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चंद्रशेखर आजाद का पहला प्यार प्रयागराज नहीं झाबुआ और बुंदेलखंड का रहली, देखें घड़ी से श्रृंगार पेटी की ओरिजनल फोटो - Chandra shekhar azad facts

ब्रिटिश हुकूमत जिसके नाम से पसीना छोड़ती थी और पूरे देश में जिसे आजाद के नाम से पुकारा जाता था. ऐसे क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज जयंती है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का बुंदेलखंड से गहरा नाता रहा है. वैसे तो आजाद का जन्म बुंदेलखंड से काफी दूर झाबुआ जिले के भांभरा में हुआ था. लेकिन बुंदेलखंड के कस्बों से उनकी यादें आज भी लोग सहेज कर रखे हुए हैं.

Chandra shekhar azad birth anniversary
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 12:38 PM IST

Updated : Jul 23, 2024, 3:18 PM IST

सागर : कहा जाता है कि जब अंग्रेज चंद्रशेखर आजाद को पकड़ने एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे. तब चंद्रशेखर आजाद ने सागर के रहली कस्बे में एक क्रांतिकारी के घर फरारी काटी थी और उनकी शहादत के बाद उनकी मां उन्हीं क्रांतिकारी के घर पर रही थीं. यह भी कहा जाता है कि जिले के बंडा कस्बे में आजाद ने एक व्यापारी का मुनीम बनकर फरारी काटी थी. बीना में तो चंद्रशेखर आजाद की घड़ी और उनकी मां का श्रृंगार दान भी रखा हुआ है.

CHANDRA SHEKHAR AZAD FACTS SAGAR
वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की घड़ी (Etv Bharat)

बुंदेलखंड से आजाद का गहरा नाता

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने जब अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था, तो अंग्रेज आजाद को पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे. ऐसे में अंग्रेजों से बचने के लिए आजाद ने बुंदेलखंड का रुख किया था. बुंदेलखंड के क्रांतिकारियों ने आजाद को अंग्रेजों की नजर से बचाने में भरपूर मदद की थी. कहा जाता है कि अंग्रेजों से बचते-बचते चंद्रशेखर आजाद सागर जिले के रहली कस्बे में पहुंचे. यहां क्रांतिकारी गोपाल कृष्ण आजाद और सदाशिवराव मलकापुरकर ने उनकी मदद की थी. यहां पर आजाद ने फरारी का लंबा वक्त गुजारा था. वहीं उनकी शहादत के बाद उनकी मां जगरानी देवी मलकापुरकर परिवार के साथ रही थीं. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जिले के बंडा कस्बे के व्यापारी लोकरस परिवार ने आजाद को शरण दी थी और आजाद वेष बदलकर उनके मुनीम के रूप में बंडा में रहे थे.

CHANDRASHEKHAR AZAD SAGAR REHLI BINA
बीना में सहेजकर रखी गईं चंद्रशेखर आजाद की यादें (Etv Bharat)

बीना में सहेज कर रखी गई हैं यादें

चंद्रशेखर आजाद के बुंदेलखंड से जुड़ी यादों को सहेजने का काम बीना में श्रीराम शर्मा द्वारा किया गया है. कहा जाता है कि श्री राम शर्मा ने अपना जीवन क्रांतिकारियों की यादें सहेजने में खर्च किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की छोटी-मोटी जानकारी से लेकर हर जानकारी उनके पास है. अथक पथ संग्रहालय नाम से श्री राम शर्मा ने एक संग्रहालय भी बनाया है, जिसमें चंद्रशेखर आजाद की घड़ी आखिरी निशानी के रूप में रखी हुई है, जिसे देखने के लिए आज भी लोग पहुंचते हैं. इसके अलावा आजाद की मां जगरानी देवी की शादी के वक्त उन्हें पीतल की श्रृंगार पेटी भेंट की गई थी. वह भी इसी संग्रहालय में रखी है.

CHANDRA SHEKHAR AZAD MOTHER FACTS
चंद्रशेखर आजाद की मां की श्रृंगार पेटी (Etv Bharat)

होशंगाबाद से आए थे आजाद के परिजन

श्रीराम शर्मा बताते हैं कि होशंगाबाद के बाबई में चंद्रशेखर आजाद के परिवार के महेंद्र तिवारी रहते हैं, जिन्होंने क्रांतिकारियों के लिए किए गए मेरे काम से प्रभावित होकर अपने पूर्वज चंद्रशेखर आजाद की घड़ी और उनकी मां जगरानी देवी का श्रृंगार दान संग्रहालय में रखने के लिए भेंट किया था. यह श्रृंगार पेटी जगरानी देवी को उनकी शादी के वक्त भेंट की गई थी जिसमें वह अपने जेवर और श्रृंगार का सामान रखती थीं.

CHANDRA SHEKHAR  AZAD CONNECTION WITH BUNDELKHAND
चंद्रशेखर आजाद के परिवार के महेंद्र तिवारी (बीच में) (Etv Bharat)

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सागर में भारी बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त, निचली बस्तियों और घरों में घुसा पानी, देखें फोटोज

आजाद हमेशा रहे आजाद

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को झाबुआ जिले के भाबरा में हुआ था. वह एक ऐसे क्रांतिकारी थे कि अंग्रेजी हुकूमत उनको जिंदा पकड़ने के लिए परेशान थी लेकिन चंद्रशेखर आजाद ने तय किया था कि वह जिंदा अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे. कई इलाकों में फरारी काटने के बाद 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों ने आखिरकार आजाद को घेर लिया. लेकिन आजाद ने अपनी पिस्तौल में बची आखिरी गोली को अपनी ही कनपटी पर रखकर चला दिया और वह हमेशा के लिए आजाद हो गए.

