिया बताते हैं कि "हमारा बहुत बड़ा नेटवर्क है, जिसमें करीब 46 हजार किसान जुड़े हुए हैं. इस नेटवर्क के जरिए हम लोग होम डिलीवरी करते हैं. होम डिलीवरी के जरिए रागी का लड्डू 350-400 रूपए प्रति किलो तक बिकता है. सभी तरह के लड्डू 200 से 400 रुपए तक की कीमत में बिक जाते हैं. इस तरह हमारी आमदनी 2 से 4 गुना बढ़ जाती है.