धनबादः 22 जुलाई 2019 इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद पर प्रज्ञान रोवर का सफल प्रक्षेपण किया, जिसकी तारीफ पूरे विश्व ने की. चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब इसरो मिशन चंद्रयान 4 की तैयारी कर रही है. जिसमें देशभर से तकनीक का सहयोग लिया जा रहा है. इस मिशन में धनबाद बीआईटी सिंदरी के छात्र भी इसरो को अपनी आधुनिक तकनीक से सहयोग करेगी. बीआईटी सिंदरी के छात्रों की टीम आदिशक्ति ने रूद्र रोवर का निर्माण किया है. रूद्र रोवर में वह सभी खूबियां है, जो इसरो के वैज्ञानिक चाहते हैं.
बीआईटी सिंदरी की प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के सेकेंड इयर के छात्रों की आदिशक्ति टीम, जिसने इस रूद्र रोवर का निर्माण किया है. आदिशक्ति टीम के कैप्टन हर्ष भार्गव ने बताया कि इसरो के द्वारा मिशन चंद्रयान 4 के लिए देशभर से तकनीक का सहयोग लिया जा रहा है. चंद्रयान 4 के लिए बिना मनुष्य के सहयोग से चलने वाली रोवर की जरूरत है.
इसरो के अनुसार ही छात्रों की टीम ने रूद्र रोवर का निर्माण किया है. उनके द्वारा निर्मित यह रोवर बिना किसी मनुष्य के सहयोग की चंद्रमा से सैंपल इकट्ठा करेगा. उस सैंपल को पृथ्वी तक पहुंचाने में मदद करेगा, रोवर में कई खूबियां हैं. अंधेरे में कैमरा बेहतर कार्य कर सके, इसे देखते हुए भी रोवर को तैयार किया गया है.
कैप्टन हर्ष भार्गव के मुताबिक बताया कि नवंबर 2023 से यह प्रतियोगिता शुरू है. रोवर निर्माण के लिए पहले फेज में 30 पेज का एक प्रपोजल तैयार करके इसरो को भेजा गया था. दूसरे चरण में निर्माण से जुड़ी वीडियो भेजी गई है. फिलहाल यह रोवर पृथ्वी के वायुमंडल के अनुसार कार्य कर रहा है. अगले फेज में चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के अनुसार तैयार करने की बात छात्रों ने कही है. इस रोवर का वजन 40 किलोग्राम से भी कम है. 150 ग्राम के क्यूब को पार करना, 300 ग्राम के क्यूब से बचकर निकलना सहित गढ्ढों को पार करना सहित नौ शर्तें इसमें शामिल की गई हैं.
प्रोजेक्ट को निर्देशित कर रहे बीआईटी सिंदरी के सीएनसी मशीन एंड रोबोटिक लैब के प्रोफेसर इंचार्ज प्रकाश कुमार ने बताया कि रूद्र रोवर के सभी पार्ट्स बीआईटी सिंदरी के लैब में बनाए गए हैं. रोवर लगभग दो किलोग्राम तक का वजन उठाने में सक्षम है. इसकी स्पीड 3 सेमी प्रति सेकेंड से अधिक है. बीआईटी सिंदरी के प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के लैब में ही रोवर के चक्कों का निर्माण किया गया है. एक चक्के को 3डी प्रिंट बनाने में लगभग 40 घंटे का समय लगा है.
बीआईटी सिंदरी के निदेशक डॉ. पंकज राय ने इस उपलब्धि के लिए आदिशक्ति टीम को बधाई दी है. साथ ही कहा कि इसरो की इस प्रतियोगिता में देश के 60 हजार प्रतिभागी टीम में बीआईटी सिंदरी की टीम ने 146वां स्थान पाया है. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट में बिटसा इंटरनेशनल और संस्थान ने मदद की है. छात्रों को उत्साहित करते हुए कहा कि उनकी सफलता रंग लाएगी और उनके करियर में यह प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित होगा.
रोवर रुद्र के निर्माण में आदिशक्ति की टीम में प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र सह टीम कप्तान हर्ष भार्गव और साहिल सिंह, सिविल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र सह उपकप्तान निशिकांत मंडल और मनीष कुमार महतो, कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र अरमान सिंह और प्रथम वर्ष के छात्र रौशन राज, मेकेनिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद कुमार शामिल हैं.
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