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रेप के आरोपी प्रधान समेत तीन लोग कोर्ट से हुए दोष मुक्त, जेल से तत्काल रिहा करने के दिए आदेश - rape case Rudraprayag

rape case Rudraprayag उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश शहंशाह मुहम्मद दिलवर दानिश की कोर्ट ने नाबालिग बच्ची से रेप के मामले में प्रधान समेत तीन लोगों को दोष मुक्त करार दिया है. कोर्ट ने तीनों को तत्काल जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 29, 2024, 12:39 PM IST

रुद्रप्रयाग: जिला एवं सत्र न्यायाधीश रुद्रप्रयाग शहंशाह मुहम्मद दिलवर दानिश की कोर्ट ने रेप के मामले में बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने बलात्कार के आरोप में सजा काट रहे प्रधान सहित दो अन्य आरोपियों को दोषमुक्त पाया है. ये पूरा मामला साल 2023 का है.

जुलाई 2023 में रुद्रप्रयाग जिले के एक गांव में मानसिक रूप से दिव्यांग बालिका के पिता ने प्रधान सहित एक अन्य व्यक्ति और नेपाली मजदूर पर बेटी के साथ अलग-अलग स्थान और अलग-अलग समय पर बलात्कार किए जाने का आरोप लगाया था.

पुलिस ने भी मामला दर्ज करते हुए कार्रवाई शुरू की और तीनों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया. मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में पीड़िता सहित कुल 11 गवाहों की गवाही करवायी गयी. आरोपी प्रधान की ओर से अधिवक्ता बीरबल सिंह भंडारी और अरुण प्रकाश वाजपेई व अन्य की तरफ से गंभीर सिंह रावत ने पैरवी की और कोर्ट में अपना पक्ष रखा.

आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में अपनी दलील रखते हुए कहा कि पीड़िता के साथ हुए बलात्कार के कोई भी तथ्य एवं साक्ष्य पत्रावली पर नहीं आए और न ही पीड़िता के साथ कथित बलात्कार की मेडिकल परीक्षण में कोई पुष्टि हुई है. आरोपियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से सोच समझ करके दर्ज करवाई गई है. इसमें अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपित अपराध को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है.

इन तथ्यों के आधार पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रुद्रप्रयाग ने सभी अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया. सभी अभियुक्त 2023 से न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं. उनको तत्काल रिहा करने के आदेश पारित किए गए.

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जुलाई 2023 में रुद्रप्रयाग जिले के एक गांव में मानसिक रूप से दिव्यांग बालिका के पिता ने प्रधान सहित एक अन्य व्यक्ति और नेपाली मजदूर पर बेटी के साथ अलग-अलग स्थान और अलग-अलग समय पर बलात्कार किए जाने का आरोप लगाया था.

पुलिस ने भी मामला दर्ज करते हुए कार्रवाई शुरू की और तीनों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया. मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में पीड़िता सहित कुल 11 गवाहों की गवाही करवायी गयी. आरोपी प्रधान की ओर से अधिवक्ता बीरबल सिंह भंडारी और अरुण प्रकाश वाजपेई व अन्य की तरफ से गंभीर सिंह रावत ने पैरवी की और कोर्ट में अपना पक्ष रखा.

आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में अपनी दलील रखते हुए कहा कि पीड़िता के साथ हुए बलात्कार के कोई भी तथ्य एवं साक्ष्य पत्रावली पर नहीं आए और न ही पीड़िता के साथ कथित बलात्कार की मेडिकल परीक्षण में कोई पुष्टि हुई है. आरोपियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से सोच समझ करके दर्ज करवाई गई है. इसमें अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपित अपराध को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है.

इन तथ्यों के आधार पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रुद्रप्रयाग ने सभी अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया. सभी अभियुक्त 2023 से न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं. उनको तत्काल रिहा करने के आदेश पारित किए गए.

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