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मशरूम सिर्फ सब्जी नहीं! बिहार का ये केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इससे बनाता है 52 उत्पाद

बिहार प्रतिवर्ष 28,000 टन से अधिक मशरूम उत्पादन के साथ भारत का टॉप उत्पादक है. यहां के इस कृषि विश्वविद्यालय में 52 उत्पाद तैयार होते हैं.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

PRODUCTS MADE FROM MUSHROOMS
बिहार में मशरूम उत्पादन (ETV Bharat)

समस्तीपुर: बिहार के किसान मशरूम की खेती में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले टॉप पर हैं. इसमें समस्तीपुर के केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का अहम योगदान है. इसने मशरूम के क्षेत्र में पूरे देश में खास स्थान बनाया है. दरअसल अब मशरूम सिर्फ सब्जी नहीं रहा, इसके अबतक 52 प्रोडक्ट्स इस यूनिवर्सिटी ने बनाया और इसको अपने नाम पर पेटेंट भी किया है. सबसे खास बात ये है कि मशरूम के यह दर्जनों उत्पाद आज सूबे में रोजगार का सशक्त जरिया भी बन रहा है.

मशरूम की खेती में इस विश्वविद्यालय का कमाल: मशरूम अब सिर्फ सब्जी के लिए नहीं उगाया जा रहा, अब आप इसका पनीर, बिस्किट, लड्डू, मिठाई, समोसा ,पापर, आचार जैसे एक दो नहीं अनेकों उत्पाद बना सकते हैं. दरअसल बिन खेत इस खेती को लेकर राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का प्रयास देश स्तर पर काफी खास है. विश्वविद्यालय का मशरूम विभाग न सिर्फ इसकी खेती को लेकर किसानों को ट्रेनिंग दे रहा, बल्कि यह मशरूम को लेकर रोज खास प्रयोग के जरिये रोजगार का एक बेहतर विकल्प भी लेकर आया है.

बिहार में मशरूम उत्पादन (ETV Bharat)

मशरूम के 52 प्रोडक्ट: यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च के प्रभारी आर.पी. प्रसाद ने बताया कि वर्तमान में यंहा एक दो नहीं कुल 52 मशरूम के उत्पाद बनाए जा चुके हैं. इसके अलावा वर्तमान में भी मशरूम से बनने वाले अन्य खाद्य उत्पाद को लेकर रिसर्च चल रहा. इस यूनिवर्सिटी ने मशरूम के कुल 52 प्रोडक्ट का पेटेंट भी कराया है. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार मशरूम उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य है, जो गर्व की बात है.

"बिहार में मशरूम की खेती में बहुत किसान लगे हैं. वहीं सबसे बेहतर बात यह है कि मशरूम की खेती के लिए लोगों को जमीन की जरूरत नहीं होती है. मशरूम ने काफी महिलओं को स्वरोजगार का सशक्त जरिया दिया है. वो घर पर इसकी खेती कर रही हैं."-आर.पी. प्रसाद, प्रभारी, एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च

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राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा (ETV Bharat)

यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर से कई लाभ: गौरतलब हो कि मशरूम के उत्पादन के साथ ही इन प्रोडक्ट्स को बनाने का तरीका भी यह मशरूम विभाग सीखा रहा है. यही नहीं इसके कई वैसे उत्पाद, जिसके लिए अधिक पूंजी और बड़े मशीन की जरुरत है, वह भी आप इस यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च के साथ जुड़कर बना सकते हैं. साथ ही उस उत्पाद का व्यापार भी कर सकते हैं.

सुपर फूड के कई फायदे: मशरूम को अक्सर उसके समृद्ध पोषण तत्वों और कई स्वास्थ्य लाभों के कारण सुपरफूड कहा जाता है. इसे फंक्शनल फूड भी कहा जाता है क्योंकि ये बुनियादी पोषण से परे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. जैसे कि इम्यून सिस्टम को ठीक रखना, सूजन को कम करना और संभावित कैंसर विरोधी गुण भी इसमें होते हैं. माना जाता है कि मशरूम शरीर को तनाव को दूर रखने के साथ मूड स्विंग्स को भी कंट्रोल करता है.