सागर : कहा जाता है कि जब अंग्रेज चंद्रशेखर आजाद को पकड़ने एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे. तब चंद्रशेखर आजाद ने सागर के रहली कस्बे में एक क्रांतिकारी के घर फरारी काटी थी और उनकी शहादत के बाद उनकी मां उन्हीं क्रांतिकारी के घर पर रही थीं. यह भी कहा जाता है कि जिले के बंडा कस्बे में आजाद ने एक व्यापारी का मुनीम बनकर फरारी काटी थी. बीना में तो चंद्रशेखर आजाद की घड़ी और उनकी मां का श्रृंगार दान भी रखा हुआ है.

CHANDRA SHEKHAR AZAD FACTS SAGAR
वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की घड़ी (Etv Bharat)

बुंदेलखंड से आजाद का गहरा नाता

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने जब अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था, तो अंग्रेज आजाद को पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे. ऐसे में अंग्रेजों से बचने के लिए आजाद ने बुंदेलखंड का रुख किया था. बुंदेलखंड के क्रांतिकारियों ने आजाद को अंग्रेजों की नजर से बचाने में भरपूर मदद की थी. कहा जाता है कि अंग्रेजों से बचते-बचते चंद्रशेखर आजाद सागर जिले के रहली कस्बे में पहुंचे. यहां क्रांतिकारी गोपाल कृष्ण आजाद और सदाशिवराव मलकापुरकर ने उनकी मदद की थी. यहां पर आजाद ने फरारी का लंबा वक्त गुजारा था. वहीं उनकी शहादत के बाद उनकी मां जगरानी देवी मलकापुरकर परिवार के साथ रही थीं. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जिले के बंडा कस्बे के व्यापारी लोकरस परिवार ने आजाद को शरण दी थी और आजाद वेष बदलकर उनके मुनीम के रूप में बंडा में रहे थे.

CHANDRASHEKHAR AZAD SAGAR REHLI BINA
बीना में सहेजकर रखी गईं चंद्रशेखर आजाद की यादें (Etv Bharat)

बीना में सहेज कर रखी गई हैं यादें

चंद्रशेखर आजाद के बुंदेलखंड से जुड़ी यादों को सहेजने का काम बीना में श्रीराम शर्मा द्वारा किया गया है. कहा जाता है कि श्री राम शर्मा ने अपना जीवन क्रांतिकारियों की यादें सहेजने में खर्च किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की छोटी-मोटी जानकारी से लेकर हर जानकारी उनके पास है. अथक पथ संग्रहालय नाम से श्री राम शर्मा ने एक संग्रहालय भी बनाया है, जिसमें चंद्रशेखर आजाद की घड़ी आखिरी निशानी के रूप में रखी हुई है, जिसे देखने के लिए आज भी लोग पहुंचते हैं. इसके अलावा आजाद की मां जगरानी देवी की शादी के वक्त उन्हें पीतल की श्रृंगार पेटी भेंट की गई थी. वह भी इसी संग्रहालय में रखी है.

CHANDRA SHEKHAR AZAD MOTHER FACTS
चंद्रशेखर आजाद की मां की श्रृंगार पेटी (Etv Bharat)

होशंगाबाद से आए थे आजाद के परिजन

श्रीराम शर्मा बताते हैं कि होशंगाबाद के बाबई में चंद्रशेखर आजाद के परिवार के महेंद्र तिवारी रहते हैं, जिन्होंने क्रांतिकारियों के लिए किए गए मेरे काम से प्रभावित होकर अपने पूर्वज चंद्रशेखर आजाद की घड़ी और उनकी मां जगरानी देवी का श्रृंगार दान संग्रहालय में रखने के लिए भेंट किया था. यह श्रृंगार पेटी जगरानी देवी को उनकी शादी के वक्त भेंट की गई थी जिसमें वह अपने जेवर और श्रृंगार का सामान रखती थीं.

CHANDRA SHEKHAR  AZAD CONNECTION WITH BUNDELKHAND
चंद्रशेखर आजाद के परिवार के महेंद्र तिवारी (बीच में) (Etv Bharat)

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आजाद हमेशा रहे आजाद

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को झाबुआ जिले के भाबरा में हुआ था. वह एक ऐसे क्रांतिकारी थे कि अंग्रेजी हुकूमत उनको जिंदा पकड़ने के लिए परेशान थी लेकिन चंद्रशेखर आजाद ने तय किया था कि वह जिंदा अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे. कई इलाकों में फरारी काटने के बाद 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों ने आखिरकार आजाद को घेर लिया. लेकिन आजाद ने अपनी पिस्तौल में बची आखिरी गोली को अपनी ही कनपटी पर रखकर चला दिया और वह हमेशा के लिए आजाद हो गए.

Last Updated : Jul 23, 2024, 3:18 PM IST
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