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मशरूम काने के फायदे (ETV Bharat)

पढ़ें-मशरूम की खेती से सालाना 4 करोड़ की कमाई, बिहार के ‘मशरूम किंग’ की कहानी - Success Story

समस्तीपुर: बिहार के किसान मशरूम की खेती में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले टॉप पर हैं. इसमें समस्तीपुर के केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का अहम योगदान है. इसने मशरूम के क्षेत्र में पूरे देश में खास स्थान बनाया है. दरअसल अब मशरूम सिर्फ सब्जी नहीं रहा, इसके अबतक 52 प्रोडक्ट्स इस यूनिवर्सिटी ने बनाया और इसको अपने नाम पर पेटेंट भी किया है. सबसे खास बात ये है कि मशरूम के यह दर्जनों उत्पाद आज सूबे में रोजगार का सशक्त जरिया भी बन रहा है.

मशरूम की खेती में इस विश्वविद्यालय का कमाल: मशरूम अब सिर्फ सब्जी के लिए नहीं उगाया जा रहा, अब आप इसका पनीर, बिस्किट, लड्डू, मिठाई, समोसा ,पापर, आचार जैसे एक दो नहीं अनेकों उत्पाद बना सकते हैं. दरअसल बिन खेत इस खेती को लेकर राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का प्रयास देश स्तर पर काफी खास है. विश्वविद्यालय का मशरूम विभाग न सिर्फ इसकी खेती को लेकर किसानों को ट्रेनिंग दे रहा, बल्कि यह मशरूम को लेकर रोज खास प्रयोग के जरिये रोजगार का एक बेहतर विकल्प भी लेकर आया है.

बिहार में मशरूम उत्पादन (ETV Bharat)

मशरूम के 52 प्रोडक्ट: यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च के प्रभारी आर.पी. प्रसाद ने बताया कि वर्तमान में यंहा एक दो नहीं कुल 52 मशरूम के उत्पाद बनाए जा चुके हैं. इसके अलावा वर्तमान में भी मशरूम से बनने वाले अन्य खाद्य उत्पाद को लेकर रिसर्च चल रहा. इस यूनिवर्सिटी ने मशरूम के कुल 52 प्रोडक्ट का पेटेंट भी कराया है. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार मशरूम उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य है, जो गर्व की बात है.

"बिहार में मशरूम की खेती में बहुत किसान लगे हैं. वहीं सबसे बेहतर बात यह है कि मशरूम की खेती के लिए लोगों को जमीन की जरूरत नहीं होती है. मशरूम ने काफी महिलओं को स्वरोजगार का सशक्त जरिया दिया है. वो घर पर इसकी खेती कर रही हैं."-आर.पी. प्रसाद, प्रभारी, एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च

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राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा (ETV Bharat)

यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर से कई लाभ: गौरतलब हो कि मशरूम के उत्पादन के साथ ही इन प्रोडक्ट्स को बनाने का तरीका भी यह मशरूम विभाग सीखा रहा है. यही नहीं इसके कई वैसे उत्पाद, जिसके लिए अधिक पूंजी और बड़े मशीन की जरुरत है, वह भी आप इस यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च के साथ जुड़कर बना सकते हैं. साथ ही उस उत्पाद का व्यापार भी कर सकते हैं.

सुपर फूड के कई फायदे: मशरूम को अक्सर उसके समृद्ध पोषण तत्वों और कई स्वास्थ्य लाभों के कारण सुपरफूड कहा जाता है. इसे फंक्शनल फूड भी कहा जाता है क्योंकि ये बुनियादी पोषण से परे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. जैसे कि इम्यून सिस्टम को ठीक रखना, सूजन को कम करना और संभावित कैंसर विरोधी गुण भी इसमें होते हैं. माना जाता है कि मशरूम शरीर को तनाव को दूर रखने के साथ मूड स्विंग्स को भी कंट्रोल करता है.

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मशरूम काने के फायदे (ETV Bharat)

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